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गोंडा के किसान की सफलता: 9 वैरायटी के केले की नर्सरी से लाखों की कमाई का मॉडल

गोंडा (उत्तर प्रदेश): उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के प्रगतिशील किसान अरुण पटेल ने परंपरागत खेती से हटकर एक नई राह चुनी और केले की टिशू कल्चर नर्सरी शुरू कर क्षेत्र में नवाचार की मिसाल कायम की है। आज वे सालाना 7 से 8 लाख रुपये का टर्नओवर कर रहे हैं और करीब 10 लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं
9 वैरायटी की नर्सरी, तकनीकी खेती का शानदार उदाहरण
अरुण पटेल ने बताया कि वह G-9 वैरायटी सहित 9 किस्मों के केले की नर्सरी तैयार कर रहे हैं। ये सभी पौधे टिशू कल्चर तकनीक से विकसित किए गए हैं, जिससे ये बीमारियों से मुक्त और उच्च उत्पादन क्षमता वाले होते हैं।
नर्सरी का आइडिया कैसे आया?
पहले अरुण परंपरागत खेती करते थे लेकिन लागत अधिक और मुनाफा कम होने के कारण उन्होंने कुछ नया करने की ठानी। उन्होंने बाराबंकी, अयोध्या और बहराइच जैसे जिलों के किसानों की केले की नर्सरी देखी, रिसर्च की और फिर बेंगलुरु से पौधे मंगवाकर ग्रीन हाउस की स्थापना की।
“पौधे की गुणवत्ता खराब होने से हमें नुकसान होता था, इसलिए खुद की नर्सरी डालने का विचार आया,” – अरुण पटेल
शैक्षणिक पृष्ठभूमि और नई शुरुआत
अरुण पटेल ने एग्रोनॉमी में एमएससी (Ag) किया है और एक निजी कंपनी में कार्यरत थे। निजी कारणों से गांव लौटने के बाद उन्होंने तकनीकी खेती की शुरुआत की।
रोजगार और स्थानीय प्रभाव
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नर्सरी में 40,000 से अधिक पौधे तैयार
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लगभग ₹4–5 लाख की लागत से शुरू किया प्रोजेक्ट
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सालाना ₹7–8 लाख का टर्नओवर
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9–10 लोगों को रोजगार का अवसर
गोंडा बन रहा है केले की खेती का हब
गोंडा में पिछले 15 वर्षों से केले की अच्छी खेती हो रही है। अब अरुण की नर्सरी से यहां के अन्य किसान भी पौधे खरीद रहे हैं, जिससे पूरे क्षेत्र में खेती के नए मॉडल को बढ़ावा मिल रहा है।
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