छत्रपति शिवाजी ने क्या सबसे पहले हिंदुत्व का वोट बैंक बनाया था?

शिवाजी महाराज छत्रपति शिवाजी पर महाराष्ट्र में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल के बयान पर बहस छिड़ गई है. चंद्रकांत पाटिल ने कहा है कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने हिंदुत्व का वोट बैंक बनाया. कांग्रेस नेता सचिन सावंत और शिवसेना नेता संजय राउत ने छत्रपति शिवाजी महाराज जैसी शख़्सियत के नाम को वोटबैंक की राजनीति से जोड़ने के लिए चंद्रकांत पाटिल की तीखी आलोचना की है.
चंद्रकांत पाटिल ने क्या कहा था?
पिछले दिनों एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में चंद्रकांत पाटिल ने पार्टी की ओर से टिकट काटने को चुनौती देने वाले नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा था, "टिकट पार्टी का है, इसलिए 'कट माई टिकट' कहना सही नहीं है. टिकट पार्टी का है, वोट बैंक पार्टी का है. यह वोट बैंक संतों, महंतों से लेकर छत्रपति शिवाजी महाराज तक फैला हुआ है. उन्होंने हिंदुत्व के इस वोट बैंक को विकसित किया था."
चंद्रकांत पाटिल ने कहा, "आपको वह वोट बैंक मिलता है, उसके बाद आपका चेहरा और आपके गांव काम आते हैं. वैसे तो टिकट, उम्मीदवार और वोट बैंक सब पार्टी का होता है."
चंद्रकांत पाटिल के बयान के बाद इतिहासकारों ने भी कहा है कि चंद्रकांत पाटिल का बयान शिवाजी महाराज की व्यापक भूमिका के साथ मेल नहीं खाता है.
'हिन्दवी स्वराज्य का अर्थ केवल हिन्दू स्वराज्य नहीं'
इतिहासकार डॉ. जयसिंहराव पवार के मुताबिक छत्रपति शिवाजी महाराज केवल हिंदुओं के नहीं बल्कि सभी लोगों के महाराज थे.
उन्होंने बताया, "हिन्दवी स्वराज्य का मतलब केवल हिंदुओं का स्वराज्य नहीं था. शिवाजी महाराज सभी धर्मों का सम्मान करते थे. भारत में होने का यही मतलब था. शिवाजी महाराज की सेना में मुसलमान अहम भूमिका में थे. शिवाजी महाराज ने कभी नहीं कहा कि मैं केवल हिंदुओं का राजा हूं."
जयसिंहराव पवार ने कहा, "शिवाजी महाराज के लिए उनका राज्य महाराष्ट्र या मराठा राज्य था. इसका मतलब धर्म या जाति के संदर्भ में नहीं, बल्कि क्षेत्र के संदर्भ में था."
कोल्हापुर के इतिहासकार इंद्रजीत सावंत का कहना है कि शिवाजी महाराज के इतिहास को किसी एक धर्म या जाति तक सीमित रखना अनुचित है.
सावंत बताते हैं, "शिवाजी महाराज का चरित्र सार्वभौमिक प्रकृति का है. दुनिया भर के इतिहासकारों ने उन्हें स्वतंत्रता की प्रेरणा कहा है. इस बात के प्रमाण हैं कि असम में अहोम वंश के राजा भी शिवाजी महाराज से प्रेरित थे. शिवाजी महाराज के दृष्टिकोण से, सिंधु से कावेरी तक के लोग हिंदवी स्वराज्य का हिस्सा थे. लेकिन इसका हिंदू धर्म से कोई लेना-देना नहीं था."
शिवाजी महाराज का हिंदवी स्वराज्य'
'विजय नगर वॉयस - एक्सप्लोरिंग साउथ इंडियन हिस्ट्री एंड हिंदू लिटरेचर' में विलियम जैक्सन कहते हैं कि शिवाजी महाराज ने पहली बार 1645 में हिंदवी स्वराज्य शब्द का इस्तेमाल किया था. जैक्सन ने लिखा है, "हिंदवी स्वराज्य का अर्थ था विदेशी शक्तियों से मुक्ति, अपना राज्य.'
शिवाजी महाराज शिवाजी महाराज के धार्मिक व्यवहार और विचारों के बारे में गोविंद पानसरे अपनी पुस्तक 'हू इज शिवाजी' में लिखा है, " शिवाजी धर्म में विश्वास नहीं करते थे. वे धर्मनिरपेक्ष थे या कहें उन्होंने अपने राज्य को धर्मनिरपेक्ष राज्य घोषित किया था."
"शिवाजी एक हिंदू थे. धर्म में उनकी आस्था थी. इस विश्वास के अनुसार वे व्यवहार भी कर रहे थे. वे देवताओं और संतों की पूजा कर रहे थे. वे धार्मिक कामों और मंदिरों के लिए ख़र्च कर रहे थे."
