Chhatrapati Shivaji Maharaj, Quotes
देश के गौरव छत्रपति शिवाजी महाराज जन्म 19 फरवरी 1630 को महाराष्ट्र के शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। उनके पिता शाहजी भोसले सेनापति थे और उनकी माता जीजाबाई एक धार्मिक महिला थीं। मां से ही शिवाजी को धर्म और आध्यात्म की शिक्षा मिली थी। वीर शिवाजी बचपन से ही सामंती प्रथा के खिलाफ थे और मुगल शासकों द्वारा प्रजा के प्रति क्रूर नीतियों का पुरजोर विरोध करते थे। और जब मौका आया तो उन्होंने मुगलों को धूल चटा दी।
अपने दम पर खड़ा किया मराठा साम्राज्य- शिवाजी ने मुगल शासक औरंगजेब के समय में अपनी एक अलग सेना बनाई। उन्होंने 1674 में पश्चिमी भारत में मराठा साम्राज्य की स्थापना की। शिवाजी ने अपनी सेना में नौसेना की भी एक टुकड़ी बनाई थी, जिसने युद्ध के दौरान उनका खूब साथ दिया। वो युद्ध के दौरान गुरिल्ला पद्धति के इस्तेमाल पर जोर देते थे और कहा जाता है कि उन्होंने ही इस पद्धति को इजाद किया था।
मुगलों की विशाल सेना से लिया लोहा- शिवाजी के बढ़ते पराक्रम से बीजापुर का शासक आदिल शाह डर गया और उसने शिवाजी को बंधक बनाने की सोची। लेकिन जब वो शिवाजी को बंधक बनाने में सफल नहीं हुआ तो उनके पिता शाहजी को कैद कर लिया। पिता को छुड़ाने के लिए शिवाजी ने बीजापुर पर आक्रमण कर दिया और पिता को छुड़ाने के साथ पुरंदर और जावेली किले पर कब्जा कर लिया। इसी घटना के बाद औरंगजेब ने शिवाजी को पुरंदर की संधि के लिए बुलाया।
औरंगज़ेब को डर था कि शिवाजी उस पर हमला कर सकते हैं, इसलिए उसने शिवाजी को किसी बहाने से आगरा बुलाया और उन्हें 5000 सैनिकों की निगरानी में आगरे के किले में कैद कर लिया। लेकिन शिवाजी वहां से भाग निकलने में सफल रहे। इसके बाद उन्होंने मुगलों पर आक्रमण कर उन्हें पस्त कर दिया। इसी के बाद उन्हें छत्रपति शिवाजी महाराज कहा जाने लगा।
वीर शिवाजी की मौत को लेकर कहा जाता है कि लंबी बीमारी से उनकी जान गई। 1680 में अपनी राजधानी पहाड़ी दुर्ग में शिवाजी ने अपनी अंतिम सांस ली। उनकी मौत के बाद उनके बेटे संभाजी ने गद्दी संभाली थी।
शिवाजी को एक धर्मनिरपेक्ष शासक के रूप में याद किया जाता है। वो सभी धर्मों का सम्मान करते थे। उनकी सेना में तमाम उच्च पदों पर कई मुस्लिम आसीन थे। उन्होंने मस्जिदों के निर्माण में भी अनुदान दिया था।
शिवाजी के ये विचार आज भी देते हैं प्रेरणा:
- “एक छोटा कदम छोटे लक्ष्य पर, बाद में विशाल लक्ष्य भी हासिल करा देता है।”
- “जरुरी नहीं कि विपत्ति का सामना दुश्मन के सम्मुख से ही करने में वीरता हो। वीरता तो विजय में है।”
- “जब हौसले बुलन्द हों, तो पहाड़ भी एक मिट्टी का ढेर लगता है।”
- “शत्रु को कमजोर न समझो, तो अत्यधिक बलिष्ठ समझकर डरना भी नहीं चाहिए।”
- “सर्वप्रथम राष्ट्र फिर गुरु,फिर माता-पिता फिर,परमेश्वर अतः पहले खुद,को नहीं राष्ट्र को देखना चाहिए.”
- “जरूरी नहीं कि खुद की,गलती से सीखा जाए,हम दूसरों की गलती से भी,बहुत कुछ सीख सकते हैं.”
- “हर व्यक्ति को विद्या ग्रहण करनी चाहिए,क्योंकि लड़ाई में,जो काम शक्ति नहीं करती,वो काम युक्ति से होता है,और युक्ति विधा से आती है.”
- “अपने आत्मबल को जगाने वाला,खुद को पहचानने वाला,और मानव जाति के,कल्याण की सोच रखने वाला,पूरे विश्व पर राज कर सकता है.”
