कूर्मि कुल गौरव राजर्षि छत्रपति शाहूजी महाराज: सामाजिक न्याय और शिक्षा के अग्रदूत | जन्म जयंती विशेष

समतामूलक समाज के प्रथम राजा, कूर्मि कुल गौरव राजर्षि छत्रपति शाहूजी महाराज कोल्हापुर नरेश को शत-शत नमन।

छत्रपति शाहू महाराज का जीवन परिचय (जयंती: 26 जून, 1874)

छत्रपति शाहू महाराज एक सम्मानित और प्रेरणास्पद नाम हैं, विशेष रूप से पश्चिमी महाराष्ट्र में। उन्होंने शिक्षा और सामाजिक न्याय के क्षेत्र में ऐतिहासिक योगदान दिया। उन्होंने अपने राज्य में पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण लागू किया और डॉ. भीमराव अंबेडकर के करियर को समर्थन प्रदान किया।

प्रारंभिक जीवन

शाहू महाराज का जन्म 26 जून, 1874 को कोल्हापुर जिले के कागल गांव में जयसिंगराव और राधाबाई के घर यशवंतराव के रूप में हुआ था। उन्हें कोल्हापुर के राजा शिवाजी चतुर्थ की विधवा रानी आनंदीबाई ने गोद लिया था। शिक्षा राजकोट के राजकुमार कॉलेज में हुई और प्रशासनिक ज्ञान सर स्टुअर्ट फ्रेज़र से प्राप्त किया। 1894 में वह कोल्हापुर की गद्दी पर बैठे।

सामाजिक सुधार कार्य

  • शिक्षा में योगदान: सभी जातियों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा लागू की। विभिन्न जातियों और धर्मों के लिए छात्रावासों की स्थापना की।

  • आरक्षण प्रणाली: सरकारी नौकरियों में पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षण की शुरुआत की।

  • वेदोक्त विवाद: ब्राह्मण श्रेष्ठता को नकारा और मराठा विद्वान को धार्मिक सलाहकार नियुक्त किया।

  • जातिवाद के विरुद्ध: अस्पृश्यता और जाति आधारित भेदभाव के खिलाफ कठोर कदम उठाए।

  • महिला उत्थान: महिला शिक्षा को बढ़ावा, विधवा पुनर्विवाह को वैध बनाया, देवदासी प्रथा पर रोक लगाई।

आर्थिक और कृषि विकास

  • कताई-बुनाई मिल, किसान सहकारी समितियों और किंग एडवर्ड कृषि संस्थान की स्थापना।

  • राधानगरी बांध परियोजना की शुरुआत 1907 में की गई, जो 1935 में पूर्ण हुई।

कला, संस्कृति और खेल

  • संगीत, ललित कला, कुश्ती और व्यायामशालाओं को संरक्षण।

  • लेखकों और शोधकर्ताओं को प्रोत्साहन।

डॉ. अंबेडकर से जुड़ाव

  • शाहू महाराज ने डॉ. अंबेडकर को मूकनायक अख़बार के लिए आर्थिक सहायता दी और सामाजिक सम्मेलन का अध्यक्ष नियुक्त किया।

सम्मान और उपलब्धियाँ

  • कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से मानद एलएलडी।

  • ब्रिटिश राज से GCSI, GCVO, GCIE सम्मान।

  • 1902 में किंग एडवर्ड कोरोनेशन मेडल प्राप्त।

निधन और विरासत

  • 6 मई, 1922 को शाहू महाराज का निधन हुआ। उनके पुत्र राजाराम तृतीय उत्तराधिकारी बने। उनके द्वारा किए गए सुधार आज भी प्रेरणास्त्रोत हैं।

उनका जीवन आज भी सामाजिक समानता, शिक्षा और न्याय के लिए प्रेरणा है।