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हरित क्रांति, श्वेत क्रांति से अब तक.. किसानों की हालत में कितना आया सुधार?
कृषि उत्पादन लगातार ऊंचाइयों की तरफ बढ़ रहा है. साल 2022 में 31.52 करोड़ टन खाद्यान्न उत्पादन और 32.5 करोड़ टन फल-सब्जियों के उत्पादन का अनुमान है. साल 2016 में एक सर्वेक्षण के मुताबिक भारत के किसान परिवार की औसत आय ₹20,000 सालाना थी. यह सवाल काफी गंभीर है कि किसान परिवार जीवित कैसे रहते हैं.
साल 1955 में लाल किले के प्राचीर से देश को संबोधित करते हुए पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा था किसी देश के लिए खाद्य सामग्री का आयात करना बहुत शर्मनाक कदम है. हर चीज इंतजार कर सकती है लेकिन खेतीबाड़ी नहीं. पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि देश में कृषि के जरूरी बुनियादी ढांचे की नींव रखी जा रही है, इससे आगे चलकर हरित क्रांति में मदद मिल सकती है.
17 नवंबर 1960 को उत्तर प्रदेश के पंतनगर में पहले कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना हुई. देश के पहले पीएम जवाहरलाल नेहरू को विज्ञान से बहुत उम्मीदें थी और वह यह मानते थे कि अकेले कृषि शोध जीडीपी विकास को मजबूती प्रदान कर सकता है.
वह यह भी मानते थे कि कृषि की मजबूती देश की आर्थिक मजबूती में बड़ा योगदान दे सकती है. साल 1962 में पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना की स्थापना हुई. साल 1963 में भाखड़ा बांध देश को समर्पित किया गया. इस तरह कई तरीकों से पंडित नेहरू ने बुनियादी ढांचे की नींव रखी जिसे बाद में हरित क्रांति कहा गया.
हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि किसानों ने किस तरह का समर्पण दिखाते हुए देश को कृषि आयात से कृषि निर्यात के रूप में मजबूत करने में सफलता हासिल की है. साल 1964 में पंडित जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद उनके उत्तराधिकारी लाल बहादुर शास्त्री ने दुग्ध क्रांति की शुरुआत की. इसे श्वेत क्रांति के नाम से भी जानते हैं. इसके बाद हरित क्रांति इंदिरा गांधी की देन थी.
दूध उत्पादन के लिए समिति
साल 1965 में भारत के इतिहास में दो बड़ी क्रांति का सूत्रपात हुआ. 1965 में प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने दूध की सहकारी समितियों की नींव रखी जिससे किसानों को दूध की ज्यादा कीमत मिल सके. शहरी उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराने के लिए भी इस योजना का बड़ा योगदान माना जा सकता है. दुनिया के सबसे सफल ग्रामीण विकास कार्यक्रम में से डेयरी सहकारी समितियों ने भारत को दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश बना दिया.
किसानों के लिए मददगार
दूध उत्पादन से किसानों को खेती में होने वाले नुकसान की भरपाई करने में मदद मिलती थी. आमतौर पर माना जाता है कि जो किसान खेती में नुकसान उठा रहे हैं, उनके पास जीवनयापन के लिए सहायक के रूप में दूध देने वाले पशु मददगार साबित होते हैं.
15 करोड़ किसानों का बदला जीवन
ऑपरेशन फ्लड ने 15 करोड़ से ज्यादा डेयरी किसानों को लाभ पहुंचाया है, इनमें से ज्यादातर लाभार्थी महिलाएं हैं. 1 साल बाद 1966 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने मेक्सिको से 18000 क्विंटल गेहूं के उन्नत बीज की आयात की अनुमति देकर हरित क्रांति की शुरुआत की. कृषि वैज्ञानिकों ने इन बीज को भारतीय परिस्थितियों के अनुकूल बनाया और उसका पूरा फायदा गेहूं के मामले में मिला.
कई फसलों की उपज बढ़ी
गेहूं और दूध की उपज में हासिल कामयाबी के बाद चावल, कपास, गन्ना, सब्जियों, फलों और बागवानी उपज के मामले में भी कामयाबी हासिल की गई. खाद्य पदार्थों के मामले में भारत आत्मनिर्भर होता गया. इसके बाद खेती भारत जैसे संप्रभु राष्ट्र की नींव बन गई. यह एक ऐसा तथ्य है जिसे हर किसी को स्वीकार करना चाहिए.
हरित क्रांति का असर
हरित क्रांति ने पुरानी खाद्य कमियों वाली स्थिति को खत्म कर दिया. पिछले कुछ सालों में खेती का इतना असर हुआ है, इतना विकास हुआ है कि गंभीर सूखे का भी बहुत असर नहीं देखा जा रहा. कृषि की जो ताकत भारत को हासिल हुई है उसे इस बात से आंकना होगा कि उसने आपदा के समय उसका सामना कैसे किया. किसानों ने पिछले 75 साल से बंपर फसल पैदा करने के लिए कड़ी मेहनत की है और वे साल दर साल नया कीर्तिमान रच रहे हैं.
कृषि उपज के आंकड़े
कृषि उत्पादन लगातार ऊंचाइयों की तरफ बढ़ रहा है. साल 2022 में 31.52 करोड़ टन खाद्यान्न उत्पादन और 32.5 करोड़ टन फल-सब्जियों के उत्पादन का अनुमान है. साल 2016 में एक सर्वेक्षण के मुताबिक भारत के किसान परिवार की औसत आय ₹20,000 सालाना थी. यह सवाल काफी गंभीर है कि किसान परिवार जीवित कैसे रहते हैं.
किसानों की आमदनी
वास्तव में कृषि क्षेत्र में एक असाधारण संकट है जिसकी वजह से किसानों की आमदनी नहीं बढ़ पा रही है. सदाबहार क्रांति का एक लक्ष्य खुशहाल किसान भी है जिसे कर्ज और आत्महत्या के चक्रव्यूह से बाहर निकाला जाना चाहिए. अतीत की प्रभावशाली उपलब्धियों पर निर्माण कर ऐसी किसी व्यवस्था तैयार की जा सकती है जो न केवल आर्थिक रूप से व्यवहारिक हो बल्कि पर्यावरण की दृष्टि से भी टिकाऊ हो.
किसानों की मेहनत का फल
दुनिया में भारत दूध उत्पादन में नंबर वन पर है जबकि गेहूं, चावल, मूंगफली, सब्जियों और फलों के उत्पादन में दूसरे नंबर पर है. साल 2020 में भारत कृषि उत्पादन में दो नंबर पर रहा था. देश में कृषि से संबंधित स्टार्टअप में भी खासी तेजी दर्ज की जा रही है. सिर्फ 1 साल में 6221 कृषि स्टार्टअप शुरू हुए हैं. साल 2020 के आर्थिक सर्वे के मुताबिक देश की जीडीपी में कृषि क्षेत्र का योगदान 20% रहा जो पिछले 17 साल में पहली बार इस आंकड़े तक पहुंचा है. इससे पहले साल 2003 में यह आंकड़ा आया था.
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और शिक्षाविद हैं. यहां व्यक्त विचार निजी हैं.)
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