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भाकृअनुप-सीआइएई, भोपाल का फल-सह-सब्जी श्रेणी-निर्धारक (ग्रेडर) ने किसानों की आय को दोगुना करने का मार्ग प्रशस्त किया
फलों और सब्जियों की श्रेणीकरण (ग्रेडिंग) को उत्पादकों के बीच सबसे महत्त्वपूर्ण कार्यों में से एक माना जाता है क्योंकि यह उत्पादों में मूल्य वृद्धि करता है और बेहतर आर्थिक लाभ प्रदान करता है। जबकि, मैन्युअल ग्रेडिंग महंगी और समय लेने वाली प्रक्रिया में से एक है। व्यस्ततम मौसम के दौरान मजदूरों की अनुपलब्धता के कारण यह प्रक्रिया प्रभावित हो जाती है।
भोपाल के श्री मदन मोहन पाटीदार अपनी 15 एकड़ जमीन से 250 टन प्याज का उत्पादन करते हैं। यदि कोई व्यक्ति प्रति दिन 500 किलो प्याज का ग्रेडिंग हाथ से (मैन्युअली) करता है तो 2 लाख रुपए (400रुपए/मजदूर) की कुल श्रम लागत पर 250 टन प्याज की ग्रेडिंग के लिए 500 मजदूर/दिन की आवश्यकता होगी।
भाकृअनुप-केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान, भोपाल ने प्याज, मीठा नींबू और अमरूद की ग्रेडिंग के लिए श्री पाटीदार को मेरा गाँव मेरा गौरव कार्यक्रम के तहत विकसित किए गए अपने फल-सह-सब्जी श्रेणी-निर्धारक (ग्रेडर) का प्रदर्शन किया। ग्रेडर से संतुष्ट होने के बाद श्री पाटीदार ने 250 टन प्याज की ग्रेडिंग के लिए अपने खेत में ग्रेडर स्थापित किया। इस ग्रेडर की क्षमता 2 टन/घंटा है। अर्थात प्रति दिन 8 घंटे के संचालन के फलस्वरूप 16 दिनों में ग्रेडर 250 टन प्याज के आसपास ग्रेड कर सकता है।
इसके अलावा यह कुशल ग्रेडिंग के साथ-साथ समय, श्रम और लागत को बचाने में मदद कर सकता है। ग्रेडर का उपयोग करने पर इसके संचालन की लागत 300 रुपए/टन है। इस प्रकार 250 टन प्याज की ग्रेडिंग के लिए कुल 75,000 रुपए की लागत होती है। ग्रेडर ने श्री पाटीदार को 1,25,000 रूपए (63%) की बचत करने में मदद की। बिना ग्रेडिंग के प्याज की कीमत 400 रुपए/क्विंटल है, जबकि ग्रेडिंग के फलस्वरूप प्याज की कीमत 700 रुपए/क्विंटल है।
श्री पाटीदार ने 250 टन ग्रेडेड प्याज से 7,50,000 रुपए का शुद्ध लाभ प्राप्त किया है। भाकृअनुप-केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान, भोपाल द्वारा विकसित फल-सह-सब्जी श्रेणी-निर्धारक (ग्रेडर) का उपयोग करके कुशल ग्रेडिंग के साथ समय और श्रम की बचत के अलावा ग्रेडेड प्याज के विपणन से कुल लाभ 7,50,000 रुपए है।
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