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यूपी: बाराबंकी के पूरे गांव में होती है मशरुम की खेती, तीन महीने में कमा लेते हैं अच्छा मुनाफा

मनरखापुर गाँव के किसान पांरपरिक खेती के साथ-साथ मशरूम की खेती करके दोगुना लाभ कमा रहे है। इस गाँव के लगभग सभी किसानों ने इस व्यवसाय को अपनाया हुआ है। बाराबंकी जिले से करीब 30 किमी. दूर सिद्धौर ब्लॅाक के मनरखापुर गाँव में रहने वाले विनय वर्मा (25 वर्ष) पिछले 15 वर्षों से मशरूम की खेती कर रहे है। विनय बताते हैं, "वर्ष 1993 हमारे पास के गाँव में मशरूम की खेती शुरू हुई। उसके धीरे-धीरे जब उसमें फायदा दिखा तब हमारे गाँव में भी इसकी शुरूआत हुई। आज गाँव के सभी लोग गेहूं, धान के साथ मशरूम की खेती करते है।''

विनय बताते हैं, ''इस बार मैंने 75 कुंतल भूसे में मशरूम लगाया है जिससे मुझे उम्मीद है कि 40 कुंतल मशरूम का उत्पादन होगा। बाजार में इसकी कीमत लाखों रुपए में होगी।''


मनरखा गाँव में करीब 200 घर बने हुए है इनमें से 100 घरों में पारंपरिेक खेती गेहूं धान के साथ-साथ मशरूम की खेती कर रहे है। बाजार में अधिक मांग के चलते मशरूम की खेती भारत में तेजी से बढ़ी है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकतर लोगों को मशरूम अधिक पसंद आने लगा है। कई प्रदशों में सब्जियों की छोटी-छोटी दुकानों में भी मशरूम खूब बिक रहा है। मनरखा गाँव के शिवा दिवेद्धी (23वर्ष) ने गाँव के लोगों से ही प्रेरित होकर मशरूम की खेती शुरू की। आज वो इससे अच्छा लाभ कमा रहे है। शिवा बताते हैं, ''धान की खेती में पांच हजार से ज्यादा की लागत लग जाती है और लाभ भी उतना ही होता है लेकिन मशरूम में अगर ढ़ेड लाख रूपए की लागत आई है छह महीने में पांच लाख रुपए तक कमाई हो जाती है। इस बार में 200 कुंतल लगाया हुआ है, जिसमें ढाई लाख रुपए की लागत आई है और इससे मुझे इस बार साढ़े सात लाख रुपए का मुनाफा होगा।''

इसको बेचने के बारे में शिवा बताते हैं, ''गोरखपुर, फैजाबाद, बस्ती, देवरिया, कानपुर, सीतापुर, लखीमपुर समेत कई जिलों में हमारे गाँव के मशरूम जाते है। किसानों को उनके उत्पादन का सही दाम मिले इसके लिए कंपनी भी बनाई हुई है। हम लोगों सीधे मशरूम बेचकर लाभ कमाते हैं। क्योंकि रेट बाजार में मशरूम के रेट के घटते-बढ़ते रहते हैं।'' मशरूम बटन की खेती से किसान लागत का दुगना फायदा महज चार महीने में आसानी से उठा लेते है। भारत में बटन मशरूम उगाने का उपयुक्‍त समय अक्टूबर से मार्च के महीने हैं। इन छ: महीनो में दो फसलें उगाई जाती हैं।

''मैं पिछले दस वर्षों से खेती कर रहा हूं। अगस्त से शुरू होकर फरवरी तक इसकी खेती होती है। इतने ही समय में हमको इस व्यवसाय से अच्छी कमाई हो जाती है। मशरूम उगाने के लिए कोई भी चीज बाहर से जरूरत नहीं पड़ती है देसी जुगाड़ से इस व्यवसाय का ढांचा तैयार करते है।'' ऐसा बताते हैं, मनरखा गाँव के सोनू कुमार(29 वर्ष)।

इस व्यवसाय में आने वाली चुनौतियों के बारे में सोनू बताते हैं, ''मशरूम के लिए मौसम का सही होना बहुत जरूरी है। अगर मौसम खराब है तो इसका सीधा असर इसके उत्पादन पर पड़ता है। मशरूम का सही तापमान है 18 डिग्री से 28 डिग्री तक जिसको बना के रखना पड़ता है।''

किसान सीमित संसाधन में मशरूम की खेती कर बढ़िया मुनाफा कमा रहे हैं। कम जगह में अधिक से अधिक फायदा देने वाली यह खेती कई किसानों के आय का जरिया बन रही है। शुरुआत में मशरूम की खेती करने वाले किसानो की आर्थिक स्थिति में आए सुधार को देखते हुए भारी संख्या में किसानों ने इसे अपना लिया।

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