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घरवालों ने घर से निकाल दिया, लोगों ने दिए ताने लेकिन नहीं मानी मानी, संघर्ष करते हुए बनी सरपंच और बदल दी गांव की तकदीर

हमारे समाज में आज भी ट्रांसजेंडर समुदाय (Transgender Community) को एक अलग दृष्टि से देखा जाता है जबकी ट्रांसजेंडर होना उनकी गलती नहीं होती है। वह प्राकृतिक है इसके बावजूद भी लोग उन्हें हीन भावना से देखते हैं। हालांकि, अब सरकार की तरफ से LGBTQIA समुदायों को भी पहचान देने की कोशिश की जा रही है। इसके अलावा ट्रांसजेंडर समुदाय भी अपने साथ दूसरों द्वारा किए जा रहे व्यवहार को झेलते हुए नए-नए कीर्तिमान रच रहे हैं।

आज की यह कहानी भी एक ऐसे ही ट्रांसजेंडर (Transgender) है जिसने समाज की कड़वी बातों को सुना, घरवालों ने छोड़ दिया था। इसी तरह तमाम चुनौतियों का सामना करते हुए आखिरकार उसने अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ी और एक सरपंच बनकर गांव की तकदीर बदल दिया। चलिए जानते हैं गांव की तस्वीर बदलने वाली ट्रांसजेंडर के बारें में

कौन है वह ट्रांसजेंडर सरपंच?

दरअसल हम बात कर रहे हैं ट्रांसजेंडर अंजलि पाटिल की (TransgenderAnjali Patil), जो महाराष्ट्र (Maharastra) के जलगांव के भदली बुद्रुक ग्राम पंचायत की पहली ट्रांसजेंडर सरपंच बनी हैं। ऐसा करके उन्होंने एक नया इतिहास कायम किया है साथ ही लोगों को दिखा दिया कि वे भी औरों से अलग नहीं है और उन्हें भी इज्ज्त से जीने का पूरा अधिकार है। हालांकि, एक ट्रांसजेंडर होने के नाते उनके सरपंच बनने की राह आसान नहीं थी।

आसान नहीं था सरपंच की कुर्सी तक पहुंचने का सफर

शुरु से ही हमारे समाज के ठेकेदारों ने उंच-नीच, छोटा-बड़ा में लोगों को बांट दिया है जो आज भी समाज में कायम है। एक आम आदमी का चुनाव लड़ने के लिए उसका नामांकन आसानी से हो जाता है लेकिन एक ट्रांसजेंडर होने की वजह से अंजलि के चुनाव लड़ने के लिए उनका नामांकन खारिज कर दिया गया था। इस तरह की हरकत देखकर उन्होंने हार मानकर इंसाफ के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

ग्रामीणों बहुमत से दिलाया अंजलि को जीत

अदालत सभी को न्याय देती है और अंजलि को भी न्याय मिला। नामांकन खत्म होने के एक दिन पहले कोर्ट ने कोर्ट ने अंजलि के हक में अपना फैसला सुनाया। अदालत ने उन्हें चुनाव के लिए महिला कैटेगरी से आवेदन करने की अनुमति दे दी। कोर्ट का यह फैसला पूरे समाज के लिए एक सबक था, इस फैसले ने ट्रांसजेंडर को भी चुनाव लड़ने की अनुमति दे दी। उसके बाद उन्होंने जीत हासिल करने के लिए जोर-शोर से प्रचार करना शुरु कर दिया।

बनीं गांव की पहली ट्रांसजेंडर सरपंच

कई अन्य ट्रांसजेंडर भी उनकी जीत के लिए मैदान में उतरकर वोट मांगे और अन्ततः ग्रामीणों ने उन्हें 560 वोट देकर जीत दिलाया। इस तरह वह पहली सरपंच बनीं। सरपंच का चुनाव जीतने के बाद उन्हें सभी ओर से बधाई मिल रही थी, लेकिन उन्हें किसी और की तरह से बधाई का इंतजार था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होंने बताया कि, जीत हासिल करने के बाद जहां सभी बधाइयां दे रहे वहीं उन्हें अपने घर से कॉल आने का बेसब्री से इंतजार था। लेकिन घर से उन्हें कॉल नहीं आया।

