अब कूर्मि समाज खुद करेगा संस्कार, 7 राज्यों में शुरू हुआ कूर्मि पुरोहित मिशन, युवाओं को रोजगार भी

कूर्मि पुरोहित मिशन: सामाजिक चेतना, स्वावलंबन और वैज्ञानिक सोच की दिशा में एक क्रांति

"समाज में विचारक्रांति, स्वावलंबन तथा वैज्ञानिक सोच विकसित करने का माध्यम है – कूर्मि पुरोहित मिशन"

वर्तमान समय में प्रत्येक धार्मिक संस्कार—चाहे वह हवन हो, पूजा हो या मंदिरों में पुजारी की आवश्यकता—इन सब कार्यों के लिए पुरोहितों की अहम भूमिका होती है। किंतु पिछले कुछ वर्षों में इन धार्मिक विधियों में व्यावसायिकता, विकृति और बाहरी निर्भरता बढ़ी है। इस स्थिति में सुधार और समाज को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से कूर्मि समाज ने ‘कूर्मि पुरोहित मिशन’ की शुरुआत की है।

इस मिशन का लक्ष्य है—समाज के भीतर प्रशिक्षित पुरोहित तैयार करना, जो वैज्ञानिक दृष्टिकोण से परंपराओं को निभाएं, सामाजिक बुराइयों को समाप्त करें और समाज को सांस्कृतिक व धार्मिक रूप से आत्मनिर्भर बनाएं।


 कूर्मि पुरोहित प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य

  • समाज के युवाओं को वैदिक विधियों व मंत्रों का व्यावहारिक ज्ञान देना।

  • दैनिक जीवन में आवश्यक 8 प्रमुख संस्कारों के क्रियान्वयन में दक्षता प्रदान करना।

  • कूर्मि समाज की सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण व पीढ़ियों में व्यवहारिक बदलाव लाना।

  • रूढ़िवादी परंपराओं का वैज्ञानिक दृष्टिकोण से परिष्कार करना।

  • समाज में नैतिक शिक्षा व नेतृत्व का विकास करना।

यह प्रशिक्षण धार्मिक ज्ञान के साथ-साथ सामाजिक चेतना, नैतिकता, उत्तरदायित्व और नेतृत्व गुणों को भी बढ़ावा देता है।


 कूर्मि पुरोहित प्रशिक्षण का औचित्य

पूर्व में समाज में शिक्षा का अभाव था, जिससे संस्कार कार्यों के लिए बाहरी समुदाय पर निर्भरता थी। आज समाज में डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक जैसे शिक्षित वर्ग मौजूद हैं।
2025 के कूर्मि चेतना पंचांग के अनुसार:

  • देश की कुल जनसंख्या: 141.54 करोड़

  • अनुमानित कूर्मि जनसंख्या: 27.79 करोड़ (19.63%)

  • 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों में कूर्मि समुदाय का विस्तार

  • 681 जिलों और 2.31 लाख गांवों में निवास

इस गणना के अनुसार, यदि प्रत्येक गांव में 2 पुरोहित तैयार किए जाएं, तो 4.63 लाख युवाओं को रोजगार मिलेगा। इसके अतिरिक्त, मंदिरों में पूजा-पाठ हेतु 3 लाख पद और सृजित होंगे। कुल मिलाकर लगभग 7–8 लाख लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा।

समाज द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित 1 लाख धार्मिक आयोजनों पर प्रति आयोजन ₹5–10 लाख खर्च होते हैं, जिससे समाज का लगभग ₹50 अरब खर्च होता है। यदि इस व्यवस्था में 10% अपव्यय भी रोका गया, तो ₹5 अरब की बचत से 5 अस्पताल या 5 विश्वविद्यालय बनाए जा सकते हैं।


 प्रचलित संस्कार और प्रशिक्षण का फोकस

शास्त्रों के अनुसार 16 संस्कार होते हैं, जिनमें से 8 प्रमुख संस्कारों का प्रशिक्षण कूर्मि पुरोहितों को दिया जाता है:

  1. गर्भाधान

  2. नामकरण

  3. अन्नप्राशन

  4. विद्यारंभ

  5. विवाह संस्कार

  6. अंत्येष्टि

  7. जन्मोत्सव

  8. वैवाहिक वर्षगाँठ


शुभारंभ और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

  • बीजारोपण: अखिल भारतीय कूर्मि महासभा के 43वें अधिवेशन (बेंगलुरु, 13–14 नवम्बर 2016)

