धनबाद में बिनोद बिहारी महतो की प्रतिमा का अनावरण करेंगे सीएम हेमंत सोरेन: कुर्मी वोट बैंक साधने की रणनीति

कुर्मी वोट बैंक को साधने की कोशिश में जुटे सीएम हेमंत सोरेन, बीबीएमकेयू में बिनोद बिहारी महतो की प्रतिमा का अनावरण आज

झारखंड की राजनीति में आदिवासी और कुर्मी समाज के बीच एकता की नींव रखने वाले दो बड़े नाम—शिबू सोरेन और बिनोद बिहारी महतो—एक बार फिर राजनीतिक चर्चा के केंद्र में हैं। इस बार चर्चा का कारण है बीबीएमकेयू (बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय) में बिनोद बाबू की प्रतिमा का अनावरण, जो मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के हाथों संपन्न होने जा रहा है।

इस कार्यक्रम को राजनीतिक विश्लेषक आगामी चुनावों से पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की ओर से कुर्मी समाज को दोबारा जोड़ने की कवायद के रूप में देख रहे हैं। गौरतलब है कि पिछले दो दशकों में कुर्मी समाज झामुमो का एक मजबूत वोट बैंक रहा है, लेकिन हाल के वर्षों में आजसू प्रमुख सुदेश महतो और इस चुनाव में जेएलकेएम के अध्यक्ष जयराम महतो ने इस वर्ग में अपनी पकड़ बनानी शुरू कर दी है।

डेढ़ साल से तैयार थी प्रतिमा, सीएम से समय मिलने पर तय हुई तिथि

बीबीएमकेयू परिसर में बिनोद बिहारी महतो की प्रतिमा पिछले डेढ़ वर्ष से तैयार थी, लेकिन अनावरण की तिथि लगातार टलती रही। विश्वविद्यालय प्रबंधन की इच्छा थी कि इसका उद्घाटन स्वयं मुख्यमंत्री के हाथों हो। जैसे ही सीएम से समय मिला, प्रतिमा अनावरण समारोह की तिथि निर्धारित कर दी गई।

महतो परिवार और कुर्मी समाज में उत्साह

बिनोद बाबू के पौत्र राहुल महतो ने अनावरण को लेकर अपनी खुशी व्यक्त की है। उन्होंने कहा, "यह गौरव की बात है कि हमारे पूर्वज की प्रतिमा का अनावरण मुख्यमंत्री और राज्यपाल की उपस्थिति में हो रहा है। इससे पूरे कुर्मी समाज को एक सकारात्मक संदेश मिलेगा।"

राजनीतिक संकेत और रणनीति

धनबाद, गिरिडीह और बोकारो जैसे जिलों में कुर्मी वोटर्स निर्णायक भूमिका निभाते हैं। खासकर धनबाद के टुंडी और सिंदरी, बोकारो के चंदनकियारी और गोमिया, और गिरिडीह के डुमरी विधानसभा क्षेत्रों में इस समुदाय का वोट बड़ा प्रभाव रखता है। बिनोद बाबू की प्रतिमा का अनावरण इन क्षेत्रों के कुर्मी समाज को सम्मान देने और झामुमो से फिर से जोड़ने की रणनीति के तहत देखा जा रहा है।

बिनोद बिहारी महतो: एक प्रेरणास्रोत

बिनोद बिहारी महतो झामुमो के संस्थापक सदस्यों में से एक थे और उन्होंने आदिवासी-कुर्मी एकता के जरिए झारखंड आंदोलन को ताकत दी थी। आज उनके नाम पर विश्वविद्यालय चल रहा है और अब प्रतिमा का अनावरण उनके योगदान को याद करने का एक बड़ा अवसर है।

कार्यक्रम में शामिल होंगे कई जनप्रतिनिधि

प्रतिमा अनावरण समारोह में राज्यपाल, मुख्यमंत्री, और धनबाद, गिरिडीह व बोकारो के सभी विधायक और सांसदों के शामिल होने की संभावना है। इससे कार्यक्रम का राजनीतिक महत्व और भी बढ़ गया है।


निष्कर्ष:
प्रतिमा अनावरण से परे, यह कार्यक्रम झारखंड की राजनीति में एक बड़ा संकेत है। आगामी चुनावों से पहले झामुमो की यह कोशिश है कि वह अपने पुराने वोट बैंक को फिर से संजो सके और विपक्ष की सेंधमारी को रोका जा सके। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस कदम का चुनावी लाभ किसे मिलता है।