जब सरदार पटेल ने कहा था- मैं मुसलमानों का सच्चा दोस्त, पर उन्हें देश से वफादारी का प्रमाण पेश करना होगा
सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को हुआ था। (फाइल फोटो)
मुसलमानों के बारे में सरदार वल्लभभाई पटेल की राय को लेकर उनके जीते जी भी सवाल उठते थे। पिछले कुछ सालों में ये मसला जेरे बहस है इसे लेकर राजनीतिक दलों, मीडिया और सोशल मीडिया पर रस्साकशी होती रहती है। आइए देखते हैं कि सरदार पटेल ने मुस्लिमों को लेकर क्या कहा है। नीचे हम आपको “लाइफ एंड वर्क्स ऑफ सरदार वल्लभभाई पटेल” में संकलित कुछ अंश पेश कर रहे हैं। इस किताब के प्रधान संपादक थे पीडी सग्गी। पुस्तक में सरदार पटेल के भाषणों और वक्तव्यों का संकलन है। किताब में उनकी जीवनी और उन पर उनके समकालीनों के विचार भी हैं। किताब की प्रस्तावना में देश के पहले भारतीय गवर्नर जनरल सी राजागोपालचारी ने लिखा है, “वल्लभभाई गांधीजी जी के लिए वहीं थे जो लक्ष्मण श्री राम के लिए थे। जो लोग रामचंद्र और सीता की आराधना करते हैं उनसे इससे ज्यादा कुछ कहने की जरूरत नहीं।” लौह पुरुष कहे जाने वाले पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात में हुआ था। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नायक रहे पटेल आजादी के बाद देश के पहले उप-प्रधानमंत्री और गृह मंत्री बने। 15 दिसंबर 1950 को सरदार पटेल का निधन हो गया। साल 2014 से देश में हर साल सरदार पटेल जयंती पर “राष्ट्रीय एकता दिवस” मनाया जाता है। नीचे पढ़ें पटेल के विभिन्न मुद्दों पर विचार।
मुसलमानों की देशभक्ति पर सरदार पटेल-
….अगर नए स्वतंत्र लोकतांत्रिक देश भारत को एशियाई देशों का नेतृत्व करना है और विदेशी प्रभुत्व को खत्म करना है तो सांप्रदायिक और कारोबारी सौहार्द्र बनाए रखना जरूरी है।
मैं मुसलमानों का सच्चा दोस्त हूं, हालांकि मुझे उनका सबसे बड़ा दुश्मन बताया जाता रहा है। मैं सीधी बात करने में यकीन रखता हूं। मैं उनसे साफ कहना चाहता हूं कि इस नाजुक मोड़ पर केवल भारतीय संघ के प्रति वफादारी की घोषणा से उन्हें मदद नहीं मिलेगी। उन्हें इसका व्यावहारिक प्रमाण पेश करना होगा।
मैं उनसे पूछता हूं कि आप भारतीय इलाकों पर सीमावर्ती कबायलियों की मदद से किए गए पाकिस्तानी हमले की बगैर हीलाहवाली के निंदा क्यों नहीं करते? क्या ये उनका दायित्व नहीं है कि वो भारत पर होने वाले हर हमले की निंदा करें?
मुसलमानों को देश से निकालने पर सरदार पटेल-
….अभी हमने सुना कि कुछ लोग चिल्ला रहे थे कि मुसलमानों को देश से बाहर कर देना चाहिए। जो लोग ऐसा कह रहे हैं वो गुस्से से पागल हो गये हैं। एक पागल उस आदमी से थोड़ा बेहतर ही होता है जो क्रोध में पागल हो। पागल का तो इलाज हो सकता है और शायद वो ठीक भी हो जाए लेकिन क्रोध में पागल व्यक्ति तो पूरी तरह आत्म नियंत्रण खो देता है। ऐसे लोग समझ नहीं पाते कि मुट्ठीभर मुसलमानों को बाहर निकालने से कुछ नहीं हासिल होने वाला है। हमें उन लोगों से सहानुभूति है जिन्हें अपने प्रियजन और संपत्ति का नुकसान सहना पड़ा है….लेकिन हमें इसे सहना पड़ेगा। साथ ही साथ हम जब तक सरकार में हैं, हमें शासन करना होगा। अगर हम जाति, धर्म या संप्रदाय से ऊपर उठकर देश के सभी नागरिकों के अभिभावक के तौर पर शासन नहीं कर सकते तो हम उस पद पर रहने के अधिकारी नहीं जहां आज हम हैं। इसलिए ऐसी मांगे मुझे चिंतित और परेशान करती हैं। मैं खुद से साफ शब्दों में पूछता हूं कि “क्या हमें दुनिया के सामने ये मान लेना चाहिए कि हम शासन के योग्य नहीं हैं?”
