शोधकर्ताओं का मानना है कि पृथ्वी पर जीवन लगभग तीन अरब साल पहले अस्तित्व में रहा होगा । तब से, आधुनिक मानव जाति का विकासवादी इतिहास आकर्षक और रोमांचक रहा है। आज इस पृथ्वी पर पाँच बिलियन से अधिक मानव आबादी होगी। विभिन्न रंग, भाषा, धर्म, पहनावे, रीति-रिवाज समय-समय पर अस्तित्व में आए होंगे। इसने समान विचारधारा वाले लोगों के विभिन्न समूहों और जातियों का गठन किया हो सकता है। जो स्वयं उन प्रजातियों की उत्पत्ति और विकास का अग्रणी इतिहास है। इतिहास के साथ अपने संबंध को त्यागकर कोई भी व्यक्ति विकसित नहीं हो सकता है।
इतिहास शब्द एक ऐसा शब्द है जो इस धरती पर इंसान की उत्पत्ति से लेकर आज तक की हर गतिविधि, हर जीव-जंतु की उत्तपत्ति ,सब तरह के ज्ञान से सब तरह के बोध से हमें अवगत कराता है ! सर्वप्रथम धरती पर इंसान की उतपत्ति हुई धीरे धीरे वक्त ने करवट बदली और युग थोड़ा आगे बढ़ा , और इंसानो ने ही अपनी सुविधा के लिए सहूलियत के लिए मानव को उनके कार्य के आधार पर उन्हें अलग अलग वर्णो में बाँट दिया गया ! क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र और भ्रामण ,आगे बढ़ते बढ़ते भारत में कई जातिया , कई उपजातिया बन गई और आज जात- पात का एक जंजाल बन गया, हमारे देश में इतनी बड़ी मात्रा में जातियाँ और उपजातिया है की हर कोई चाह रखता है की हमारा भी कोई वजूद रहै ,हमारा भी कोई ,कही वजूद हो ,चाहैगा भी क्यों नहीं ,चाहना भी जरूरी है और लाजमी है ! बिना वजूद के न तो कोई पूछता है ना कोई जानता है और बिना पूछे और बिना जाने आज की इस मशक्कत भरी दुनिया में ज़िंदा रहना तक एक संघर्ष है !
कई और हजारो कमजोर शाखाओ का कोई वजूद नहीं होता और मजबूत एक शाखा भी अपना वजूद रख सकती है अपना परिचय मजबूती के नाम पर दे सकती है स्थिरता और कठोरता के नाम पर दे सकती है एक चार अक्षर के शब्द इतिहास का इतना बड़ा उल्लेख करने का मेरा मकसद यही है की आखिर हमारा समाज का क्या हाल है क्या इतिहास है आज के समय में हमारी क्या स्तिथि है हमारा क्या और कहा कहा वजूद है !
संसार का सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक देश सबसे बड़ा दूसरा जनसंख्या वाला देश हजारो जातियों ,,भाषाओ और बोलियो वाला देश , सभ्यता संस्कृति और ऋषि मुनिओ के देश के नाम से जाना जाने वाला वतन और इस भारत देश के नाम से यदि में कुर्मी समाज की तुलना करू तो शायद कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी ,क्योंकि आज कुर्मी समाज की यही विशेषताए है जो हमारी पहचान बनाती हैं मेहनत मजदूरी ,सेवा, संस्कार, क्षमा , सहनशीलता यही हैँ हमारी विशेषताए ! अपनी समाज के इतिहास पर नजर डालने से पहले यह साफ़ करना बेहद जरुरी है की आखिर मुझे इतने पुराने इतिहास पर एक दृष्टि डालने की जरुरत ही क्यों पड़ी !
