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बांस की खेती बना हरा सोना, इसकी खेती से बन सकते हैं करोड़पति, सरकार भी दे रही 50% की सब्सिडी

क्या आप जानते हैं बांस को हरा सोना भी बोला जाता है. ये भी बोला जाता है कि किसी भी बंजर से बंजर जमीन को ये बांस की खेती से उपजाऊ तैयार किया जा सकता है. दूसरी ओर इसकी खेती की मदद से अच्छा खासा प्रॉफिट भी पाया जा सकता है हमने अपने आस पड़ोस कई ऐसे खेतों को देखा है जो पूरी तरह से बंजर है और उस जमीन पर बहुत सारे बांस लगे होते है। क्या आपको पता है बंजर जमीन पर बांस क्यू लगाए जाते हैं। अगर नहीं, तो हम आपको बता दें कि बंजर भूमि को उपजाऊ बनाने के लिए उसपर बांस लगा दिए जाते हैं।

आज हम बात कर रहे हैं महाराष्ट्र के उस्मानाबाद के निवासी राजशेखर पाटिल के बारे में।

राजशेखर पाटील एक संपन्न किसान परिवार से नाता रखते हैं. उनके पिता मुरलीधर पाटील ने उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद से गणित से एमएससी किया था. वह आगे चाह लेते तो किसी काफी बड़े शहर में बढ़िया नौकरी कर सकते थे. पर उन्हें संयुक्त परिवार में रहना अच्छा लगता था. पर उन्होंने अपने घर के 70 लोगों और खेती के लिए 300 एकड़ जमीन को चुनाव किया. 300 एकड़ जमीन के मलिक वाला किसान कितना समृद्ध हो सकता है ये सबको जानकारी है पर राजशेखर के गाँव में पानी और बिजली की दिक्कत ने इन जमीनों को बंजर कर दिया.

पानी होने की वजह से राजशेखर पाटील के गांव का नाम निपानी हो गया. उनका गांव सूखाग्रस्त होने के साथ में बारिश की कमी से भी परेशान होता रहा है. राजशेखर ने जमीन का लोभ छोड़कर पढ़ाई कर बढ़िया नौकरी लेने का निर्णय किया पर बीएससी-एजी की पढ़ाई करने के बाद भी उनके हाथ अच्छी नौकरी आई. उन्होंने सबसे प्रथम लंबे वक्त तक प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी की पर उनके हाथ असफलता ही लगी. किसी प्राइवेट कंपनी ने भी उन्हें नौकरी नहीं दी.

थक हार कर वह अन्ना हजारे के साथ में जुड़ गए. अन्ना हजारे को कुछ जवान लोगों की आवश्यकता थी पर राजशेखर पाटील को वहां भी नहीं रखा गया. बाद में बार बार बोलने पर अन्ना हजारे ने उन्हें अपने जल संरक्षण, मृदा संरक्षण और नशा मुक्ति जैसे अभियानों में कार्य दिया. उन्हें यहां बस 2000 रुपये महीना आई होती थी. 6 साल कार्य करने के बाद उनकी सैलरी बस 6000 रुपया महीना हुई.

राजशेखर की भाग्य को सही दिशा तब आई जब उन्हें कही से एक दिन पता लगा कि एक सरकारी नर्सरी में बांस के पौधे मुफ्त बांटे जा रहे हैं. पर, राजशेखर को अपनी फसल की देख रेल के लिए खेत के सारे तरफ बाड़ लगाना था पर उनके पास इतने पैसे मौजूद ही नहीं थे. इस हालत में उन्होंने ख्याल किया कि क्यों खेत के चारों ओर बांस का उपयोग कर दी जाए, जिससे कि एक बाड़ बन के तैयार हो जाएगी.

राजशेखर पाटील ने एक बार ही 40 हजार बांस के पौधे लगा कर खेत की सीमा पर उगा दिए. उन्हें क्या ही जानकारी था कि वह बांस के पौधे नहीं पर अपने सुनहरे आने वाले कल की फसल लगा रहे हैं. 2 वर्ष में ही उन पौधों से 10 लाख बांस बन कर तैयार हो गए.