घरवालों ने बेसहारा छोड़ दिया

आमतौर पर सभी घरवाले अपने बच्चों से काफी प्रेम करते हैं और अपनी आंखों से उन्हें ओझल नहीं होने देते हैं। लेकिन अंजलि की कहानी कुछ अलग है। वह कहती हैं कि विद्यालय में सभी बच्चे उन्हें काफी सताते थे। हालांकि, काफी कम उम्र में ही वह जान चुकी थीं कि उनके शरीर की बनावट बाकियों से अलग है। एक दिन जब उनके घरवालों को जानकारी मिली कि वह लड़कियों का शौचालय इस्तेमाल करती हैं तो उन्हें घरवालों में बहुत मारा-पीटा। इतना ही नहीं इस आदत को छुड़ाने के लिए उनके साथ अक्सर ऐसा व्यवहार किया जाता था। उसके बाद एक दिन तंग आकर परिवारवालों ने उन्हें घर से निकाल दिया।

घर से निकाले जाने के बाद उन्हें सहारे की जरुरत थी तब उनकी बहन ने उन्हें सहारा दिया। लेकिन यहां भी उन्हें रहने के लिए काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ता था। घर से लेकर खेतों तक के सभी कामों को अंजलि ही करती थीं। इतना ही नहीं वह बकरियां भी चराती थीं। उस दौरान उनके दिमाग में कारोबार शुरु करने का उपाय सुझा जिसके बाद उन्होंने कुछ और बकरियां खरीद लिया। धीरे-धीरे उनका कारोबार बढ़ने लगा लेकिन वे हमेशा कुछ करना चाहती थीं।

करना चाहती थी समाज सेवा

अंजलि (Transgender Anjali Patil) हमेशा से समाज की सेवा करना चाहती थीं और इसके लिए उन्हें सियासत का रास्ता सबसे बेहतर लगा। आप जानते हैं राजनीति में जाने के लिए लोगो से जान-पहचान करना जरुरी होता है क्योंकि यदि लोग आपको नहीं जानेंगे तो चुनाव जीतना मुश्किल होगा। इसी सोच के साथ अंजलि भी लोगों से अपना सम्पर्क बढ़ाने लगी, सभी के दुख-सुख की साथी बन गईं। अपनी मेहनत और प्रेम से वे सभी ग्रामवासियों के मन में एक अलग छवि बैठा ली और उसी का नतीजा है कि ग्रामीणों ने उन्हें सरपंच के पद के लिए जीत दिलाया है।

बदल दिया गांव की तस्वीर

बता दें कि, अंजलि पाटिल डेढ़ साल से सरपंच के पद पर कार्यरत हैं। इतने डेढ़ सालों में उन्होंने अपने गाँव की पूरी तस्वीर ही बदल डाली है। उन्होंने ग्रामीणों की मूलभूत सुविधा का ध्यान रखते हुए सड़के बनवाई, गांव के हर घर तक पेयजल की सुविधा पहुंचाई। इसी के साथ उन्होंने अन्य कई कार्यों को किया जिससे गांव की तकदीर बदल गई। इसके अलावा अब वह एड्स बीमारी के प्रति गांव वासियों में जागरुकता फैला रही हैं। उनका एक मात्र ऊद्देश्य गांव वालों की सेवा करना है।

ग्रामीणों ने जिस तरह एक ट्रांसजेंडर को सरपंच पद के काबिल समझकर जिताया है वह काबिले तारिफ है। Kurmi World सभी ग्रामिण वासियों के साथ-साथ सरपंच अंजलि पाटिल को उनकी जीत के लिए ढेर सारी बधाई देता

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