पाकिस्तान को थी सरदार पटेल से नफरत, उड़ा दी थी नहीं रहने की अफवाह; कराची में खुशी में मिठाइयां बांटी और नारे भी लगाए गए थे
आचार्य कृपलानी जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल और राजेंद्र प्रसाद के साथ। (Kulwant Roy collection)
पीएन चोपड़ा और प्रभा चोपड़ा की किताब ‘सरदार पटेल, मुसलमान और शरणार्थी’ के मुताबिक सरदार पटेल बहुत स्पष्टवादी और दिल से बेहद निष्कपट थे। उनके मन में हिंदू और मुसलमानों को लेकर कोई भेदभाव नहीं था, लेकिन दोहरी निष्ठा के विचार को गलत मानते थे।
देश के विभाजन के बाद सरदार पटेल से पाकिस्तानी लोगों और नेताओं को कितनी नफरत थी, इसका अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है। पीएन चोपड़ा और प्रभा चोपड़ा की किताब ‘सरदार पटेल, मुसलमान और शरणार्थी’ में इसके बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। किताब के मुताबिक 1949 में स्वतंत्रता दिवस पर किसी ने यह अफवाह उड़ा दी कि सरदार पटेल अब नहीं रहे। इसकी प्रतिक्रिया में पाकिस्तान में खुशी जताई गई।
पाकिस्तान में तत्कालीन भारतीय उच्चायुक्त के मुताबिक वहां के लोगों ने “पाकिस्तान जिंदाबाद, हिंदुस्तान मुर्दाबाद, सरदार पटेल मुर्दाबाद और कासिम रिजवी जिंदाबाद” के नारे लगाए। बताया कि “कराची के मेरियट रोड के मुसलमान बहुल इलाके में मिठाइयां बांटी गईं।” आम तौर पर सरदार पटेल बहुत स्पष्टवादी और दिल से बेहद निष्कपट थे। उनके मन में हिंदू और मुसलमानों को लेकर कोई भेदभाव नहीं था, लेकिन दोहरी निष्ठा या दोगलेपन के विचार को वह गलत मानते थे।
लेखक ताहमंकर लिखते हैं- उन्होंने भारत के सभी लोगों को सुरक्षा प्रदान की, चाहे वे हिंदू हों या मुसलिम अथवा ईसाई। स्वतंत्रता प्राप्ति के तत्काल बाद अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय में बड़ी संख्या में एकत्र लोगों के सामने उन्होंने मुसलिम श्रोतागण को स्पष्ट रूप एवं निडर होकर बताया कि उन्हें स्वयं निर्णय लेना है कि उन्हें भारत में रहना है या पाकिस्तान जाना है। वे एक समय में दो नावों पर सवार नहीं हो सकते। जिन लोगों ने भारतीय नागरिक के रूप में भारत में रहने का निर्णय लिया है, उनकी रक्षा करना हमारा फर्ज है।
क्या ऐसे व्यक्ति को सांप्रदायिक कहा जा सकता है? वे इस विषय पर अक्सर बात करते थे। यदि मुसलमानों ने वफादार नागरिक के रूप में भारत में रहने का निर्णय लिया है तो उनको सुरक्षा मिलेगी।
सरदार पटेल शरणार्थियों को बसाने के लिए बहुत अधिक चिंतित थे। उन्होंने रक्षा मंत्री सरदार बलदेव सिंह से अनुरोध किया था कि शरणार्थियों के लिए ट्रांजिट कैंप के रूप में वैवेल कैंटीन दे दें। बलदेव सिंह ने इसके लिए ऑकिनलेक आरामगाह उपलब्ध कराई थी, जहां पर अधिक संख्या में शरणार्थी आ सकते थे। यहां तक कि नई दिल्ली के पालम हवाई अड्डे की ओर जाते समय सरदार पटेल ने अनेक खाली सैन्य बैरकें तथा हट्स देखीं। उन्होंने रक्षा मंत्री से पुन: सिफारिश की, ताकि शरणार्थियों के लिए बेहतर श्रेणी की बैरकें उपलब्ध कराई जा सकें।
सरदार पटेल को लौह पुरुष कहा जाता है। वह किसी के दबाव में नहीं रहते थे। अपने निर्णय पर अटल रहते थे। जब जिन्ना ने उग्र होने की धमकी दी तो पटेल ने उन्हें स्पष्ट कर दिया था कि वे किसी बहकावे में नहीं रहें। चेताया था कि “तलवार का जवाब तलवार से दिया जाएगा।”
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