  • क्रियान्वयन: छत्तीसगढ़ कूर्मि चेतना मंच द्वारा, 5–9 जून 2019, बिलासपुर

  • नेतृत्व: डॉ. निर्मल नायक, डॉ. जीतेंद्र सिंगरौल, डॉ. हेमंत कौशिक आदि

अब तक 7 राज्यों (छत्तीसगढ़, दिल्ली, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, बिहार, उड़ीसा, झारखंड) के 75 कूर्मि पुरोहित प्रशिक्षित हो चुके हैं।


 प्रशिक्षण प्रक्रिया और योग्यता

  • योग्यता: न्यूनतम 12वीं उत्तीर्ण + संस्कृत का प्राथमिक ज्ञान, 18+ आयु

  • प्रक्रिया: गूगल फॉर्म द्वारा पंजीकरण → ऑनलाइन साक्षात्कार

  • प्रशिक्षण अवधि: 4 दिवसीय आवासीय + समय-समय पर ऑनलाइन सत्र

  • पाठ्य सामग्री:

    • कूर्मि चेतना संस्कार दर्पण, पंचांग, स्वर, इतिहास, जागृति पुस्तिका, प्रमाणपत्र


आचरण के नियम

  1. मधुर भाषी, संयमित वाणी और मर्यादित आचरण अनिवार्य

  2. नशा मुक्त व्यवहार (धूम्रपान, शराब, तंबाकू आदि पूर्ण वर्जित)

  3. यजमान से केवल श्रद्धानुसार दक्षिणा स्वीकार

  4. समयबद्धता और पारदर्शिता जरूरी

  5. प्रशिक्षण के दौरान पारंपरिक भारतीय परिधान अनिवार्य (धोती-कुर्ता / साड़ी)


पाठ्यक्रम के प्रमुख घटक

  • वैदिक मंत्रों का उच्चारण और अर्थ

  • हवन, पूजा, संकल्प, समापन विधियां

  • संवाद कौशल, नैतिक शिक्षा और समाज में पुरोहित की भूमिका

  • नशा मुक्ति, सेवा भावना, राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक संरक्षण


 प्रशिक्षित पुरोहितों की उपलब्धियां

पिछले 5 वर्षों में प्रशिक्षित पुरोहितों द्वारा 700+ धार्मिक संस्कार कराए जा चुके हैं — जिनमें अन्य समाजों के संस्कार भी सम्मिलित हैं।


आगामी कार्य योजना

  • प्रत्येक जिले से 10–25 मास्टर ट्रेनर

  • प्रत्येक ब्लॉक से 50–100 पुरोहित

  • समाज में विवाह, हवन, गृह प्रवेश, दाह-संस्कार आदि कार्यों में स्वजातीय पुरोहितों की भूमिका सुनिश्चित करना

  • प्राप्त आय से समाज को मजबूत और आत्मनिर्भर बनाना


प्रशिक्षण शिविर व्यय योजना

  • औसतन 60 प्रतिभागियों पर ₹1,00,000 तक अनुमानित व्यय

    • ₹750 प्रति प्रतिभागी × 60 = ₹45,000 भोजन

    • ₹55,000 अन्य व्यवस्थाएं

    • आवासीय व्यवस्था स्थानीय समाजिक भवनों में


संपर्क सूत्र

प्रयोजन नाम संपर्क
प्रशिक्षण समन्वय डॉ. हेमंत कौशिक 9827157927
प्रशिक्षण प्रबंधन बी. आर. कौशिक 9424153582
आयोजन/मीडिया डॉ. जीतेंद्र सिंगरौल 9425522629
शोध व संरचना इंजीनियर जनार्दन पटेल 9726044701

 


 समापन संदेश

यह अभियान केवल धार्मिक सुधार नहीं, बल्कि समाज निर्माण की दिशा में एक सांस्कृतिक क्रांति है। अतः समाज के सभी संगठनों, पदाधिकारियों, महिला-युवा इकाइयों को चाहिए कि वे अपने क्षेत्र में प्रशिक्षित कूर्मि पुरोहितों के माध्यम से संस्कार कार्य संपन्न कराएं और इस राष्ट्रीय अभियान को गति दें।