इन सब की राजशेखर ने 20, 50 और 100 रुपये तक में बेच डाला. इस तरह 2 साल में ही उनका टर्नओवर एक करोड़ रुपये तक चला गया. इसके पश्चात उन्होंने और ज्यादा बांस लगा कर अपने पूरे खेत में उगा दिए. आज उनके पास हर वर्ष 1 करोड़ बांस तैयार होता है. इस तरह से कभी 2000 की नौकरी करने वाले राजशेखर का लगभग 6-7 करोड़ रुपये का टर्नओवर है.

बांस की खेती कर कमा सकते हैं अच्छा मुनाफा

गांव में लोग बांस को हरा सोना कहा करते है क्योंकि इसकी खेती कर यह बंजर से बंजर जमीन उपजाऊ बनाया जा सकता है। लेकिन आज ने समय में लोग बांस की खेती अपने मुनाफा के लिए कर रहे हैं ताकि इससे वे ढेरों सारे पेड़ उपजा कर बेच सकें और ज्यादा पैसा कमा सकें।

जुलाई महीने में होती है बांस की रोपनी

बांस की खेती से मुनाफा को देखते हुए युवा तथा किसान इसको लगाने के लिए जानकारियां हासिल करने में जुट गए है। अगर आपको भी बांस की खेती करनी हैं तो बता दें कि इसकी रोपाई जुलाई के महीने में ही होती है और इसमें महज दो महीने में पूरा विकास हो जाता है। इसके अलावे बता दें कि, बांस की कटाई अपने उपयोग के अनुसार की जा सकती है लेकिन मुख्य रूप से इसकी कटाई अक्टूबर से दिसंबर तक की जाती है।

टोकरी बनाने के लिए कैसी बांस की होती है जरूरत

बता दें कि, बांस की टोकरी बनाने के लिए लोग 3-4 साल पुरानी बांस की फसल का उपयोज करते हैं तथा ज्यादा मजबूती के लिए 6 साल पुरानी बांस की जरूरत पड़ती है।

महाराष्ट्र के किसान ने बांस की खेती कर कमाया लाखों का मुनाफा

बता दें कि, महाराष्ट्र के ओसमनाबाद के निपानी गांव के किसान राज शेखर पाटिल ने अपने खेतों के चारों ओर 40 हजार बांस के पेड़ लगाए और उससे उन्हे महज 2 से 3 सालों में हीं 10 लाख बांस की उपज प्राप्त हुई।

फिर उन्होंने इन बांसों को बेचना शुरू किया। पहले साल में तो उन्होंने इन बांसों से 1 लाख रुपए तक का मुनाफा कमाया लेकिन दूसरे साल उन्हे 20 पहले साल की तुलना में 20 गुना मुनाफा प्राप्त हुआ।

मुनाफा को देख बांस की खेती को दिया विस्तृत रूप

प्रत्येक साल बांस को बेच कर बढ़ते मुनाफे को देखते हुए राज शेखर ने अब अपने 30 एकड़ जमीन के चारों तरफ बांस को उगाना शुरू कर दिया है और इन्हीं बांसों से वे अब करोड़पति बन चुके हैं। बता दें कि, अब उनके पास 54 एकड़ अपनी भूमि हो चुकी है।

केंद्र सरकार लेकर आई राष्ट्रीय बांस मिशन योजना

दिन प्रतिदिन देश में बेरोजगारी बढ़ती नजर रही है, जिससे युवा काफी निराश रह रहे हैं। युवाओं की इस परेशानी को देखते हुए केंद्र सरकार इसका हल निकालने के प्रयास में जुटी है।

जी हां, केंद्र सरकार द्वारा बेरोजगारी दर को कम करने के लिए राष्ट्रीय बांस मिशन योजना शुरू की गई है, जिससे बेरोजगार युवाओं को बांस उगाने पर 50 फीसदी की सब्सिडी दी जाएगी और वहीं एक पौधे पर 120 रुपये की सब्सिडी छोटे किसानों को दी जाएगी। इसके लिए वन विभाग द्वारा बांस के पौधे उपलब्ध कराए जाएंगे।

 

सम्पर्क सूत्र : किसान साथी यदि खेती किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें kurmiworld.com@gmail.com पर ईमेल लिखकर या फ़ोन नम्बर +91 9918555530 पर कॉल करके या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं Kurmi World के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल ।

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