- “आत्मबल सामर्थ्य देता है,और सामर्थ्य विद्या प्रदान करती है,विद्या स्थिरता प्रदान करती है,और स्थिरता विजय की तरफ ले जाती है.”
- “किसी भी लक्ष्य को,पाने के लिए नियोजन,महत्वपूर्ण होता है,केवल नियोजन से ही,आप लक्ष्य पा सकते हैं.”
- सर्वप्रथम राष्ट्र, फिर गुरु, फिर माता-पिता, फिर परमेश्वर। अतः पहले खुद को नही राष्ट्र को देखना चाहिए।
- “एक सफल मनुष्य अपने कर्तव्य की पराकाष्ठा के लिए समुचित मानव जाति की चुनौती स्वीकार कर लेता है.”
- नारी के सभी अधिकारों में, सबसे महान अधिकार माँ बनने का है
- स्वतंत्रता एक वरदान है, जिसे पाने का अधिकारी हर कोई है।
- हर व्यक्ति को विद्या ग्रहण करनी चाहिए। क्योंकि लड़ाई में जो काम शक्ति नहीं करती वो काम युक्ति से होता हैं और युक्ति विधा से आती हैं।
- “एक छोटा कदम छोटे लक्ष्य पर, बाद में विशाल लक्ष्य भी हासिल करा देता है।”
- “शत्रु को कमजोर न समझो, तो अत्यधिक बलिष्ठ समझकर डरना भी नहीं चाहिए।”
- “जब लक्ष्य जीत की हो, तो हासिल करने के लिए कितना भी परिश्रम, कोई भी मूल्य , क्यो न हो उसे चुकाना ही पड़ता है।”
- “जो मनुष्य समय के कुच्रक मे भी पूरी शिद्दत से, अपने कार्यो मे लगा रहता है। उसके लिए समय खुद बदल जाता है।
- “कोई भी कार्य करने से पहले उसका परिणाम सोच लेना हितकर होता है, क्योकी हमारी आने वाली पीढी उसी का अनुसरण करती है।”
- “शत्रु चाहे कितना ही बलवान क्यो न हो, उसे अपने इरादों और उत्साह मात्र से भी परास्त किया जा सकता है।”
- शत्रु को कमजोर समझना याबहुत अधिक बलवान समझना दोनों ही स्थिति घातक है।
- अगर इंसान के पास आत्मबल है,तो वो पूरी दुनिया को अपने हौसले से हरा सकता है
- जो इंसान खराब समय मे भी पूरे मनोयोग से, अपने कार्यो मे लगा रहता है। उसके लिए समय भी खुद को बदल लेता है।
- जब आपकी मंजिल जीत हो,तो उसे हासिल करने के लिए चाहें कितना भी पुरुषार्थ क्यों न करना पड़े, चाहें कोई भी कीमत क्यों न चुकानी पड़े हमेशा तैयार रहें
- स्वतंत्रता ऐसा वरदान है, जिसे पाने का अधिकार सभी को है
- शत्रु को कमजोर या बलवान समझना, दोनों स्थिति घातक है
- शत्रु को कमजोर न समझो, लेकिन अधिक बलवान समझ डरो भी मत
- अपना सिर कभी मत झुकाओ, हमेशा उसे ऊंचा रखो
- बदले की भावना मनुष्य को जलाती रहती है, संयम ही प्रतिशोध को काबू करने का एकमात्र उपाय है
- यद्धपि सबके हाथ में एक तलवार होती है, लेकिन वही साम्राज्य स्थापित करता है जिसमें इच्छाशक्ति होती है।
- जब आप अपने लक्ष्य को तन-मन से चाहोगे तो मां भवानी की कृपा से जीत आपकी ही होगी।
- जो व्यक्ति स्वराज्य और परिवार के बीच स्वराज्य को चुनता है, वही एक सच्चा नागरिक होता है।
- जब लक्ष्य जीत का हो, तो उसे हासिल करने के लिए कितना भी परिश्रम क्यों न करना पड़े और कोई भी मूल्य क्यों न हो, उसे चुकाना ही पड़ता है।
- एक स्त्री के सभी अधिकारों में सबसे महान अधिकार उसका मां होना है।
- जब एक पेड़ इतान दयालु और सहिष्णु हो सकता है कि वो पेड़ को पत्थर मारने वाले इंसान को भी मीठे आम दे तो क्या एक राजा होने के नाते मुझे उस पेड़ से ज्यादा दयालु और सहिष्णु नहीं होना चाहिए।
- शत्रु को कमजोर नहीं समझना चाहिए और ना ही बलवान समझना चाहिए। जो वो आपके साथ कर रहा है, उस पर ही ध्यान देना चाहिए।