छत्रपति शिवाजी महाराज की दुर्लभ मूल छवियां (पेंटिंग), आपने शायद कभी नहीं देखी होंगी

1) किशनगढ़ आर्ट गैलरी:

किशनगढ़ की कला गैलरी भारत में प्रसिद्ध है। चित्रकला की यह शैली किशनगढ़ के महाराजा सावंत सिंह और उनके चित्रकार निहाल चंद के शासनकाल के दौरान प्रसिद्ध हुई। यह पेंटिंग संभवतः 1750 के बाद बनाई गई होगी। पेंटिंग में कुछ सोने का काम दिखाया गया है। चित्र में महाराज को अपने दाहिने हाथ में दक्कनी धोपा तलवार और बाएं हाथ में एक बेल्ट पकड़े हुए दिखाया गया है। यह पेंटिंग फिलहाल लंदन के बोनहम्स संग्रह में है।

2) राजपूत शैली:

शिवाजी का यह पूर्ण-लंबाई वाला चित्र राजपूत-मुगल शैली में चित्रित किया गया है और 18वीं शताब्दी का है। इसमें महाराज ने अपने दाहिने हाथ में एक फूल, बाएं हाथ में एक बेल्ट और कमर के चारों ओर एक ढाल पकड़ी हुई है। यह पेंटिंग बड़ौदा राज्य के गायकवाड़ द्वारा बड़ौदा राज्य संग्रहालय को उपहार में दी गई थी।

3) रॉबर्ट आर्म संग्रह:

शिवाजी का यह चित्र 1782 में प्रकाशित रॉबर्ट आर्म की पुस्तक 'हिस्टोरिकल फ्रैगमेंट्स' में छपा था।

4) फ्रांस का राष्ट्रीय पुस्तकालय:

1685 में गोलकुंडा में चित्रित शिवाजी का चित्र आज फ्रांस के राष्ट्रीय पुस्तकालय में रखा हुआ है। इस पेंटिंग में शिवाजी को वृद्धावस्था की ओर झुकते हुए दिखाया गया है।

5) छत्रपति शिवाजी संग्रहालय:

यह प्रसिद्ध पेंटिंग मुंबई के छत्रपति शिवाजी संग्रहालय में रखी गई है। प्रवेश द्वार पर एक बड़ी तस्वीर लगी हुई है। मूल छवि का आकार छोटा है। ऐसा अनुमान है कि यह पेंटिंग 1675 के बाद गोलकुंडा में बनाई गई थी।

6) रिक्स संग्रहालय:

शिवाजी का यह चित्र हॉलैंड के रिक्स म्यूजियम में रखा हुआ है। वहां दर्ज है कि यह पेंटिंग 1680 की है। चित्र में महाराज अपने दाहिने हाथ में तलवार और बाएं हाथ में बेल्ट पकड़े हुए हैं। चित्र के नीचे 'Sivagi' लिखा है।

7) स्मिथ लेसॉफ संग्रह:

यह शिवाजी महाराज का खड़ा चित्र है। इस चित्र में दाहिने हाथ में तलवार और बाएं हाथ में बेल्ट है। यह पेंटिंग फ्रांस के राष्ट्रीय पुस्तकालय में रखी गई है और संभवतः इसे 17वीं शताब्दी के अंत में चित्रित किया गया था।

8) बर्लिन राज्य पुस्तकालय:

यह पेंटिंग जर्मनी के बर्लिन स्टेट लाइब्रेरी में रखी हुई है। इस चित्र पर 'Siuwagie gewerzere maratise vorst' लिखा है, जिसका अर्थ है 'मराठों का राजा'। यह पेंटिंग 17वीं शताब्दी के अंत में बनाई गई थी और इसे भारत से हॉलैंड और फिर जर्मनी ले जाया गया था।

9) निकोलस विटसन संग्रह:

यह पेंटिंग हॉलैंड के रिज्क्स म्यूजियम में रखी गई है। इस चित्रकला का काल 1675-1685 माना जाता है। इस चित्र पर 'Siwagii prince in decam' लिखा हुआ है।

10) गिम्मे संग्रहालय:

यह पेंटिंग फ्रांस के पेरिस स्थित गुइमेट संग्रहालय में रखी गई है। इस पेंटिंग की खास बात यह है कि इसमें शिवाजी महाराज का पूरा चेहरा दिखाया गया है।

11) ब्रिटिश संग्रहालय लंदन:

लंदन में रखा शिवाजी का चित्र प्रसिद्ध है। यह 'Potraits of Indian princes' संग्रह में शामिल है। यह पेंटिंग गोलकुंडा में बनाई गई थी और इसका काल 1680-1687 दर्ज किया गया है।

12) जयपुर पोथीखाना:

यह पेंटिंग जयपुर के 'जयपुर पोथीखाना' में पाई गई थी, जो आमेर राजपरिवार का निजी संग्रह है, और इसका इतिहास 18वीं शताब्दी का है। चित्र में महाराज अपने दाहिने हाथ में खंजर, बाएं हाथ में फूल, ढाल और कमर में तलवार लटकाए हुए दिखाई दे रहे हैं।

13) घोड़े पर सवार शिवाजी (अश्वारूढ शिवराय ):

यह पेंटिंग एंटोन ज़ानेटी द्वारा बनाई गई थी और इसका समय 1705-1741 के बीच का है। यह संभव है कि ज़ानेटी ने यह पेंटिंग निकोलस मनुची के लिए बनाई हो। मूल पेंटिंग तांबे पर उत्कीर्ण और चित्रित है।

14) मनूची चित्र संग्रह:

यह पेंटिंग, जिसे सभी ने स्कूली पाठ्यक्रम में देखा है, निकोलस मनुची ने 1672 में 'मीर मुहम्मद' शीर्षक से बनाई थी। मनु और शिवाजी की पहली मुलाकात पुरंदर की संधि के दौरान हुई थी। यह पेंटिंग इस समय पेरिस में है।

15) लेनिनग्राड:

भारतीय लघुचित्र संग्रह में प्रकाशित यह पेंटिंग बर्लिन पेंटिंग के समान है। यह पेंटिंग हॉलैंड से प्राप्त की गई थी और वर्तमान में रूसी लाइब्रेरी में है।

16) सरस्वती महल संग्रहालय:

इस पेंटिंग में शाहजी महाराज (सिंहासन पर बैठे) और उनके दो पुत्रों संभाजी (सामने बैठे) और शिवाजी (पीछे बैठे) को दर्शाया गया है और इसे 17वीं शताब्दी में तंजावुर के भोसले परिवार द्वारा चित्रित किया गया था। इस पेंटिंग की एक अन्य प्रति फलटण के नाइक-निंबालकर परिवार के पास है।

17) फ्रेंकोइस वैलेन्टिन संग्रह:

दीवार पर शिवाजी के हाथों की विशिष्ट पेंटिंग एक डच अधिकारी, फ्रांकोइस वैलेन्टिन के संग्रह से है। यह पेंटिंग 1782 में प्रकाशित हुई थी और अनुमान है कि यह 1712 से पहले की है। पेंटिंग पर 'den heer Seva Gi'  लिखा हुआ है।