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गन्ना, लौकी और केले से डबल इनकम – जानिए किसान राज बहादुर वर्मा, अयोध्या का फार्मिंग फॉर्मूला

सहफसली खेती से किसानों के प्रेरणास्रोत बने राजबहादुर वर्मा
अयोध्या, तारुन: अयोध्या जनपद के करनाईपुर गांव निवासी राज बहादुर वर्मा ने खेती को सिर्फ जीविका नहीं, बल्कि सफलता की कहानी बना दिया है। दर्शनशास्त्र और प्राचीन इतिहास में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से परास्नातक करने के बाद राजबहादुर ने खेती में करियर बनाने का निर्णय लिया। उन्होंने सहफसली खेती (Intercropping) अपनाकर लाखों का मुनाफा कमाया और क्षेत्र के अन्य किसानों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गए।
राज बहादुर लगभग 22 बीघे भूमि पर एक दर्जन से अधिक फसलों की खेती कर रहे हैं, जिनमें गन्ना, मक्का, केला, आम और विभिन्न प्रकार की सब्ज़ियां शामिल हैं। खास बात यह है कि वे प्राकृतिक खेती को अपनाते हैं और रासायनिक खादों का प्रयोग नहीं करते।
लौकी की खेती में उन्होंने नया आयाम स्थापित किया है — एक बीघे में लौकी लगाकर रोज़ 1 से 1.5 क्विंटल लौकी मंडी भेज रहे हैं। मंडियों में उनकी लौकी की खास डिमांड है, क्योंकि यह स्वादिष्ट और जल्दी पकने वाली होती है।
डबल मुनाफे की तकनीक
राज बहादुर ने गन्ने के साथ टमाटर, खरबूजा, उड़द और शरदकाल में चना, मटर व मक्का की फसलें लगाई हैं। केले के साथ खीरा और बैंगन तथा खीरे के शेड पर करेला उगाकर डबल मुनाफा प्राप्त कर रहे हैं। मक्का की फसल तो वे साल में चार बार काटते हैं।
रोज़गार सृजन में भी अग्रणी
राज बहादुर वर्मा प्रतिदिन 6 मजदूरों को रोजगार भी उपलब्ध करा रहे हैं। उनके बाग में आम की एक दर्जन प्रजातियां हैं — जैसे मियांजाकी, अरुणिमा, सेंसेशन, आम्रपाली आदि। साथ ही वे सहफसली सूरन की खेती भी कर रहे हैं।
उनकी मेहनत और नवाचार के लिए उन्हें गन्ना शोध संस्थान, लखनऊ से 3 बार, कुमारगंज विश्वविद्यालय से 12 बार और ब्लॉक स्तर पर कई बार पुरस्कृत किया गया है।
राज बहादुर की कहानी उन किसानों के लिए प्रेरणा है जो खेती को घाटे का सौदा मानते हैं। सही योजना और मेहनत से खेती को भी फायदे का व्यवसाय बनाया जा सकता है।
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