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सी. के. नायडू: भारतीय क्रिकेट का वो पहला कप्तान, जो अपने चौके-छक्कों के अलावा अपने Ads के लिए भी चर्चित हुआ

एमएस धोनी, विराट कोहिली और रोहित शर्मा. वर्तमान समय में भारतीय क्रिकेट के कुछ ऐसे नाम हैं, जिन्हें लेकर लोगों के अंदर की दीवानगी किसी से छिपी हुई नहीं है. ये उनकी लोकप्रियता ही है कि लोग हर इनिंग में उनसे रनों की बरसात चाहते हैं. क्या आप भारतीय क्रिकेट के उस खिलाड़ी के बारे में जानते हैं, जिसका उदय उस दौर में हुआ, जब भारत में क्रिकेट पनप रहा था. हम भारतीय टेस्ट क्रिकेट टीम के पहले कप्तान सी. के. नायडू की बात कर रहे हैं.

भारतीय टेस्ट क्रिकेट टीम के पहले कप्तान सी. के. नायडू

वहीं सी. के. नायडू जो लंबे-लंबे शॉट्स मारने के लिए मशहूर हुए. वहीं सी. के. नायडू जिनका अंतर्राष्ट्रीय क्रिक्रेट करियर बहुत छोटा रहा, मगर असरदार रहा. इतना असरदार कि वह पहले क्रिकेटर बने, जिन्हें विज्ञापन में लाया गया. 1941 में उन्होंने Bathgate Liver Tonic का विज्ञापन किया था.

1926 जीवन का Golden Era बना

साल 1895. अक्टूबर महीने की 31 तारीख महाराष्ट्र के नागपुर में रहने वाले कोठारी सूर्य प्रकाश राव नायडू के घर एक बच्चे ने जन्म लिया. नाम रखा गया. सी.के नायडू. पूरा नाम कोट्टेरी कनकैया नायडू. पिता पेशे से वकील थे. ऊपर से दादा नारायण स्वामी ने एक समृद्ध विरासत तैयार कर दी थी. मतलब घर की स्थिति अच्छी थी. लिहाज़ा बचपन ठीक ठीक बीता.

वक्त के साथ बड़े हुए तो आंखों में कई सारे सपनों ने जन्म लिया. क्रिकेटर बनना उन्हीं में एक था. इसको पूरा करने के लिए कदम बड़े तो 'हिसलोप कॉलेजिएट हाई' की क्रिकेट टीम में जगह बनाने में सफ़ल रहे. प्रदर्शन ठीक-ठाक रहा, तो 1916 में बॉम्बे में हुई एक त्रिकोणीय श्रृंखला खेलने को मिली.

फिर आया साल 1926. जो उनके जीवन में मील का पत्थर साबित हुआ. भारतीय 'हिन्दू' टीम और इंग्लैंड की मेरिलबोन क्रिकेट क्लब (MCC) के बीच खेले गए एक मैच में वह तूफ़़ान बन कर आए. 187 गेंदों पर 153 रन जड़ कर उन्होंने अपना दम दिखाया. अपनी इस इनिंग में उन्होंने 11 लंबे-लंबे छक्के और 13 चौके जड़े थे. छक्के मारने के मामले में ये वर्ल्ड रिकॉर्ड था.

35 की उम्र में टेस्ट क्रिकेट टीम की कमान संभालने वाले CK Naidu

बॉम्बे जिमखाना में खेले गए इस मैच ने सी.के नायडू को रातों-रात स्टार बना दिया. आगे भारत को 'टेस्ट स्टेटस' मिला तो नायडू 1932 में इंडियन क्रिकेट टीम के कप्तान चुने गए थे. उनकी अगुवाई में ही टीम इंडिया ने अपना पहला टेस्ट मैच खेला इंग्लैंड के खिलाफ खेला था. इस मुकाबले में टीम इंडिया ने इंग्लैंड की टीम को कड़ी टक्कर दी थी.

इस मैच में नायडू के बल्ले से 40 रन निकले थे. आंकडों की बात करें तो नायडू ने 207 फ़र्स्ट क्लास मैच खेले, जिनमें 35.94 के औसत से 11825 रन जोड़े. इसके अलावा अपने करियर में उन्होंने 26 शतक और 58 अर्धशतक शतक जड़े. गेंदबाज़ी में भी उन्होंने अपना दम दिखाया. बतौर ऑफ़-ब्रेक स्पिनर उन्होंने 411 विकेट अपने नाम किए.

115 मीटर का वो छक्का, जो भुलाए नहीं भूलता

यू तो नाडयू ने अपने करियर में कई लंबे-लंबे छक्के जड़े. मगर सबसे ज़्यादा बात जिस छक्के की हुई, वह उन्होंने इंग्लैंड के एजबेस्टन में मैच खेलते हुए मारा था. कहते हैं कि यह छक्का कितना बड़ा था कि गेंद स्टेडियम को पार करते हुए रिया नदी के पार जाकर गिरी थी.

इस छक्के की लंबाई करीब 115 मीटर रही होगी. 15 अगस्त 1936 को उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ अपना आखिरी टेस्ट मैच खेला था. मतलब उनका करियर बहुत बड़ा नहीं रहा. मगर असरदार रहा. इतना असरदार कि क्रिकेट से सन्यास के बाद 1941 में वह बाथगेट लिवर टोनिक के ब्रांड एंबेडसर बनाए गए. वह पहले क्रिकेटर थे, जिन्हें विज्ञापन में लिया गया था.

साल 1933 में नायडू विज़डन द्वारा 'क्रिकेटर ऑफ़ ईयर' चुने गए थे. इसके अलावा 1956 में उन्हें भारत सरकार ने 'पद्मभूषण' से सम्मानित किया था. अंतत: 14 नवम्बर, 1967 को सी.के नायडू ने हमेशा के लिए अपनी आंखें मूंद लीं और अपनी यादें छोड़कर चले गए.