कुर्मी एक राष्ट्रीय जमात है, जो श्रम की महत्ता, स्वाभिमान, उदात्तचरित्र से सभी पर अपनी छाप छोड़ती है। कुर्मी समुदाय एक प्रगतिशील समुदाय है, जो कड़ी मेहनत, धैर्य और शांत दृष्टिकोण के लिए अपने समर्पण की विशेषता है। कुर्मी समाज सबको देते ही हैं, लेकिन लेते कुछ भी नहीं। ये संपूर्ण देश में समाज के अन्नदाता हैं। यह प्रकृत्या कर्मठ, ईमानदार, परोपकार करने में उद्यत, सबके हित चिंतक व आदर्शवादी होते हैं।
आज इतिहास को जरूरत है कि इस जमात के राष्ट्रीय चरित्र को उद्घाटित किया जाए। हमारे कुर्मी समाज का इतिहास गौरवशाली रहा है। सदियों पहले अहिंसा परमो धर्मः और मानव समेत सभी जीवों पर समान भाव और दया रखने के उपदेश देने वाले तथा बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध, समानता में विश्वास रखने वाले और राष्ट्रप्रेम, स्वराज का अलख जगाने वाले और स्वयं को न्योछावर करने वाले छत्रपति शिवाजी महाराज ,आरक्षण के जनक राजर्षि शाहू जी महाराज जिन्होंने समय पर बाबा साहब को वजीफा देकर कानून की शिक्षा प्राप्त करने के लिए विलायत भेजा ,भारत के बिस्मार्क ,शिल्पीकार, राष्ट्र निर्माता के नाम से मशहूर और किसानों के लिए अंग्रेजों से वारदोली आन्दोलन करके आर -पार की लड़ाई लड़ने वाले लौह पुरूष सरदार वल्लभ भाई पटेल जैसे महान आत्माओं ने कुर्मी वंश का नाम रौशन किया।
पर आज हमारा कुर्मी समाज साजिश का शिकार होकर आपस ही विभिन्न शाखाओं में बंटकर एक -दूसरे के लिए असहयोग करके पूरे कुर्मी समाज का नुकसान कर रहै हैं। आज हमारा यह समाज शारीरिक, शैक्षणिक, आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक और मानसिक -बौद्धिक रूप से बहुत ही पिछड़ चुका है, इसी कारण हमारे कुर्मी समाज में आपसी प्रेम, सहयोग, सदभाव, भाईचारे का अभाव है और एक -दूसरे का पैर खिंचाई ज्यादा है। लगभग सभी कुर्मी संगठनों और ग्रुपों में सिर्फ बातें बनाएँ जाते हैं, किसी पीड़ित /पीडी़ता को मदद करने के लिए कोई संगठन खडा़ नहीं होता है। बहुत कम ही कुर्मी समाज के सदस्य हैं जो किसी कुर्मी समाज के परेशान और संकट में पड़े लोगो की मदद करने के लिए हाथ बढा़ते हैं। पर ऐसे असहयोग करके वाले लोग विभिन्न संगठनों और ग्रुपों में शेखी बहुत बघारते दिखते रहते हैं। यह परिपाटी बिल्कुल ही गलत और असहनीय पीड़ा देने वाले है।
हमारा यह कटु अनुभव अब तक का है। अपने अधूरे ज्ञान, बुद्धि, धन और प्रतिष्ठा लेकर सभी अपने अहंकार के नशे में डूबे हैं, यही कारण है कि कोई किसी का मान -सम्मान नहीं कर रहा है और हर कोई अपने अधूरे ज्ञान और अपनी बात को सही बताता फिरता है। यह हमारे कुर्मी समाज के लिए बहुत ही दुःखद और शर्मनाक है। हमारे इसी आपसी लड़ाई का फायदा अन्य समाज के लोग उठा रहें हैं। अन्य समाज के लोग सामाजिक और राजनैतिक रूप से हमसे आगे निकल चुके हैं पर कुर्मी समाज विभिन्न शाखाओं में बंटें रहकर एक -दूसरे को श्रेष्ठ दिखाने में लगा हुआ है! इसीलिए हमारे कुर्मी समाज का शारीरिक, शैक्षणिक ,सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक रूप से महाराष्ट्र और गुजरात में छोड़कर लगभग सभी राज्यों में पिछड़ते जा रहै हैं और सभी राज्यों में हमारे समाज के संबंधित नेताओं को सामाजिक और राजनैतिक रूप से बहुत नुकसान पहुंचाया जा रहा है।
यह बात पूरी तरह सच्चाई है कि सामाजिक और सार्वजनिक जीवन के प्रति उदासीनता किसी भी जनसमूह को पतन की ओर ले जाती है। किंतु इस बात की समझ बहुत कम लोग ही विकसित कर पाते हैं। हमारा सामाजिक नेतृत्व इस बात के लिए जितना जागरुक होगा हमारा भविष्य उतना ही शानदार होगा।
हमारे वर्तमान के लिए भी हम उत्तरदायी हैं और साथ आगे आने वाली पीढ़ियों के उज्ज्वल भविष्य का उत्तरदायित्व भी हमारा है। इसीलिए यह बहुत जरूरी हो जाता है कि हम सब मिलकर एक दूसरे की ताकत बनें और उत्तरोत्तर प्रगति की राह पर चलें।
हमारा मानना है कि समुदाय के सशक्त सदस्य अपने स्वयं के समुदाय के विकास को बदलने के एजेंट के रूप में कार्य कर सकते हैं। हमें समुदाय को इस तरह से मजबूत करने और सक्षम बनाने पर अधिक ध्यान केंद्रित किया जाता है ताकि वे निकट भविष्य में अपनी खुद की वृद्धि और विकास का चार्ट बनाने के लिए आत्मनिर्भर और आश्वस्त हो जाएं। हम समुदाय में निहित हैं और समुदाय इनपुट, भागीदारी और निवेश के साथ काम करते हैं, समुदाय को हमारी सफलता का एक अभिन्न अंग मानते हैं। हम इष्टतम दीर्घकालिक लाभ, जवाबदेही पारदर्शिता और सामुदायिक स्वामित्व के लिए सक्रिय सामुदायिक भागीदारी और सहभागिता को प्रोत्साहित करते हैं।
विभिन्न समाजों के लगभग सभी व्यक्ति अपने जीवित के अनुरूप नए बदलावों को अपना रहे हैं। इस IT विकास कारक ने मुझे "कुर्मी समाज" के लिए आईटी के अपने अनुभव को योगदान देने के लिए प्रेरित किया,
काल करे सो आज कर, आज करे सो अब...
