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मैकेनिकल इंजीनियर बन गया किसान, खुद भी कमाता है लाखों में और दूसरों को भी देता है रोज़गार!
गाँव के पढ़े-लिखे युवाओं को अपने साथ वह खास तौर से जोड़ने की कवायद कर रहे हैं, ताकि उन्नत खेती पर पूरा ध्यान दें सकें।
इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल कर चुके किसी भी युवक का सपना होता है कि वह कोई बहुत अच्छी नौकरी करे और शानदार जीवन जिए। रितेश पाटीदार ने भी जब मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री ली तो यही सोचा था। लेकिन दो महीने गाँव में बिताने के बाद उनको एहसास हुआ कि इंजीनियर बनकर ही नहीं, बल्कि एक किसान के तौर पर भी आप अपनी जिंदगी में बहुत बेहतर कर सकते हैं। खेती से न केवल आप खुद कमाई कर सकते हैं, बल्कि दूसरे लोगों को भी रोजगार दे सकते हैं। यह विचार मन में आते ही उन्होंने तय कर लिया कि उन्हें प्रगतिशील किसान के रूप में कुछ करना है। इसके लिए उन्होंने विभिन्न संस्थानों में ट्रेनिंग ली और उसके बाद वैज्ञानिक तरीके से खेती आरंभ की। आज रितेश पाटीदार की कमाई लाखों में है और उन्होंने अपने साथ गाँव के कई युवाओं को रोजगार भी दिया है।
बदलाव का पहला कदम
रितेश पाटीदार
रितेश पाटीदार ने मध्य प्रदेश के रतलाम जिले के ब्लॉक पिपलोदा स्थित सोहनगढ़ गाँव से स्कूली शिक्षा पूरी कर मंदसौर से केमिकल इंजीनियर में ग्रेजुएशन की डिग्री ली। उनके पास अपनी 12 एकड़ जमीन थी। इससे पहले वह खरीफ की फसलों में सोयाबीन और रबी की फसलों में गेहूं और मक्का बो रहे थे। इस दौरान उन्होंने राज्य बागवानी विभाग की ओर से आयोजित एक जागरूकता कार्यक्रम में हिस्सा लिया, जहां उन्हें लाभदायक कृषि और बागवानी के बारे में बताया गया। इसके बाद उन्होंने पीएफडीसी, भोपाल में संरक्षित उत्पादन तकनीकी पर आधारित एक ट्रेनिंग प्रोग्राम में हिस्सा लिया। यहीं से उनका खेती का तरीका बदल गया। उन्होंने वैज्ञानिक विधि अपनाने की ठान ली।
नई तकनीक अपनाई और लाखों में हो गयी कमाई
रितेश अपने खेतों में
रितेश बताते हैं कि उन्होंने स्टेट हॉर्टिकल्चर मिशन के तहत सब्सिडी लेकर प्राकृतिक रूप से वेंटिलेटेड एक 2600 स्क्वायर मीटर का पॉलीहाउस तैयार किया। इसमें ड्रिप सिंचाई विधि से ढाई एकड़ जमीन पर खीरा उगाना शुरू कर दिया। टमाटर, शिमला मिर्च, लौकी, कद्दू जैसी सब्जियां भी उगानी शुरू कर दी। इस तरह से न केवल रितेश ने पानी और उर्वरक की बचत की, बल्कि पॉलीहाउस में खेत के मुकाबले तीन गुना ज्यादा पैदावार हासिल की। इस पूरी प्रक्रिया में उनका शुरूआती निवेश करीब साढ़े 11 लाख रुपए का था। अब वह सालाना इससे अधिक अर्जित कर रहे हैं। इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि रितेश करीब तीन एकड़ में केवल टमाटर उगा रहे हैं, जिससे उन्हें लगभग पांच लाख सालाना आय है। ऐसे उनके तीन खेत हैं।
खुले खेतों में होता है गेहूं, प्याज, लहसुन, मक्का और बहुत कुछ
