माधवराव सिंधिया भी संभाल चुके हैं उड्डयन मंत्रालय, अब ज्योतिरादित्य को मिली कमान

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माधवराव सिंधिया और ज्योतिरादित्य सिंधिया (फोटो- इंडियन एक्सप्रेस)

1967 में विजयाराजे सिंधिया कांग्रेस छोड़ कर जनसंघ में शामिल हो गयी थी। लेकिन उनके पुत्र माधवराव सिंधिया 1972 में विधायक बनने के बाद जनसंघ से अलग हो गए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को केंद्रीय मंत्रिपरिषद का विस्तार किया। मध्यप्रदेश में बीजेपी सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया को नागरिक उड्डयन मंत्रालय का पदभार दिया गया है। 3 पीढ़ी से राजनीति में सक्रिय सिंधिया परिवार में यह दूसरा मौका है जब उड्डयन मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली है। इससे पहले ज्योतिरादित्य के पिता माधवराव सिंधिया पीवी नरसिम्हा राव सरकार में नागरिक उड्डयन मंत्री बने थे।

हालांकि एक साल बाद ही माधवराव सिंधिया ने एक विमान दुर्घटना के बाद उन्होंने मंत्रीपद से त्यागपत्र दे दिया था। बताते चलें कि ज्योतिरादित्य सिंधिया दूसरी बार मंत्री बने हैं इससे पहले कांग्रेस सरकार में भी उन्हें मंत्री बनाया गया था। पिछले साल 11 मार्च को उन्होंने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया था। जिसके बाद मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिर गयी थी। शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर से सरकार बना लिया था।

गौरतलब है कि आजादी के बाद सिंधिया परिवार ने अपनी नयी राजनीतिक पाली की शुरुआत कांग्रेस के साथ की थी। ज्योतिरादित्य सिंधिया की दादी विजयाराजे सिंधिया कांग्रेस में शामिल हो गयी थी। 1967 में विजयाराजे सिंधिया कांग्रेस छोड़ कर जनसंघ में शामिल हो गयी। लेकिन उनके पुत्र माधवराव सिंधिया 1972 में विधायक बनने के बाद जनसंघ से अलग हो गए।

1977 में उन्होंने गुना संसदीय क्षेत्र से अकेले चुनाव लड़ा और उसके बाद कांग्रेस में शामिल हो गए। माधवराव का 30 सितंबर 2001 को एक विमान दुर्घटना में निधन हो गया। जिसके बाद से गुना सीट से ज्योतिरादित्य सिंधिया चुनाव लड़ते रहे हैं। पिछले साल कमलनाथ के साथ विवाद के बाद उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया था।

जनसंघ और कांग्रेस की राजनीति के कारण ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव और उनकी दादी विजयाराजे के बीच भी कई बार अनबन की खबर मीडिया में आती रही थी। माधवराव को गांधी परिवार का करीबी माना जाता था। वहीं विजयाराजे सिंधिया गांधी परिवार की कट्टर विरोधियों में से एक थी। उन्होंने इंदिरा गांधी के खिलाफ चुनाव भी लड़ा था। बताते चलें कि बुधवार को प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी मंत्रिपरिषद में व्यापक फेरबदल और विस्तार करते हुए 36 नए चेहरों को इसमें शामिल किया जबकि सात राज्य मंत्रियों को पदोन्नत कर कैबिनेट मंत्री बनाया।

केंद्रीय मंत्रिमंडल से हर्षवर्धन, रमेश पोखरियाल निशंक, रविशंकर प्रसाद, प्रकाश जावड़ेकर, डी वी सदानंद गौड़ा, संतोष गंगवार जैसे नेताओं की छुट्टी कर दी गई जबकि मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार बनाने में मदद करने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया, शिव सेना से भाजपा में आए नारायण राणे और असम में अपने सहयोगी हिमंत बिस्व सरमा के लिए मुख्यमंत्री पद छोड़ने वाले सर्बानंद सोनोवाल को कैबिनेट मंत्री पद से नवाजा गया