यूपी और एमपी में दहशत का पर्याय थी 'साधना जीजी', जानें- कैसे घर की देहरी लांघ थामी बंदूक

घर की देहरी लांघकर बंदूक थाम साधना पटेल भले ही जरायम की दुनिया में कूद गई लेकिन गैंग के सदस्य उसे परिवार के सदस्य की तरह 'साधना जीजी' कहकर बुलाते थे। बचपन से डकैतों के बीच रही साधना कुछ ही समय में यूपी-एमपी के जंगल में दहशत का पर्याय बन गई।
घर आते थे इनामी डकैत
चित्रकूट के भरतकूप चौकी क्षेत्र के रामपुर पालदेव के बगहिया पुरवा निवासी बुद्धविलास पटेल की तीन संतानों में साधना सबसे बड़ी है। उसके परिवार को डकैतों का करीबी माना जाता था। इनामी डकैत रहे चुन्नीलाल पटेल का भी घर में आना-जाना था। साधना उसको चाचा कहती थी। हालांकि बचपन से ही साधना नयागांव थाना क्षेत्र के भागड़ा गांव में बुआ के पास आ गई थी। यहां भी डकैत चुन्नीलाल के अलावा अन्य डकैतों का आना-जाना था।
बुआ के घर पर रहने के दौरान बिगड़ गई सोहबत
बुआ के घर में कोई रोक-टोक नहीं होने पर साधना की सोहबत बिगड़ गई। वर्ष 2015 में साधना अपने मुंह बोले रिश्तेदार के साथ घर छोड़कर डकैत नवल धोबी के गिरोह में शामिल हो गई। महत्वाकांक्षी साधना गिरोह में अपना अधिपत्य व क्षेत्र में आतंक स्थापित करना चाहती थी। नवल धोबी व गैंग के कई सदस्यों के पकड़े जाने के बाद साधना ने दीपक शिवहरे, रवि शिवहरे, छोटू उर्फ ज्ञानेंद्र पटेल के साथ अपना गैंग बना लिया और सड़क, बीड़ी पत्ता ठेकेदारों आदि से रंगदारी वसूलने लगी। वर्ष 2018 में दस्यु सुंदरी ने नयागांव थाना के पालदेव से छोटकू सेन का अपहरण कर सनसनी फैला दी। फिरौती के लिए कुल्हाड़ी से छोटकू के हाथ की अंगुलियां काट दी थी। इस घटना में नयागांव थाना में उसके खिलाफ पहला मामला दर्ज हुआ था।
पुलिस के दबाव में छोड़ दिया था जंगल
यूपी व एमपी पुलिस द्वारा चलाए जा रहे दस्यु आपरेशन से साधना काफी डर गई थी। पुलिस ने गैंग के कई सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया था तो कुछ अलग हो गए थे। इसके चलते साधना कमजोर पड़ गई थी। करीब चार माह पहले उसने साथी छोटू पटेल के साथ जंगल छोड़ दिया था। चर्चा थी कि साधना और छोटू मुंबई या किसी महानगर में पनाह लिए हुए हैं।