नेहरू के कारण वंशवाद के शिकार हुए थे सरदार!
पंडित जवाहर लाल नेहरू की जयंती पर उन्हें देश भर में याद किया जा रहा है। ऐसे में इतिहास की कुछ खट्टी-मीठी यादें भी ताज़ा हो रही हैं। मीठी तब जब हम चाचा नेहरू के जीवन को आदर्श मान बच्चों को उनके दिखाये हुए रास्तों पर चलने की शिक्षा देते हैं, खट्टी तब जब इतिहास के कुछ कड़वे सच सामने आते हैं। हम बात करने जा रहे हैं सरदार बल्लभभाई पटेल और पंडित नेहरू के रिश्तों पर।
वर्तमान की बात करें तो सरदार पटेल और नेहरू पर कड़ी बहस छिड़ी हुई है। देश की दोनो राष्ट्रीय पार्टी सरदार पटेल और नेहरू को अपना-अपना नेता बताने पर अड़ी हैं। इस बहस से कुछ सवाल तो जरूर खड़े हुए हैं। वो यह कि क्या वाकई सरदार पटेल कांग्रेस में वंशवाद के कारण भेदभाव का शिकार हो गए थे। यह सवाल आज भी अनुत्तरित है। क्योंकि इस सवाल से महात्मा गांधी का नाम जुड़ा है। वाजिब है इस सवाल पर बहस भी बहुत कम हो पाएगी।
वंशवाद से सिर उठाता सवाल
सरदार पटेल के वंशवाद के कारण भेदभाव का सवाल बरसों पहले हुए एक राजनीतिक वाकैये से उठना शुरू हुआ। दरअसल, 86 साल पहले जब कांग्रेस संगठन को चलाने के लिए एक मजबूत नेतृत्व की तलाश कर रही थी तो कांग्रेस के ही कई नेता अध्यक्ष के रूप में नेहरू के जैसे नेता चाह रहे थे।
उस समय सरदार पटेल का नाम खुद मोतीलाल नेहरू ने सुझाया था। कहा था कि सरदार पटेल ही सबसे अच्छा विकल्प हैं। मोतीलाल नेहरू ने चिट्ठी लिखकर महात्मा गांधी से अनुरोध किया था कि सरदार पटेल ही ऐसे नेता हैं, जिनको कांग्रेस संगठन की कमान सौंपी जा सकती है।
गांधी नहीं मानी थी मोती की बात
लेकिन साबरमति आश्रम में मौजूद महात्मा गांधी तक मोतीलाल नेहरू की जब चिट्ठी पहुंची तो महात्मा गंधी ने इस चिट्ठी के जवाब में मोतीलाल नेहरू से ही कांग्रेस का अध्यक्ष बनने के लिए पूछ लिया था। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में अब यह खुलासा हो चुका है कि कांग्रेस में कई वरिष्ठ नेता यह मान रहे थे कि मोतीलाल नेहरू नेहरू परिवार के हैं। इस बात से इन आशंकाओं को बल मिलता है कि कांग्रेस नेहरू से गांधी और गांधी से नेहरू के बीच ही ऐतिहासिक जीत और हार दर्ज करती रही है।
चिट्ठी में कहा था
इस मसले पर महात्मा गांधी ने मोतीलाल नेहरू को चिट्ठी लिखकर बताया था कि सेन गुप्ता ने उनहें बताया है कि उन्होंने गुजरात प्रोविंशल कांग्रेस कमेटी से अनुरोध कर दिया है कि कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए तुम्हे (मोतीलाल) वोट दें। सबसे हैरानी कर देने वाली बात है कि मोतीलाल नेहरू की ओर से सरदार पटेल का नाम आगे बढ़ाने पर भी मोतीलाल नेहरू को इस पद के लिए तमाम सिफोरिशों से आगे कर दिया गया था। लेकिन सवाल अब भी बना हुआ है क्या पटेल वंशवाद के कारण फैले भेदभाव का शिकार थे।
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