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जीरो बजट की खेती – सूरत का ये किसान मात्र 3-4 हजार लगा कर 60 हजार तक का मुनाफा कमा रहा

आजकल सभी लोग जागरूक हो चुके हैं और जैविक खेती के फायदे समझ चुके हैं। अब लोगों को यह पता चल चुका है कि जैविक खेती करने पर लागत भी कम आती है और मुनाफा भी ज़्यादा होता है। इसके साथ ही इससे उपजी सब्जियों और फलों के सेवन से स्वास्थ्य भी ठीक रहता है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको जैविक खेती करने वाले एक किसान के बारे में बताएंगे जिन्होंने खेती में अपनी लागत को 7 हज़ार से घटाकर 3 से 4 हज़ार रुपए तक कर लिया है।

जैविक खेती करने वाले इस किसान का नाम है प्रकाश भाई पटेल (Prakash Bhai Patel) जो गुजरात के सूरत के वाडिया गाँव के रहने वाले हैं। जैविक खेती करने का सबसे बड़ा फायदा होता है इससे फसलों की पैदावार अच्छी होती है और मिट्टी पर भी बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है।

प्रकाश भाई पटेल ने खेती के लिए पूरी तरह से रसायनिक खाद और दवाइयों को का इस्तेमाल करना छोड़ दिया है। खेती के लिए इनके पास 4 बीघा ज़मीन है जिसमें वह कई सब्जियों जैसे भिंडी, बैंगन, मिर्च, प्याज के साथ और भी कई हरी सब्जियों को उगाते हैं। उन्होंने बताया कि जनवरी में वह अपने खेत में भिंडी का बीज बोए थे और उसने किसी भी तरह का केमिकल का इस्तेमाल नहीं किए थे। उन्होंने सिर्फ़ गोमूत्र और गाय के गोबर का ही इस्तेमाल किया था। इसका परिणाम यह हुआ कि बहुत ही कम समय में फ़सल तैयार हो गई और फ़सल का स्वाद भी पहले की तुलना में बहुत ज़्यादा अच्छा था। इसका एक फायदा और हुआ कि बाज़ार में उन्हें इस फ़सल की क़ीमत भी बहुत अच्छी मिली।

जैविक खेती को लेकर प्रकाश पटेल बताते हैं कि प्राकृतिक खाद के प्रयोग से खेती करने में लागत भी बहुत कम आती थी। उन्होंने बताया कि पहले खाद और दवाइयों के लिए उनके 7 हज़ार रुपए लग जाते थे वहीं अब 2 से 3 हज़ार में ही वह प्राकृतिक खाद तैयार कर लेते हैं। इन फायदों को देखते हुए और ज़्यादा प्रेरित हुए और आगे भी जीरो बजट फार्मिंग करने का फ़ैसला लिया है।

प्रकाश पिछले 1 साल से ही प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। खेती को शुरू करने से पहले उन्होंने लगभग 1 सप्ताह का प्रशिक्षण भी लिया था। प्रशिक्षण पूरी करने के बाद उन्होंने अपने गाँव के पास ही स्थित एक गौशाला से संपर्क किया और वहाँ से हर रोज़ वह गाय का गोबर और गाय का मूत्र लाकर अपने फसलों के लिए इसका इस्तेमाल करने लगे।

प्रकाश अपने फसलों की पैदावार और उसकी गुणवत्ता को देखते हुए उन्होंने गीर नस्ल की दो गाय भी खरीदी हैं। अब घर पर ही कई तरह की दवाइयाँ जैसे दशपर्णीअंक, जीवामृत बनाकर फसलों के लिए प्रयोग करते हैं। ख़ुद खेती करने के साथ-साथ अब वह दूसरे किसानों को भी इसके लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं और उन्हें जैविक खेती के बारे में जानकारियाँ भी देने लगे हैं। दूसरे किसान भी इनसे प्रेरित होकर इन्हीं के बताए हुए तरीकों को अपनाते हैं और खेती में मुनाफा कमा रहे हैं।

फसलों के प्रमोशन के लिए किसानों का ग्रुप बनाया

प्रकाश भाई ने किसानों का एक ग्रुप भी बनाया है और शहर में जाकर प्राकृतिक फसलों के बारे में लोगों को बताया जाता है, ताकि दूसरे लोग भी इसके फायदे को समझ सके। साथ ही उस ग्रुप के जरिए लोगों को खाद और प्राकृतिक दवाइयाँ भी बनाने के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है। लोग खेती से जुड़ी जानकारियों को जानने के लिए उनसे संपर्क भी कर सकते हैं।

प्राकृतिक खेती के फायदे

प्रकाश भाई पटेल ने बताया कि इन फसलों और सब्जियों के सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है और गाय के गोबर और मूत्र निर्मित खाद के इस्तेमाल से मिट्टी भी ठोस नहीं होती जिससे जुताई करने में आसानी होती है। उन्होंने बताया कि इससे जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग की समस्या को भी कम किया जा सकता है।

प्रकाश भाई पटेल ने यह भी बताया कि पेस्टिसाइड के प्रयोग वाले फसलों के सेवन से कई गंभीर बीमारियाँ जैसे कैंसर, डायबिटीज का ख़तरा भी बढ़ जाता है और यदि वे जैविक तरीके से की गई खेती के फलों और सब्जियों का सेवन करते हैं तो इन सारी बीमारियों से छुटकारा पाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि आप सिर्फ़ 6-7 दिनों के प्रशिक्षण में ही ख़ुद से खाद और दवाइयों को बनाना सीख सकते हैं और अपने खेतों में इसे इस्तेमाल कर सकते हैं यह बहुत ही आसान तरीक़ा है।

इस तरह प्रकाश भाई पटेल पूरी तरह से जैविक खेती करने का निश्चय किया है और वह इसके लिए दूसरे किसानों को भी ज़्यादा ज्यादा जागरूक करने की कोशिश कर रहे हैं और ख़ुद से कई गंभीर बीमारियों को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं।

सम्पर्क सूत्र : किसान साथी यदि खेती किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें kurmiworld.com@gmail.com पर ईमेल लिखकर या फ़ोन नम्बर +91 9918555530 पर कॉल करके या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं Kurmi World के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल ।

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