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शिवाजी महाराज ने कैसे अफजल खान का वध किया..?

हिंदुस्तान पुराने जमाने से ही सुसंस्कृत और संपन्न देश रहा है। मध्य युग की शुरुआत में मुस्लिम शासकों का भारत आगमन हो गया था। dainikbhaskar.com रायल्स ऑफ इंडिया सीरीज के तहत बताने जा रहा है मशहूर राजाओं और मुगल बादशाहों की जानी-अनजानी कहानियों के बारे में। इसी कड़ी में आज हम आपको बता रहे हैं मराठा साम्राज्य के संस्थापक शिवाजी महाराज और मुगल बादशाह आदिल शाह के सरदार अफजल खान की उस लड़ाई के बारे में जिसमें शिवाजी ने अफज़ल खान का पेट चीर कर उसे मौत के घाट उतार दिया था।

धोखा देकर शिवाजी को मारने वाला था अफज़ल

अफजल खान बीजापुर की आदिल शाही हुकूमत का सबसे लड़ाका था। वह अपनी जीत के लिए किसी हद तक जा सकता था और कुछ भी कर गुजरने के लिए हमेशा तैयार रहता था। बीजापुर और मराठों के बीच हुई लड़ाई में आदिल शाह की मां ने मराठों पर कब्जा करने के लिए अफजल खान को भेजा था। अफजल खान युद्ध से पहले छल से शिवाजी महाराज की हत्या करना चाहता था। उसने शिवाजी महाराज को प्रतापगढ़ के पास मिलने का संदेश भेजा। शिवाजी ने खान का यह संदेश स्वीकार किया और दोनों की मुलाकात का स्थान तय हुआ।

बाघ के नाखून से बने हथियार से चीरा था पेट

शिवाजी महाराज और अफजल खान की मुलाकात प्रतापगढ़ के पास शामियाने में हुई थी। अफजल खान जैसे ही शिवाजी महाराज से गले मिला उसने हाथ में बंधा चाकू शिवाजी की पीठ में घोपने की कोशिश की। शिवाजी ने सतर्कता बरती और अफजल खान का पेट बाघनख (बाघ के नाखून से बना हथियार) से चीर दिया। इसे देख अफजल खान के वकील ने शिवाजी महाराज पर हमला करने का प्रयास किया और इसका फायदा लेकर अफजल खान शामियाने से बाहर भागने में कामयाब हुआ। शिवाजी महाराज को पता था कि खान धोखा देनेवाला है इसलिए वे पहले से ही हाथ में बाघनख पहने हुए थे।

अफजल खान ने संपत्ति लूटने के लिए तोड़े मंदिर

अफजल खान ने महाराष्ट्र में हजारों हिंदू देवी-देवताओं के मंदिरों को तोड़ने का काम किया। उसने मंदिर में छुपाकर रखी गई धन संपदा को लूटने के लिए मंदिर तुड़वाए थे। उस जमाने में मंदिर के नीचे तलघर में धन रखा जाता था। अफजल खान की फौज ने मंदिर ही नहीं कई मस्जिदों को भी अपना निशाना बनाया। शिवाजी महाराज की फौज में कई मुसलमान सरदार थे उसी तरह आदिल शाह के पास भी मिर्जा राजा जयसिंह जैसे हिंदू सरदार थे।

कई बार अफजल खान को शिवाजी ने दिया चकमा

अफजल खान जब शिवाजी से मिलने महाराष्ट्र आया तब उसकी फौज में एक लाख सैनिक थे। शिवाजी को पता था कि युद्ध में वे अफजल खान की फौज के सामने टिक नहीं पाएंगे। उन्होंने फौज का चालाकी से मुकाबला करने का निर्णय लिया। शिवाजी महाराज ने अफजल खान को संदेश भेजकर कहा कि मैं आपकी फौज के साथ युद्ध नहीं कर सकता, मेरे पास इतनी बड़ी फौज नहीं है। जब खान ने उन्हों दो बार मिलने के लिए बुलाया तो शिवाजी ने बहाना बनाकर उस बात को टाल दिया। इससे खान को विश्वास हो गया कि शिवाजी महाराज उससे घबरा रहे हैं।

अफजल खान को सम्मान के साथ दफनाया

शामियाने से भागे अफजल खान को शिवाजी महाराज ने दौड़ कर पकड़ा और युद्ध क्षेत्र में उसका वध किया। वध के बाद शिवाजी महाराज उसका सिर मां जीजाबाई के पास ले गए। मां ने शिवाजी से कहा कि अफजल खान से हमारी दुश्मनी थी, लेकिन उसकी मौत के साथ ही अब दुश्मनी भी खत्म हो गई। जिसके बाद शिवाजी ने अफजल खान के शव का पूरे सम्मान के साथ मुस्लिम परंपरा के अनुसार अंतिम संस्कार किया। शिवाजी महाराज ने अफजल खान की कब्र भी बनवाई, जो आज भी प्रतापगढ़ में मौजूद है।

मुस्लिम शासन को खत्म किया

सत्रहवीं शताब्दी में जब पूरा भारत मुगल सल्तनत के बढ़ते खतरे से लड़ रहा था, मराठा शासक शिवाजी ने उसे कड़ी चुनौती दी। उन्होंने केवल मुगल शहंशाह औरंगजेब को टक्कर दी बल्कि पश्चिम और दक्षिण भारत में मुस्लिम शासन को खत्म किया।

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