प्रधानमंत्री की सुरक्षा में पहली बार देसी नस्ल के मुधोल कुत्ते हो सकते हैं शामिल, कभी दक्कन के राजा ने किंग जॉर्ज पंचम को भेंट में दिया एक जोड़ी मुधोल, जानें क्यों हैं ये खास?

साल 2005 में भारतीय डाक विभाग ने मुधोल हाउंड पर पांच रुपये का डाक टिकट जारी किया था। (Photo Credit- Twitter/@BJP4Karnataka)
प्रधानमंत्री की सुरक्षा करने वाले स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG) के डॉग स्क्वॉड में देसी नस्ल के मुधोल हाउंड्स को शामिल किया जा सकता है। इसी साल अप्रैल माह में कर्नाटक के बागलकोट जिले के तिम्मापुर स्थित केनाइन रिसर्च एंड इंफॉर्मेशन सेंटर से एसपीजी अधिकारी दो नर पिल्लों को अपने साथ ले गए थे। यह कुत्ते मूल रूप से बागलकोट जिले के मुधोल के निवासी हैं।
राजा मालोजीराव घोरपड़े ने दिलाई विशेष पहचान
ब्रिटिश भारत में मुधोल एक छोटी रियासत थी, जो बॉम्बे प्रेसीडेंसी के दक्षिणी भाग में स्थित थी। यह रियासत घोरपड़े मराठों द्वारा शासित थी। 1956 में राज्यों के भाषाई पुनर्गठन के बाद मुधोल उत्तरी कर्नाटक में चला गया। फ्रंटलाइन की एक रिपोर्ट से पता चलता है कि मुधोल के अंतिम राजा मालोजीराव घोरपड़े की वजह से ही मुधोल हाउंड्स को दुनिया भर में विशेष पहचान मिली।
जॉर्ज पंचम को भेंट में दिया मुधोल हाउंड्स
पहले इन कुत्तों को मुधोल रियासत के आदिवासी और चरवाहे पाला करते थे। वह इनका इस्तेमाल शिकारी कुत्तों की तरह करते थे। मुधोल का पतला शरीर, तेज रफ्तार, उत्कृष्ट सहनशक्ति, चपलता, तेज दृष्टि और गंध की सटीक पहचान जैसे गुणों ने राजा का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने विशेष रूप से इस नस्ल के कुत्तों की संख्या बढ़ाने का फैसला किया। राजा जब इंग्लैंड की यात्रा पर गए तो उन्होंने किंग जॉर्ज पंचम को इन कुत्तों की एक जोड़ी भेंट की। जॉर्ज पंचम से ही इन कुत्तों को ‘मुधोल हाउंड’ नाम मिला।
शाहूजी महाराज की बाघ से की थी रक्षा!
मुधोल हाउंड्स को आमतौर पर भारतीय कुत्तों के रूप में जाना जाता है। लेकिन उनकी उत्पत्ति उन कुत्तों के इंटरब्रीडिंग से हुई थी जो भारत पर आक्रमण करने वाली ग्रीक और फारसी सेनाओं के साथ थे। कर्नाटक के करुणा एनिमल वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. बी. सी. रामकृष्ण द्वारा प्रकाशित एक पत्र के अनुसार, मुधोल में पाए जाने वाले हाउंड तीन अलग-अलग नस्लों (स्लोफी, सालुकी और ग्रेहाउंड) से मिलकर बने हैं।
मुधोल हाउंड की लोकप्रियता बढ़ने के बाद कुछ ऐसी ऐतिहासिक कहानियां भी सुनाई जाती हैं, जिन्हें सत्यापित करना मुश्किल है। मुधोल हाउंड के प्रशंसकों द्वारा विशेष रूप से दो कहानियां सुनाई जाती हैं। पहला तो यह कि 17वीं शताब्दी के मराठा राजा छत्रपति शिवाजी ने अपने वफादार कुत्तों के साथ रायगढ़ में प्रवेश किया, उन कुत्तों में मुधोल हाउंड भी शामिल था।
दूसरी कहानी कोल्हापुर के राजा शाहूजी महाराज से जुड़ी है। जिसमें बताया जाता है कि 20वीं शताब्दी के शासक शाहूजी महाराज के पास भी मुधोल हाउंड जैसे कुछ शिकारी कुत्ते थे, जिन्होंने बाघ के हमले से राजा का बचाव किया था। इसके बाद शिकार कुत्तों के रूप में उनकी खूब प्रतिष्ठा हुई थी। हालांकि इन मौखिक कथाओं का कोई दस्तावेजी प्रमाण नहीं उपलब्ध है इसलिए निर्विवादित तौर पर बस इतना ही कहा जा सकता है कि मुधोल हाउंड उत्तर कर्नाटक के बागलकोट और बीजापुर क्षेत्र में पिछले कुछ शताब्दियों से पाए जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी कर चुके हैं जिक्र
साल 2018 में कर्नाटक विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस नेताओं को सलाह दी थी कि उन्हें ‘मुधोल हाउंड’ नस्ल के कुत्तों से देशभक्ति और वफादारी सीखनी चाहिए। अगस्त 2020 में अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में भारतीय नस्ल के शानदार और सक्षम कुत्तों का जिक्र करते हुए पीएम ने मुधोल हाउंड का नाम लिया था।
उन्होंने कहा था, ”राजपलायम, कन्नी, चिप्पीपराई और कोम्बाई शानदार भारतीय नस्लें हैं। उन्हें पालने में कम लागत आती है और वे भारतीय पर्यावरण और परिवेश के अनुकूल होते हैं। सुरक्षा एजेंसियां इन भारतीय नस्लों को शामिल कर रही हैं। हाल के दिनों में मुधोल हाउंड को प्रशिक्षित कर सेना, सीआईएसएफ और एनएसजी के डॉग स्क्वायड में शामिल किया गया है। कोम्बाई नस्ल के कुत्तों को सीआरपीएफ ने शामिल किया है।”
साल 2010 में सरकार ने भारतीय नस्ल के कुत्तों को पालने के लिए मुधोल के पास Specific Canine Research Centre की स्थापना की थी। वह पहला मौका था जब देश में भारतीय नस्ल के कुत्तों को बचाने लिए एक समर्पित और गंभीर प्रयास किया गया था। साल 2005 में भारतीय डाक विभाग ने मुधोल हाउंड समेत चार कुत्तों पर पांच रुपये का डाक टिकट भी जारी किया था।
मुधोल हाउंड्स की कमी
साल 2018 में इंडियन एक्सप्रेस बात करते हुए कुत्तों के प्रशिक्षण से जुड़े एक अधिकारी ने बताया था कि हाउंड्स उग्रवाद रोधी अभियानों में इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइसेज (आईईडी) का पता लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। मुधोल हाउंड्स में तमाम खूबियों के साथ एक कमी भी है, इस नस्ल का प्रदर्शन ठंडे वातावरण में कम हो जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि यह प्रजाति गर्म जलवायु वाले क्षेत्र का मूल निवासी है।
हम आपके विचारों और सुझावों का स्वागत करते हैं। हमारे साथ किसी भी तरह से जुड़े रहने के लिए हमें kurmiworld.com@Gmail.com पर लिखे, या +91 9918555530 पर संपर्क करे।
अगर आपको यह आर्टिकल अच्छा लगा हो, तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें।