कूर्मि समाज में पुरोहित प्रशिक्षण की शुरुआत, धार्मिक आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम

Saurabh Patel

परिवर्तन समय की मांग है, कूर्मि पुरोहित प्रशिक्षण क्रांतिकारी कदम

रायपुर। अखिल भारतीय कूर्मि क्षत्रिय महासभा एवं छत्तीसगढ़ कूर्मि क्षत्रिय चेतना मंच के तत्वावधान में छत्तीसगढ़ प्रदेश कूर्मि-क्षत्रिय समाज और छत्तीसगढ़ बैस कूर्मि क्षत्रिय समाज द्वारा आयोजित चार दिवसीय राष्ट्रीय कूर्मि पुरोहित प्रशिक्षण शिविर का शुभारंभ महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल रमेश बैस ने किया। मुख्य अतिथि के तौर पर उन्होंने कहा कि परिवर्तन समय की मांग है। जैसे संविधान में 150 से अधिक संशोधन हो चुके हैं, वैसे ही समाज में भी बदलाव जरूरी है। कूर्मि समाज द्वारा पुरोहित प्रशिक्षण शुरू करना एक ऐतिहासिक और क्रांतिकारी पहल है, जिससे अन्य समाज भी प्रेरणा लेंगे।

पूर्व राज्यपाल बैस ने प्रशिक्षणार्थियों को पुरोहित किट प्रदान की। इस दौरान छत्तीसगढ़ कूर्मि चेतना मंच के प्रदीप कौशिक, डॉ. जीतेन्द्र सिंगरौल, मोरध्वज चंद्राकर, मुक्ति बैस सहित अनेक पदाधिकारी उपस्थित रहे।

सामाजिक क्रांति का वाहक बनेगा पुरोहित प्रशिक्षण

शिविर संयोजक पूरन सिंह बैस ने स्वागत भाषण में कहा कि कूर्मि जाति के मुखिया, पदाधिकारी और समाज की मातृशक्ति का यह समर्थन इस क्रांतिकारी प्रयास को देशभर में रोल मॉडल बनाएगा। हिन्दू धर्म में पुरोहितों की भूमिका सिर्फ कर्मकांड तक सीमित नहीं है, वे समाज में नैतिकता और ज्ञान के संवाहक होते हैं।

पूर्व कुलपति भागवताचार्य डॉ. सालिकराम वर्मा ने कहा कि पुरोहित वेशभूषा और साधारण पूजा सामग्री के साथ भी श्रेष्ठ पूजा कर सकते हैं।

मनवा कूर्मि समाज की केंद्रीय महिला अध्यक्ष सरिता बघेल ने कहा कि समाज को कूर्मि पुरोहितों को प्राथमिकता देनी चाहिए।

चेतना मंच के प्रदेशाध्यक्ष प्रदीप कौशिक ने कहा कि समाज के युवाओं को आत्मनिर्भर और संस्कारित बनाने का ये उपक्रम आने वाले समय में एक सामाजिक क्रांति का वाहक बनेगा।


7 राज्यों के 75 कूर्मि पुरोहित अब तक प्रशिक्षित

अब तक छत्तीसगढ़, दिल्ली, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, उड़ीसा, बिहार और झारखंड सहित 7 राज्यों से कुल 75 कूर्मि पुरोहित प्रशिक्षित किए जा चुके हैं। प्रशिक्षण में प्रासंगिक 8 मुख्य संस्कारों - गर्भाधान, नामकरण, अन्नप्राशन, विद्यारंभ, विवाह, अंत्येष्टि, जन्मदिन और विवाह वर्षगांठ पर विशेष ध्यान दिया गया है।

भविष्य की कार्ययोजना

समाज की मांग को देखते हुए प्रत्येक जिले से 10-25 मास्टर ट्रेनर और हर विकासखंड से 50-100 पुरोहित तैयार करने की योजना है। आने वाले समय में रायपुर, भोपाल, अमरकंटक, जबलपुर, रांची, पटना, राउरकेला में शिविर आयोजित होंगे।

शुरुआत कैसे हुई?

इस आंदोलन की शुरुआत 2016 में बेंगलुरु में हुए अखिल भारतीय कूर्मि महासभा के 43वें अधिवेशन में हुई थी, जहां एल.पी. पटेल के नेतृत्व में स्वजातीय पुरोहित तैयार करने का प्रस्ताव पारित हुआ था। इसके बाद 2019 में बिलासपुर में प्रथम बैच में 9 कूर्मि पुरोहितों को प्रशिक्षित किया गया।

आज यह अभियान राष्ट्रव्यापी बन चुका है, जिसमें 500 से अधिक संस्कार अब तक संपन्न कराए जा चुके हैं।

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