जहां कोई नहीं पहुंचता, वहां जल्पा पहुंचती हैं, फुटपाथ से विश्वास तक — एक नई शुरुआत

एक बेटी का संकल्प — जल्पा पटेल का सेवा पथ
पिता के अंतिम समय में साथ न होने के अफ़सोस को सेवा में बदलकर, जल्पा पटेल ने 12 वर्षों से बेसहारा लोगों की ज़िंदगी को सहारा दिया है।
राजकोट की रहने वाली जल्पा पटेल, एक सफल व्यवसायी और कुर्मी समाज की नारीशक्ति, पिछले 12 वर्षों (2013-2025) से लगातार सड़कों पर रहने वाले बेसहारा लोगों की सेवा कर रही हैं। पिता के निधन के बाद पैदा हुआ खालीपन उन्होंने जनसेवा में भर दिया।
"जब मैं अपने पिता के अंतिम समय में उनके पास नहीं पहुँच पाई, तभी संकल्प लिया कि अब हर उस बेसहारे इंसान के लिए कुछ करूँगी, जो अकेला है।" — जल्पा पटेल
‘साथी सेवा ग्रुप’ बना जीवन का उद्देश्य
2013 में सेवा का जो बीज उन्होंने बोया, वह आज एक मजबूत संगठन बन चुका है — साथी सेवा ग्रुप। यह ग्रुप अब हर दिन 400 से 500 ज़रूरतमंदों को खाना, कपड़े, और दवाइयाँ उपलब्ध करा रहा है। इस संगठन से 45 से अधिक स्वयंसेवक जुड़े हैं, और सेवा के इस संकल्प को पूरे राजकोट में फैला चुके हैं।
वे आज भी भोजन स्वयं बनाती हैं, वितरण करती हैं और सोशल मीडिया के ज़रिए समाज को जोड़ती हैं।
जल्द ही बनेंगी "पुनर्वास गृह"
अब जल्पा का अगला लक्ष्य है — बेघर लोगों के लिए एक सुरक्षित घर बनाना। वह बताती हैं, “यह लोग सिर्फ भूखे नहीं हैं, ये अकेले भी हैं। हमारा प्रयास है इन्हें सम्मान के साथ जीने का हक़ देना।”
व्यवसाय और सेवा का संतुलन
एक ओर जल्पा राजकोट में सुपरमार्केट और ऑटोमोबाइल शोरूम चलाती हैं, दूसरी ओर हर दिन लोगों की सेवा में समय देती हैं। वह कहती हैं, "अगर इच्छा हो तो सेवा और व्यवसाय साथ-साथ चल सकते हैं।"
कुर्मी समाज को जल्पा पटेल पर गर्व है।
उनकी कहानी सिर्फ एक बेटी की नहीं, बल्कि समाज के प्रति कर्तव्य की मिसाल है।
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