कबीर दास की यह लाइन आज के बदलाव में एकदम सटीक बैठती है। कल के भरोसे रहना मतलब कहीं न कहीं जिंदगी में अधूरापन रह जाएगा। दुनिया में सबकुछ बहुत तेजी से बदल रहा है, ऐसे में आज और अभी करेंगे तो ही इस रफ्तार के साथ कदमताल कर पाएंगे। अभी नहीं तो कभी नहीं, क्योंकि कल बहुत देर हो सकती है। सब कुछ पीछे छूट सकता है। जो करना है अभी कीजिए, अभी जानिए क्योंकि अभी में ही वो बात है जो हर पल यह एहसास कराता है कि मुझे बहुत कुछ पता है।
आपको बताते हुए अत्यन्त हर्षानुभुती हो रही है की देश विदेश में रहने वाले कुर्मी समाज के बन्धुओ के लिए वेबपोर्टल को बनाने का संकल्प लिया था। वह आज अपने महापुरुषों के आर्शीवाद से की कृर्पा से आज पूरा होने जा रहा है
हम अपने समाज के सदस्यों की प्रगति हेतु नवीनतम टेक्नोलॉजी अपनाने का पक्षधर रह है इसलिए मैंने कुर्मी समाज के प्रत्येक व्यक्ति को लाने के लिए "www.kurmiworld.com" नाम की एक वेबसाइट विकसित करने का फैसला किया, कुर्मी समाज के कल्याण और विकास के लिए नए,विचारों के आदान-प्रदान के लिए, दुनिया के किसी भी हिस्से में रहने के लिए एक दूसरे के करीब आना। मैं ये भी जनता हूँ की पहले भी इस तरह के कार्य को लेकर कई बार प्रयास हुए पर कभी स्वार्थवष विफल रहे कभी लोगो का साथ न मिलने की वजह से ,परन्तु इस बार ऐसा नहीं होगा। क्योकि किसी भी कार्य को करने के लिए ज़िद की जरुरत होती है और मुझे आलोचनाओं से फर्क नहीं पड़ता।
हम कुर्मी समुदाय के समग्र विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमारा उद्देश्य इस समुदाय से आने वाले प्रतिष्ठित सदस्यों से वित्तीय और नैतिक समर्थन प्राप्त करके इस स्वदेशी समुदाय की सामाजिक और सांस्कृतिक परंपराओं को संरक्षित करना, बढ़ावा देना और उनकी रक्षा करना है। हम समुदाय के सभी अच्छी तरह से बंद सदस्यों से एक साथ आने और उन्हें पोषण करने वाले समुदाय को वापस देने की अपील करते हैं। Kurmi World का उद्देश्य समाज के जन-जन तक सेवा सहायता एवं मार्गदर्शन पहुचाना है
"कुर्मीसमाज" को तेजी से जानकारी देने के लिए मैंने वेबसाइट को सबसे सुविधाजनक बना दिया है, इसलिए कोई भी व्यक्ति बहुत कम इंटरनेट ज्ञान जानता है जो दुनिया के किसी भी हिस्से में अपनी पसंद के विषय को देख सकता है। मेरा मकसद आईटी को बढ़ाना है। समाज के लड़कों और लड़कियों के बीच शिक्षा ताकि वे उन्हें इस क्षेत्र में अपडेट रख सकें और अधिक तेजी से बढ़ सकें। यह वेबसाइट "www.kurmiworld.com" निश्चित रूप से सभी सदस्यों के बीच सामाजिक संबंधों के विकास के लिए सबसे फलदायी साबित होगी। जिससे सामाजिक कार्यकर्मो , शुभ प्रसंगो व अन्य स्थतियो कि सुचना देने , प्राप्त करने में कुर्मी समाज वेबसाइट महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी ऐसा हमारा विश्वास है।
समस्त समाज बंधुओ से विनती हे की यदि और कुछ कुर्मी समाज के इतिहास के तथ्य सामने लाने की कोशिश करके अपना सहयोग देना चाहे तो आपका सहयोग सदेव सर्वोपरि हे
हम लोग को विचार अवश्य करना चाहिए कि हम लोग अपने हिस्से की कितनी कोशिश हमारे कुर्मी समाज के लोगों, संगठनों और देश के विकास करने के लिए करते हैं??
