B.Ed टॉपर सूरज पटेल मिर्ज़ापुर: खेतों से क्लासरूम तक का सफर, आईएएस बनने का सपना

किसान का बेटा बना बीएड टॉपर: संघर्ष की मिसाल बना सूरज कुमार पटेल
मिर्जापुर/अहरौरा: कहते हैं कि अगर हौसले बुलंद हों तो आर्थिक तंगी भी सफलता के रास्ते में रुकावट नहीं बन सकती। मिर्जापुर जिले के अहरौरा थाना क्षेत्र के छोटे से गांव वनइमिलिया के किसान सूरज कुमार पटेल ने इस बात को सच कर दिखाया है। उत्तर प्रदेश संयुक्त बीएड प्रवेश परीक्षा 2025 में सूरज ने 400 में से 362.66 अंक प्राप्त कर प्रदेश में टॉप किया है और अपने परिवार व जिले का नाम रोशन किया है।
गरीबी में पला-बढ़ा, पर सपने बड़े थे
सूरज के पिता बबलू पटेल साधारण किसान हैं और खेती-किसानी कर किसी तरह परिवार का गुजारा करते हैं। आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण सूरज को बचपन में ही अपने मामा दिनेश कुमार के पास वाराणसी पढ़ने भेज दिया गया। मामा ने न केवल पढ़ाई का खर्च उठाया बल्कि उसे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित भी किया। सूरज ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा वाराणसी में पूरी की और फिर प्रयागराज जाकर रज्जू भैया महाविद्यालय से बीएससी (मैथ्स) की पढ़ाई की।
संघर्ष की कहानी बनी सफलता की कहानी
बीएड प्रवेश परीक्षा की तैयारी करते समय सूरज ने पढ़ाई के साथ-साथ आर्थिक कठिनाइयों का भी सामना किया। लेकिन मेहनत रंग लाई और आज सूरज अपने परिवार और गांव के लिए प्रेरणा बन चुका है। सूरज की मां माया देवी कहती हैं, "बेटे के लिए जो सपना देखा था, वह अब सच होने की ओर बढ़ रहा है।"
सूरज की दो छोटी बहनें काजल (12वीं कक्षा) और आंचल (11वीं कक्षा) की छात्राएं हैं। सूरज ने कहा, "पिता को खेतों में मेहनत करते देखा है। गरीबी क्या होती है, इसे मैंने करीब से महसूस किया है। अब सपना है कि आईएएस बनूं और अपने माता-पिता का सपना पूरा करूं।"
अगला लक्ष्य – आईएएस बनना
सूरज का सपना आईएएस बनकर देश की सेवा करना है। फिलहाल वह किसी नौकरी की तलाश में है ताकि पिता के कंधों से बोझ हल्का कर सके। इसके बाद पूरी मेहनत से आईएएस परीक्षा में सफलता हासिल करने की योजना है।
कुर्मी समाज के लिए प्रेरणा
सूरज कुमार पटेल की कहानी न केवल मिर्जापुर या उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे कुर्मी समाज के लिए गर्व और प्रेरणा का स्रोत है।
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