...जब देश के लिए खतरा बन गया था RSS और करना पड़ गया था इसे बैन
हिंदू राष्ट्र और हिंदुत्व पर कट्टर सोच रखने के लिए जाना जाने वाला आरएसएस इन दिनों एक अलग ही रूप में नजर आ रहा है। दिल्ली में चल रहे आरएसएस कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत नरम विचारधारा से जुड़े बयान देते नजर आ रहे हैं। बीजेपी राज में खुलकर सामने आने वाला आरएसएस एक समय में ऐसे दौर से भी गुजर था जब इसे बैन कर दिया गया। ये बैन स्वतंत्रता की लड़ाई के बड़े चेहरे सरदार वल्लभभाई पटेल ने गृहमंत्री के पद पर रहते हुए किया था। आइये जानते हैं आखिर क्यों राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को किया गया था बैन...
जब पटेल ने किया था आरएसएस को बैन
जवाहर लाल नेहरू और महात्मा गांधी के करीबी व देश के पहले गृहमंत्री सरदार पटेल के पत्रों से आरएसएस देश के लिए खतरा नजर आता है। पटेल संघ विरोधी नहीं थे लेकिन संघ की देशभक्ति उन्हें ठीक नहीं लगती थी। पटेल ने 4 फरवरी 1948 को संघ पर बैन लगा दिया था। बैन लगाने पर उन्होंने चिठ्ठी में लिखा था कि इसमें कोई दो राय नहीं कि आरएसएस ने हिंदू समाज की सेवा की है। जहां भी समाज को जरूरत महसूस हुई, संघ ने बढ़-चढ़ कर सेवा की। लेकिन इसका एक और चेहरा भी है, जो मुसलमानों से बदला लेने के लिए उन पर हमले करता है। हिंदुओं की मदद करना एक बात है लेकिन गरीब, असहाय, महिला और बच्चों पर हमला असहनीय है।
संघ के भाषण में सांप्रदायिकता का जहर
देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या मामले में भी संघ का नाम आता है। इस पर पटेल ने नेहरू को एक और पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने कहा था कि संघ का गांधी का हत्या में सीधा हाथ तो नहीं है लेकिन ये जरूर है कि गांधी की हत्या का इन लोगों ने जश्न मनाया था। उन्होंने गांधी की हत्या के बाद मिठाइयां बांटी थी। ऐसे में संघ के खिलाफ कार्रवाई करना जरूरी हो गया था। पटेल के मुताबिक गांधी की हत्या में हिंदू महासभा के उग्रपंथी गुट का हाथ था। उन्होंने कहा कि आरएसएस ने हिंदू समाज के लिए काम किया है, लेकिन आरएसएस बदले की आग से खेल रही है और मुसलमानों पर हमले कर रही है। उनके सारे भाषण सांप्रदायिकता के जहर से भरे होते हैं। इस जहर का नतीजा देश को गांधी जी के बलिदान के रूप में चुकाना पड़ा।
बदली-बदली आरएसएस की विचारधारा
विज्ञान भवन में चल रहे आरएसएस के कार्यक्रम में जो विचारधारा सामने लाई जा रही है, वो पटेल के समय से काफी अलग नजर आ रही है। मोहन भागवत ने अपने कार्यक्रम में कहा कि मुस्लिम पराए नहीं है। हिन्दू राष्ट्र का मतलब यह नहीं कि यहां मुस्लिम नहीं चाहिए। जिस दिन ऐसा कहेंगे तो वह हिन्दुत्व नहीं रहेगा। उन्होंने अपने भाषण में जोर देकर कहा कि देश में रहने वाले विभिन्न जातियों, धर्म, बोलियों को बोलने व मानने वाले सभी लोग अपने हैं। हमारा कोई शत्रु देश व दुनिया में नहीं है, यदि कोई है भी तो हम उसे साथ लेकर चलने की आकांक्षा रखते हैं। उन्होंने कहा कि देशभक्ति, पूर्वज गौरव व संस्कृति यह हिन्दुत्व के तीन आधार हैं।
देश में रहने वाले सभी अपने
संघ का काम बंधुभाव का है और इसी बंधुभाव का आधार है विविधता में एकता। यही विचारधारा जिसे दुनिया हिन्दुत्व कहती है, इसी वजह से हम हिन्दू राष्ट्र कहते हैं। हिन्दुत्व विश्व कुटुंब की बात करता है, इसलिए इस देश में रहने वाले सभी अपने हैं, विभिन्न धर्म के लोग भी पराए नहीं हैं। उन्होंने कहा कि संघ समाज में महिलाओं को बराबरी की हिस्सेदार और जिम्मेदार मानता है। भागवत ने कहा कि महिलाओं को समानता और शक्ति स्वरूपा की बात तब तक बेमानी है, जब तक कि उसे अपने आचरण में शामिल कर महिलाओं के लिए उचित अवसर सही मायने में नहीं दिए जाएंगे।
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