मैं आप लोगो का शुक्रिया अदा करता हूँ जो लोग इस काम में मेरे साथ हैं। मैं अपने इस कार्य को गाँव गाँव तक ले जाना चाहता हूँ ताकि इसका फायदा उन्हें मिले जिन्हे जरुरत है और जिनके पास देने के लिए चंदा नहीं होता और बिना चंदे के उनकी कोई मदद नहीं करता। हम आशा करते हैं कि यह समुदाय के लिए कई तरह से उपयोगी होगा जैसे कि वेबसाइट यानी सामाजिक विकास, गुणात्मक लेखों के साथ समाज की स्थिति का उत्थान, समाचार और शैक्षिक, पेशेवर, आर्थिक और कई और मुद्दे जिन्हें आप पढ़ना चाहते हैं । आपके बहुमूल्य सुझाव हमेशा आमंत्रित हैं। संचार के किसी भी माध्यम यानी ईमेल, फोन, विजिटर बुक / सुझाव पुस्तिका, SMS आदि में संपर्क करने के लिए स्वतंत्र महसूस करें। हम जहाँ भी संभव हो उसी को पूरा करने की पूरी कोशिश करेंगे। सामाजिक सुचना देने , प्राप्त करने में कुर्मी समाज वेबसाइट महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी ऐसा हमारा विश्वास है। मैं तहे दिल से आप सभी स्वजातिय बन्धुओ , सहयोगकर्ताओ का हार्दिक आभार व्यक्त करता हु और वेबसाइट में किसी भी प्रकार की त्रुटी के लिए मैं आपसे क्षमाँ प्राथी हु
इसका उद्देश्य दुनिया के कुर्मी समुदाय की पहचान, एकता और अखंडता को बनाए रखते हुए समुदाय को शैक्षिक, आर्थिक, व्यावसायिक, सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से विकास की नई ऊंचाइयों पर ले जाना है।
लोगों की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए, भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए, बदलते समय में, बदलती परिस्थितियों में, बदलती मांगों को पूरा करने के लिए आगे की योजना बनाना और सुसज्जित रहना kurmi world का उद्देश्य है।
मैं एक बार फिर कहता हूं कि हम उनके वंशज हैं जो इतिहास में अपने कार्यों से अमर हैं, आपको अपनी क्षमताओं, प्रतिभाओं को पहिचानने की जरूरत है, आप हर क्षेत्र में अग्रणी बन सकते हो। हमें आज अपने वास्तविक स्वरूप को जानने की जरूरत है। अबतक कुछ जातियों ने अपने निजी हित में प्रयोग किया है। हमें एकजुट होना ही होगा , यदि ऐसा नहीं हुआ तो निश्चित ही हमारी अगली पीढ़ी हमसे कहीं अधिक नकारात्मक माहौल झेलने को मजबूर होगी।
आइए हम "एक कुर्मी समाज-श्रेष्ठ कुर्मी समाज" की परिकल्पना को साकार करने के दृढ़ संकल्प के साथ कुछ ऐसा करें जिससे आपकी आने वाली पीढ़ी गर्व कर सके और सामाजिक जीवन के उच्चतम मूल्यों को प्राप्त कर सके।
मैं समाज का प्रहरी बनकर समाज को जागृत करूँ.. उन्नत करूँ..! मैं सच्चा सामाजिक बनूँ..यह ही मेरा धर्म है और इसी कार्य से सभी धर्म की पूर्णता होगी।