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डेयरी फार्मिंग में मजदूरों की जगह ले रही हैं आधुनिक मशीनें, बढ़ रहा है मुनाफा

प्रत्येक इंडस्ट्री की तरह डेयरी क्षेत्र में भी धीरे-धीरे बदलाव आने लगा है और छोटे स्तर पर भी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हो रहा है। पहले जहां लोग डेयरी में काम करने के लिए मजदूर रखते थे वहीं अब ज्यादा से ज्यादा मशीनों का प्रयोग कर रहे हैं। कानपुर देहात के डेरापुर में डेयरी फार्म चलाने वाले लोकेश कुमार ने बताया कि उनके फार्म में दूध निकालने के लिए मिल्किंग मशीन, दूध को ठंडा रखने के लिए बल्क मिल्क कूलर और पशुओं को गर्मियों में ठंडा रखने के लिए फोगर सिस्टम जैसी मशीनें लगी हैं। इन सभी मशीनों से मजदूरों पर निर्भरता काभी हद तक कम हो गई है। और डेयरी के परिचालन लागत में काफी बचत हो रही है साथ ही लोगों तक अच्छा दूध भी पंहुच रहा है।

मशीनों के दम पर बढ़ रहा है दुग्ध उत्पादन

जाहिर है कि देश में दूग्ध उत्पादन व्यवसाय छोटे और बड़े दोनों स्तर पर सबसे ज्यादा फैला हुआ है। उत्तर प्रदेश दुग्ध उत्पादन में देशभर में नंबर एक बना हुआ है। साल 2015-16 में यूपी 23.33 मिलियन टन उत्पादन के साथ उत्तर प्रदेश भारत में पहले नंबर पर रहा। देश में दूध के कुल उत्पादन में यूपी का योगदान करीब 18 फीसदी है। उत्तर प्रदेश में डेयरी उद्योग में प्रयोग होने वाले उपकरणों को बनाने वाली कंपनी डेयरी फार्म सोल्यूशन्स के एमडी विक्रम शर्मा ने बताया कि पिछले पांच-छह वर्षों में डेयरी फार्मिंग में मशीनों का प्रयोग तेजी से बढ़ रहा है। जिनके पास बीस या उससे कम पशु भी हैं वो भी अपने डेयरी फार्म पर मशीनों का इस्तेमाल कर रहे हैं।

मशीनों के इस्तेमाल से खर्चा हुआ कम

कानपुर के पास रनिया में डेयरी फार्म के संचालक रामपाल कटियार ने बताया कि पहले डेयरी के बिजनेस में ज्यादा पशु होने पर कई मजदूरों को दूध निकालने के लिए लगाना पड़ता था और उन्हें रोजाना मेहनताना देना पड़ता था लेकिन अब ऐसा नहीं है। मशीनों के इस्तेमाल से खर्च काफी कम हुआ है और मशीनों के जरिए शुद्ध और स्वच्छ दूध मिल रहा है, बाजार में ऐसे दुध की कीमत भी ज्यादा मिलती है।

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