"लेकिन क्या वह इस्लाम के ख़िलाफ़ थे? क्या वह हिंदू धर्म में विश्वास करते थे, यानी मुस्लिम धर्म से नफ़रत करते थे ? क्या वे मुसलमानों का हिंदूकरण करना चाहते थे या यह उनका महाराष्ट्रीकरण करने का प्रयास था?"
इन सभी सवालों के जवाब 'नहीं' हैं. पानसरे यह भी कहते हैं कि शिवाजी महाराज और पेशवाओं का हिंदू धर्म अलग-अलग है, एकसमान नहीं.
शिवाजी महाराज का 'हिन्दवी स्वराज्य' और सावरकर का 'हिन्दुत्व'
पानसरे और जयसिंह पवार के मुताबिक शिवाजी महाराज की हिंदवी स्वराज्य की अवधारणा के पीछे हिंदू धर्म की अवधारणा नहीं थी. लेकिन विनायक दामोदार सावरकर ने अपनी किताब हिंदुत्व में शिवाजी महाराज के काम को मूल रूप से हिंदुत्व का काम बताया था लेकिन उन्होंने यह भी कहा था कि हिंदुत्व की प्रक्रिया 40 सदियों से भी पुरानी है.
'पाटिल का बयान उनकी पार्टी की विचारधारा से मेल नहीं खाता'
वरिष्ठ पत्रकार हेमंत देसाई के मुताबिक चंद्रकांत पाटिल का बयान उनकी पार्टी की विचारधारा से मेल नहीं खाता है.
हेमंत देसाई ने कहा, "भाजपा के लोग हमेशा कहते हैं कि हम हिंदुत्व के मुद्दों के लिए लड़ते हैं लेकिन हिंदू हमारे वोट बैंक नहीं हैं. हिंदुत्व राष्ट्रवाद है, इसलिए इसके लिए लड़ना स्वाभाविक है. भाजपा समय-समय पर कहती रही है कि वोट बैंक अन्य दलों की राजनीति से जुड़ा है, लेकिन अब चंद्रकांत पाटिल ने सीधे तौर पर स्वीकार किया है कि वह वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं."
हेमंत देसाई ने कहा, "शिवाजी महाराज के बारे में ऐसा बयान देना निंदनीय है. शिवाजी महाराज ने सभी जातियों और धर्मों के लोगों को साथ लिया था. उन्होंने ऐसा केवल हिंदुओं के लिए नहीं किया. उन्होंने अपने स्वराज्य के हर तत्व के साथ न्याय किया था. भाजपा ने वोट बैंक की बात करके खुद का नुकसान किया है."
'शिवाजी महाराज के नाम का इस्तेमाल राजनीति का हिस्सा'
वरिष्ठ पत्रकार सचिन परब के मुताबिक बीजेपी शिवाजी महाराज के नाम पर राजनीति करने की कोशिश कर रही है.
उन्होंने कहा, "शिवसेना और मनसे ऐसी दो पार्टियां हैं जो हमेशा शिवाजी महाराज के नाम का इस्तेमाल करती हैं लेकिन हाल के दिनों में बीजेपी द्वारा शिवाजी महाराज के नाम का इस्तेमाल बढ़ गया है. ऐसे बयानों से वे लोग भी दूर जा सकते हैं जो शिवाजी महाराज के नाम पर बीजेपी को वोट दे रहे थे. छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम का इस तरह इस्तेमाल आम मराठी शायद ही पसंद करे."
'शिवाजी महाराज थे रैयतों के राजा'
संजय राउत कांग्रेस नेता सचिन सावंत ने कहा, "भारतीय जनता पार्टी लगातार ऐसे बयान दे रही है. पिछले दिनों छत्रपति शिवाजी महाराज की तुलना नरेंद्र मोदी से की गई और इस तरह से शिवाजी महाराज का अपमान कर रही है."
सचिन सावंत ने इस मुद्दे पर बीजेपी और चंद्रकांत पाटिल को माफ़ी मांगने की मांग की है. सावंत ने साथ में यह भी कहा, "शिवाजी महाराज आम लोगों के राजा थे. छत्रपति शिवाजी महाराज को भाजपा कभी सम्मान से नहीं देखती है. छत्रपति शिवाजी महाराज कभी भी भाजपा आरएसएस के आदर्श नहीं रहे. बीजेपी का आदर्श हमेशा से पेशवा रहे."
इस पूरे मामले पर शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा, "चंद्रकांत पाटिल क्या कहते हैं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. यह ज्ञात नहीं है कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने हिंदू वोट बैंक बनाया था, लेकिन उन्होंने इस देश में पहला हिंदवी स्वराज्य स्थापित किया था."
संजय राउत ने कहा, "छत्रपति शिवाजी महाराज का विचार हिंदू हृदय सम्राट बालासाहेब ठाकरे और उससे पहले वीर सावकर में निहित था. देश में हिंदू वोट बैंक का विचार सबसे पहले बालासाहेब ठाकरे ने दिया था. इस देश के लोग बालासाहेब के योगदान को कभी नहीं भूलेंगे."
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