कठघरे में किसान
एक बार सरदार वल्लभ भाई पटेल के पास एक दिलचस्प मामला आया। एक किसान पर रेल लाइन उखाड़ने का आरोप लगाया गया था। उसके घर की तलाशी के दौरान कुछ पाना अर्थात...
एक बार सरदार वल्लभ भाई पटेल के पास एक दिलचस्प मामला आया। एक किसान पर रेल लाइन उखाड़ने का आरोप लगाया गया था। उसके घर की तलाशी के दौरान कुछ पाना यानी स्पैनर कब्जे में कर लिए गए। किसान के पास अपने कुएं के लिए इंजन पंप था, इसलिए वह ऐसे पाने घर में रखता था। किसान ने पुलिस अधिकारियों से इस बात का स्पष्ट उल्लेख भी किया कि ये पाने उसने अपने कुएं के इंजन पंप के लिए रखे हुए हैं। उनकी जरूरत कभी भी पड़ जाती है, लेकिन उन्होंने उसकी एक न सुनी।
किसान पर मुकदमा ठोंक दिया गया। मुकदमे की सुनवाई के बाद सरदार, जज और सरकारी वकील अपराध-स्थल पर गए। सरदार ने अनुरोध किया कि वहां जाते समय सभी पाने साथ रख लिए जाएं। जज ने घटनास्थल का निरीक्षण कर लिया तो सरदार पटेल ने अनुरोध किया कि उन पानों से रेल लाइनें उखाड़ने की कोशिश की जानी चाहिए जो साक्ष्य के तौर पर किसान के घर से जब्त किए गए थे। उनके अनुरोध पर जज ने ऐसा ही करने का आदेश दे दिया।
जब उन पानों से रेल लाइन उखाड़ने की कोशिश की गई तो एक भी पाना रेल लाइनों के 'नटों' में नहीं लग सका। यह माजरा देखकर पुलिसवाले बेहद शर्मिंदा हो गए। यह देखते हुए सरदार पटेल जज से बोले,'इन जैसे अनेक मुकदमों में ऐसी ही अनियमितताएं बरती जाती हैं और निर्दोष व्यक्ति को गिरफ्तार करके उस पर मुकदमा चला दिया जाता है।' सरदार पटेल की बात का असर हुआ और जज ने उस किसान को निर्दोष करार देते हुए बरी करने का आदेश दे दिया।