डॉक्टर को रिटायरमेंट से पहले हटाया, विधायक को जूते से पीटा, जगरूप शिक्षक पे FIR... कुर्मी नेता चुप क्यों ?

समाज जल रहा है, नेता सत्ता की मलाई में डूबे हैं! | डॉ. लव कुश पटेल की कलम से

जब पूरा कुर्मी समाज, OBC वर्ग और अल्पसंख्यक समाज योजनाबद्ध तरीके से निशाने पर है, तब सबसे बड़ा सवाल उठता है –
आखिर इसके लिए ज़िम्मेदार कौन है?

क्या सिर्फ योगी-मोदी सरकार?
क्या सिर्फ पुलिस और प्रशासन?

सच्चाई इससे कहीं अधिक कड़वी है।
असल गुनहगार वे हैं जो समाज के नाम पर राजनीति, पत्रकारिता और समाजसेवा की मलाई चाट रहे हैं।
जिन्होंने OBC, कुर्मी और पिछड़े समाज की पीठ पर चढ़कर सत्ता की कुर्सियां पाई – आज वही सत्ता के सुख में डूबे हैं और समाज पर हो रहे हमलों पर चुप्पी साधे बैठे हैं।

समाज पर वार, नेताओं की चुप्पी

  • बरेली में एक शिक्षक ने कांवड़ यात्रा पर बच्चों को कविता के जरिए जागरूक किया, तो उसे सस्पेंड कर दिया गया।

  • दिल्ली विश्वविद्यालय में डॉ. लक्ष्मण यादव को सच बोलने पर बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।

  • लखनऊ KGMU में एक वरिष्ठ OBC डॉक्टर को रिटायरमेंट से महज 3 दिन पहले जबरन हटा दिया गया।

  • 2 विधायक पीटे गए।

फिर भी क्या OBC, कुर्मी समाज और PDA के नेता कुछ बोले?
अनुप्रिया पटेल, आशीष पटेल, पल्लवी पटेल, ओमप्रकाश राजभर, डॉ. संजय निषाद, केशव मौर्य, स्वतंत्र देव सिंह जैसे नेता अब भी मौन हैं।
यहां तक कि PDA मॉडल का नारा देने वाले अखिलेश यादव भी गांधीवादी चुप्पी ओढ़े बैठे हैं।

सवाल उठता है:

कांवड़ यात्रा में कितने DM, SSP, IAS, IPS, मंत्री, अभिनेता, उद्योगपति के बेटे शामिल होते हैं?
जवाब है – शून्य।

कांवड़ उठाते हैं वे गरीब बच्चे,
जिनके मां-बाप मजदूरी कर-करके उन्हें पढ़ा रहे हैं।
जिन्हें शिक्षक ने कविता से दिशा दी, उसी शिक्षक पर FIR हो जाती है।

अब भी खामोश रहेंगे?

आज सिस्टम गरीबों की आवाज़ को कुचलने में लगा है।
जो सच बोल रहा है, उसे प्रताड़ित किया जा रहा है।
अब फैसला समाज को करना है –
क्या अब भी चुप रहेंगे? या अब वक्त आ गया है कि हम सड़कों पर उतरें?