1 साल की उम्र में पोलियो... व्हीलचेयर पर रहकर किया संघर्ष, अब सिल्वर मेडल जीत रचा इतिहास!

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टोक्‍यो पैरालंपिक में भारतीय टेबल टेनिस खिलाड़ी भाविना पटेल (Bhavina Patel) गोल्‍ड मेडल जीतने से चूक गई हैं। इस हार के बावजूद भाविना पैरालंपिक में पदक जीतने वाली भारत की पहली टेबल टेनिस खिलाड़ी बन गई हैं. उन्होंने रजत पदक पर कब्जा किया। महिला एकल क्लास 4 वर्ग के फाइनल में चीनी खिलाड़ी झाउ यिंग के हाथों भाविना पटेल को (11-7, 11- 5, 11-6) हार का सामना करना पड़ा।

गोल्ड हारा मगर सिल्वर जीत कर रचा इतिहास

टोक्यो पैरालंपिक में भारत की टेबल टेनिस खिलाड़ी भाविना पटेल ने महिला सिंगल्स क्लास 4 में सिल्वर मेडल जीत इतिहास रच दिया हैं। इसके साथ ही भाविना पैरालंपिक खेलों में भारत की ओर से टेबल टेनिस में मेडल जीतने वाली पहली खिलाड़ी बन गई हैं। बीजिंग और लंदन में स्वर्ण पदक सहित पैरालंपिक में पांच पदक जीतने वाली झाउ के खिलाफ भाविना जूझती नजर आईं और अपनी रणनीति को सही तरह से लागू नहीं कर पाईं।

फाइनल में पहुंचने के साथ हीं इतिहास रच चुकी भाविना के पास आज गोल्ड जीतने का मौका था, लेकिन इस खिताबी मुकाबले में उन्हें चीन की यिंग के हाथों सीधे गेम में हार मिली। शुक्रवार को पैरालंपिक सेमीफाइनल में पहुंचने वाली भारत की वह पहली टेबल टेनिस खिलाड़ी बन गई थीं। उन्होंने क्वार्टर फाइनल में सर्बिया की बोरिस्लावा रांकोविच को 11-5, 11-6, 11-7 से हराकर टेबल टेनिस में भारत के लिए पदक पक्का कर लिया था।

एक साल की उम्र में पोलियो... गरीबी ने व्हीलचेयर पर बिठाया
पैरा टेबल टेनिस की क्लास 1 से 5 व्हीलचेयर खिलाड़ियों के लिए होती है। क्लास 4 के खिलाड़ियों का बैठने का संतुलन ठीक-ठाक होता है और उनकी बांह और हाथ पूरी तरह काम करते हैं। इसीक्रम में भाविना के लिए ये टोक्यो पैरालंपिक के मेडल तक का ये सफर आसान नहीं रहा है। यहां तक पहुंचने के लिए उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है।

34 साल की भाविना पटेल गुजरात के मेहसाणा की रहने वाली हैं। उनका जन्म 6 नवंबर 1986 को मेहसाणा जिले में वडगर के एक छोटे से गांव में हुआ था। भाविना जब केवल साल की रहीं थी तो उन्हें पोलिया हो गया था। उस समय भाविना के पिता के पास इतने पैसे नहीं थे कि बेटी का इलाज करवा सके। हालांकि जब वो चौथे ग्रेड में पहुंचीं तो उनके पिता ने विशाखापट्टनम में सर्जरी जरूर हुई, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।

इन सब कठिन हालात में भी भाविना ने अपने जीत के जज्बे को जिंदा रखा। इसी संघर्ष के साथ भाविना ने अपने गांव में 12वीं तक की पढ़ाई की है। उन्होंने गुजरात विश्वविद्यालय से पत्राचार के माध्यम से स्नातक की डिग्री हासिल की।

शौक को बनाया जिंदगी का सफर

भाविना ने शौक के तौर पर टेबिल टेनिस खेलना शुरू किया था। लेकिन उन्होंने अपने इस शौक को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया। उन्होंने व्हीलचेयर से ही टेबल टेनिस खेलना शुरू किया और आगे चलकर इसी को अपना जुनून और करियर बनाने का ठान लिया। इसके बाद साल 2014 में भाविना के पिता ने अहमदाबाद में दृष्टिहीन लोगों के लिए बनाए गए एक संगठन में ले गए, जहां से भाविना के टेबल टेनिस के करियर की शुरूआत हुई।

यहां पर भाविना को यह संगठन आर्थिक तौर पर मदद करने लगा। उन्होंने अहमदाबाद में रोटरी क्लब के लिए पहला पदक जीता। उनका विवाह निकुंज पटेल से हुआ, जो गुजरात के लिए जूनियर क्रिकेट खेल चुके हैं। भाविना पटेल 2011 में दुनिया की दूसरे नंबर की खिलाड़ी भी बनीं, जब उन्होंने पीटीटी थाईलैंड टेबल टेनिस चैम्पियनशिप में भारत के लिए रजत पदक जीता था।

अक्ट्रबर 2013 में उन्होंने बीजिंग में एशियाई पैरा टेनिस चैम्पियनशिप में रजत पदक जीता था। भाविना ने एक के बाद एक शानदार परफॉ़र्मेंस कर हर जगह मेडल जीतने में सफल रही हैं।

2018 में एशियाई पैरा खेलों में ब्रॉन्ज मेडल जीता तो वहीं, 2019 में, बैंकाक में अपना पहला अंतर्राष्ट्रीय एकल गोल्ड मेडल जीतने में भाविना सफल रही हैं। इसके बाद भाविना ने टेबल टेनिस कई चैंपियनशिप जीतकर इतिहास रच दिया। इसके बाद उन्हें देश भर में पहचान मिली। और आज बह देश के लिए सिल्वर मेडल जीत कर लाइ है।

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