रितेश बताते हैं कि उन्होंने खुले खेत में पैदावार बंद नहीं की है। इन खेतों में भी वह प्याज, लहसुन, मक्का आदि की फसल उगा रहे हैं। सब्जियों की बेहतर पैदावार के लिए तापमान का पूरा ध्यान रख रहे हैं। अब वह अपनी खेती को और बढ़ाने की सोच रहे हैं। उनका इरादा यह है कि वह गाँव के अन्य युवाओं को साथ लेकर इस क्षेत्र में आगे बढ़ें। गाँव के पढ़े-लिखे युवाओं को अपने साथ वह खास तौर से जोड़ने की कवायद कर रहे हैं, ताकि उन्नत खेती पर पूरा ध्यान दें सकें।
शुरू की फूलों की खेती
रितेश के उगाये फूल
रितेश पाटीदार ने फूलों की खेती की तरफ भी कदम बढ़ाया है। उनका कहना है कि यदि तापमान का ध्यान रखकर फूलों की खेती की जाए तो इसमें काफी लाभ है।
उन्होंने कहा, “मैं फूलों की खेती में तापमान का ध्यान रखता हूँ। बेशक ये सारे कदम थोड़े महंगे पड़ते हैं, लेकिन इनका पैदावार पर सकारात्मक असर पड़ता है और पैदावार बेहतरीन होती है।”
वह खेती, बागवानी को आगे बढ़ाने में मध्य प्रदेश कृषि और उद्यान विभाग का भी बड़ा हाथ मानते हैं। उनका कहना है कि यहां किसानों की बेहतरी के लिए बहुत सी योजनाएं चल रही हैं और अधिकांश योजनाओं पर सब्सिडी भी है। उनका कहना है कि अगर किसान इन योजनाओं का फायदा उठाए तो वह अपनी आजीविका तो बेहतर तरीके से चलाएंगे ही, लोगों को रोजगार देने में भी सक्षम होंगे।
इंजीनियरिंग भी आई खेती में काम, हर दिक्कत का तकनीकी हल निकाला
रितेश का मानना है कि किसानी करते हुए उनकी इंजीनियरिंग की डिग्री बेकार नहीं गई है। जब भी कोई समस्या सामने आती है तो वह उसका तकनीकी हल निकालने में कामयाब होते हैं। परंपरागत खेती की तकनीक को छोड़कर वैज्ञानिक तकनीक अपनाने को वह उसी का नतीजा करार देते हैं। जिससे उनकी आय में करीब तीन गुना की बढ़ोतरी हुई। उनके मुताबिक साथ मिलकर खेती के भी बहुत फायदे हैं। वह सहकारी खेती को भी एक अच्छा उपाय मानते हैं। रितेश की दो साल पहले ही शादी हुई है और अब उनकी पत्नी भी खेती के काम में उनका हाथ बंटाती हैं।
एक ही कार्य पर फोकस जरूरी
रितेश का कहना है कि किसी भी कार्य में फोकस बहुत जरूरी है। आज कुछ और तो कल किसी और काम को करने में रुचि दिखाने से कुछ हासिल नहीं होता। उन्होंने अपना उदाहरण देते हुए बताया कि जब इंजीनियरिंग के बाद 2 महीने तक गाँव में रहे तो उनके दिमाग में खेती-किसानी का ही आईडिया घूमता रहा। उन्होंने उसी पर फोकस किया। इसके साथ ही वह ट्रेनिंग को भी बहुत जरूरी मानते हैं उनका कहना है कि जब आप किस चीज में पैसा और समय लगा रहे हैं तो पूरी तरह तैयार होकर ही उसमें उतरें, तभी किसी भी काम में सफलता मिल सकती है।
सम्पर्क सूत्र : किसान साथी यदि खेती किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें kurmiworld.com@gmail.com पर ईमेल लिखकर या फ़ोन नम्बर +91 9918555530 पर कॉल करके या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं Kurmi World के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल ।
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