Chhatrapati Shivaji Maharaj: जानिए शिवाजी महाराज क्यों कहलाते हैं 'छत्रपति'?

शिवाजी का नाम लेते ही आंखों के सामने एक वीर शासक, आज्ञाकारी पुत्र और नेक मराठा योद्धा की तस्वीर घूम जाती है। इस वीर की कथाओं में इतना असर है कि आज भी जब भारत के किसी घर में कोई महिला गर्भवती होती है तो उसकी मां और सास उस महिला से कहती है कि वो छत्रपति शिवाजी की कहानियां पढ़कर अपने गर्भ में पल रहे शिशु को सुनाए, जिससे आने वाला बच्चा उन्हीं की तरह बहादुर पैदा हो। आज ही के दिन यानी 6 जून, 1674 को छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक हुआ था। इसी दिन शिवाजी ने महाराष्ट्र में हिंदू राज्य की स्थापना की थी, जिसके बाद ही उनको 'छत्रपति' की उपाधि मिली।

जन्म 19 फ़रवरी 1630 को

शाहजी भोंसले की पत्नी जीजाबाई की कोख से शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 को शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। शिवनेरी का दुर्ग पूना (पुणे) से उत्तर की तरफ जुन्नर नगर के पास था।

शिवाजी का पूरा नाम शिवाजी राजे भोंसले

शिवाजी का पूरा नाम शिवाजी राजे भोंसले था लेकिन वो छत्रपति शिवाजी के नाम से मशहूर हुए। इनका जन्म पश्चिम भारत के मराठा में हुआ था तथा ये मराठा साम्राज्य के स्थापक भी थे। शिवाजी को सेनानायक के नाम से भी जाना जाता हैं।

माता जीजाबाई

शिवाजीने शिक्षा -दीक्षा अपनी माता जीजाबाई से प्राप्त की थी इसलिए शिवाजी की पहली गुरू उनकी मां ही थी। शिवाजी के व्यक्तित्व में उनकी मां का असर सबसे ज्यादा दिखाई देता है। इसलिए अगर लोग शिवाजी की वीर गाथा गाते हैं तो उससे पहले मां जीजाबाई को प्रणाम करते हैं।

'माउंटेन रैट' कहा जाता था शिवाजी को

शिवाजी ने शस्त्रों का प्रयोग करने की शिक्षा और युद्ध लड़ने की शिक्षा अपने दादाजी कोंदेव से प्राप्त की थी।इन दोनों ने ही मिलकर शिवाजी में हिन्दुतत्व की भावना का प्रसार किया था और उसे अपने धर्म की रक्षा कैसे करनी चाहिए, इसके लिए शास्त्रार्थ ज्ञान भी दिया था। शिवाजी को 'माउंटेन रैट' भी कहकर पुकारा जाता था क्योंकि वह अपने क्षेत्र को बहुत अच्छी तरह से जानते थे और कहीं से कहीं निकल कर अचानक ही हमला कर देते थे और गायब हो जाते थे। इन्हें गोरखा युद्द का जनक भी कहते हैं।

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