कुर्मी सम्राट राजा चोलन का गौरवशाली इतिहास

कुर्मी नरेश राजा राजा चोलन का गौरवशाली इतिहास
"इतिहास केवल बीते हुए समय की कहानी नहीं, बल्कि हमारी जड़ों का आईना है।"
कुर्मी समाज के लिए गर्व का विषय हैं राजा राजा चोलन — एक ऐसा नाम, जिसने अपने साम्राज्य की सीमाओं को भारत से पार कर दक्षिण-पूर्व एशिया तक फैला दिया। वे न केवल एक महान योद्धा और प्रशासक थे, बल्कि एक समर्पित सनातनी और सांस्कृतिक दूत भी थे।
साम्राज्य की विशालता
राजा राजा चोलन ने सन 985 से 1014 ई. तक शासन किया। उनका साम्राज्य आज के ओडिशा (प्राचीन कलिंग), पूरा दक्षिण भारत, श्रीलंका का 75% भाग, मालदीव, थाईलैंड, और मलेशिया जैसे देशों तक फैला था।
उनका प्रभाव बंगाल की खाड़ी से लेकर हिंद महासागर और दक्षिण-पूर्व एशिया तक महसूस किया जाता था।
धर्म और संस्कृति के संवाहक
राजा राजा चोलन भगवान शिव के परम भक्त थे और सनातन धर्म की शैव परंपरा से जुड़े थे। उन्हें धार्मिक ग्रंथों में "राजा राजा शिवपद शेखर" कहा गया है, जिसका अर्थ है —
"वह राजा जिसके मुकुट में भगवान शिव के चरण विराजमान हों।"
उन्होंने अपने शासनकाल में न केवल धर्म का संरक्षण किया, बल्कि उसे दूर देशों तक फैलाया। आज भी दक्षिण-पूर्वी एशिया में सनातन संस्कृति की झलक उनके प्रयासों की गवाही देती है।
तंजावुर का भव्य मंदिर
राजा राजा चोलन की वास्तुकला और धर्म के प्रति भक्ति की अमिट छाप तंजावुर स्थित बृहदेश्वर मंदिर (Big Temple) में देखी जा सकती है। यह मंदिर न केवल दक्षिण भारत बल्कि पूरी दुनिया में सबसे विशाल और अद्भुत हिंदू मंदिरों में से एक है।
सामुद्रिक शक्ति और रणनीति
उनकी अद्भुत नौसेना दक्षिण भारत की सबसे शक्तिशाली सेनाओं में से एक मानी जाती थी, जिसका नियंत्रण बंगाल की खाड़ी, अरब सागर और हिंद महासागर के बड़े हिस्से पर था। इस सामुद्रिक शक्ति के दम पर चोल साम्राज्य ने व्यापार, संस्कृति और धर्म का प्रसार किया।
राजेन्द्र चोल की विरासत
राजा राजा चोलन के निधन के बाद उनके पुत्र राजेन्द्र चोल ने साम्राज्य की बागडोर संभाली और चोल वंश को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। उन्होंने भी अपने पिता की तरह धर्म, प्रशासन और सैन्य विस्तार में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
कुर्मी समाज के लिए प्रेरणा
राजा राजा चोलन का जीवन इस बात का प्रमाण है कि कुर्मी समाज ने हर युग में अपनी शक्ति, बुद्धि और नेतृत्व का परिचय दिया है।
पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण — हर काल और हर क्षेत्र में कुर्मियों का प्रभाव रहा है।
आज आवश्यकता है कि हम अपने इतिहास से प्रेरणा लेकर आत्मबल और एकता को पहचानें।
???? कुर्मी समाज को एकजुट करने और गौरवशाली इतिहास को साझा करने के लिए इस लेख को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँचाएं।
???? "जय कुर्मी समाज! जय राजा राजा चोलन!"