फूलों के बीज
जेल-वास पूरा होने पर सरदार ने फूलों के बीज जमा किए और अनेक पैकेट बनाए। बिछुड़ते समय सभी नेताओं को उन बीजों का एक-एक पैकेट दिया गया।
उन दिनों सरदार पटेल जेल में बंद थे। एक बार वहां का खुला मैदान देखकर कई नेता बोले,‘यह मैदान बिल्कुल खाली लगता है। यह भरा हुआ होता तो कितना सुंदर लगता।’सभी लोगों की सलाह से यह निर्णय लिया गया कि इस स्थान को एक सुंदर बगीचे में बदला जाए। इस सामूहिक निर्णय पर किसान पुत्र सरदार पटेल की खुशी का कोई ठिकाना न रहा। वह बोले,‘अब देखना हम सबकी मेहनत से कुछ ही समय में इस मैदान में सुंदर फूल खिल उठेंगे।’
सभी अपनी-अपनी पसंद के फूल और फलों के बारे में सुझाव देने लगे। सरदार पटेल ने भी अपनी पसंद के फूलों के बीज पुणे से मंगवाए। मैदान में क्यारियां तैयार करने में, बीज बोने में, पानी डालने में और बेलों को ऊंचा चढ़ाने में सरदार पटेल और नेहरू जी के साथ अन्य नेता पूरे उत्साह से हाथ बंटाते। क्यारियां बनाते समय और बीज डालते समय सरदार पटेल अक्सर कहते,‘जैसे हम बीज बोकर एक सुंदर बगीचा इस मैदान में बना रहे हैं, उसी तरह कुछ समय बाद हमारी मेहनत से यह देश भी एक सुंदर बगीचे की तरह बन जाएगा जहां सभी धर्मों के लोग प्रेम से रहेंगे।’
सभी नेता उनकी बातों से सहमत होते हुए बगीचे के काम को दोगुने जोश से करने लगते। कुछ ही समय में सबने मिलकर वीरान मैदान को सुंदर फूलों से भरे उपवन में बदल दिया। सरदार ने कमरे के आगे नीलरंगी फूलों की एक बेल उगा ली। उसकी खूबसूरत महक से सुबह-शाम वहां सुगंध फैल जाती। जेल-वास पूरा होने पर सरदार ने फूलों के बीज जमा किए और नेहरू ने छानकर अनेक पैकेट बनाए। बिछुड़ते समय सभी नेताओं को उन बीजों का एक-एक पैकेट दिया गया। यह देखकर सरदार बोले,‘यह समूह जीवन की मधुर स्मृति का अनोखा प्रतीक है।’सभी ने सरदार की इस बात से सहमति जताई।
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