….मैं साफ बात करने वाला आदमी हूं। मैं हिंदुओं और मुसलमानों दोनों से कड़वी बातें कहता हूं। साथ ही मैंने हमेशा कहा है कि मैं मुसलमानों का दोस्त हूं। अगर मुस्लिम मुझे दोस्त स्वीकार नहीं करते तो वो भी पागलों की तरह बरताव करेंगे। ऐसा प्रतीत होता है कि वो सही और गलत का भेद नहीं कर पा रहे। लेकिन उनके इस रवैये की वजह से मैं सत्य से नहीं विमुख हो सकता। मैं अपने कर्तव्य से मुंह नहीं मोड़ सकता।
गांधीजी के सपनों के राम राज्य पर पटेल-
सरदार वल्लभभाई पटेल के ये सभी उद्धरण इसी किताब से लिए गये हैं।
….मैं आपसे गांधीजी के कार्यक्रम को लागू करने की अपील करता हूं। अब आपकी बहादुरी और साहस की परीक्षा का वक्त है। गांधी ने अपनी तपस्या से आजादी हासिल की। मैं आपको बताता हूं कि आप गांधीजी के सपनों का राम राज्य कैसे ला सकते हैं। इसके लिए पहला काम हिंदू-मुस्लिम एकता स्थापित करना है। दूसरा काम है छुआछूत दूर करना। तीसरा काम है आत्म निर्भर बनना…अपनी संस्कृति की सर्वोत्तम चीजों का संरक्षण कीजिए और अपने विचारों के लिए निस्वार्थ भाव से समर्पित हो जाइए। अगर आप ऐसा कर पाए तो आप अपने लक्ष्य जरूर प्राप्त कर लेंगे और राम राज्य की स्थापना कर सकेंगे।
हिंदू राष्ट्र बनाम सेकुलर राष्ट्र पर सरदार पटेल-
…जहां तक सेकुलर बनाम हिंदू राज्य का सवाल है, तो हिंदू राज्य पर चर्चा को गंभीरता से नहीं लिया जा सकता। लेकिन एक तथ्य निर्विवाद है। भारत में करीब साढ़े चार करोड़ मुसलमान हैं। उनमें से कइयों ने पाकिस्तान के निर्माण में सहयोग दिया था। कोई ये कैसे मान ले कि वो रातों रात बदल जाएंगे?
मुस्लिम कहते हैं कि वो देशभक्त नागरिक हैं और किसी को उनकी देशभक्ति पर शक क्यों करना चाहिए? मैं उनसे कहूंगा: “आप हमसे क्यों पूछते हैं? अपनी आत्मा को टटोलिए।”
कश्मीर पर मुसलमानों से पटेल का सवाल-
…मैं भारतीय मुसलमानों से एक ही सवाल पूछना चाहता हूं। हाल में हुए आल इंडिया मुस्लिम कॉन्फ्रेंस में आपने कश्मीर मुद्दे पर मुंह क्यों नहीं खोला? आपने पाकिस्तान की करतूत की निंदा क्यों नहीं की?
इन बातों से लोगों के जहन में संशय पैदा होता है। इसलिए मैं मुसलमानों का दोस्त होने के नाते एक बात कहना चाहता हूं और एक अच्छे दोस्त का फर्ज है कि वो साफ बात कहे। अब ये आपका फर्ज है कि एक नाव में साथ-साथ सफर करें और साथ डूबें या साथ तैरें। मैं आपसे साफ कहता हूं कि आप एक साथ दो घोड़ों की सवारी नहीं कर सकते। आपको जो बेहतर लगे वो एक घोड़ा चुन लीजिए।
आरएसएस पर सरदार पटेल-
….मैंने आरएसएस को कांग्रेस में शामिल होने का न्योता देता हूं और कहता हूं कि वो देश में अशांति पैदा करके प्रशासन को पंगु न बनाएं। मैं समझता हूं कि वो स्वार्थ से प्रेरित नहीं हैं लेकिन वक्त की मांग है कि वो सरकार के हाथ मजबूत करें और शांति बहाली में मदद करें। हिंसा का सहारा लेकर वो देश की सच्ची सेवा नहीं कर सकते।
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