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बिहार में धमाल मचा आत्मनिर्भर चायवाली
बिहार की राजधानी पटना में इन दिनों दो-दो चायवालियों के चर्चे हैं। बोरिंग केनाल रोड में ग्रेजुएट चायवाली का स्टाल सजा है तो गांधी मैदान के पास आत्मनिर्भर चायवाली का। अपने हौसले के बल पर बेरोजगारी को मात देने वाली दोनों युवतियां पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना से प्रेरित हैं।
मोना नाम की यह बीसीए स्टूडेंट मूल रूप से समस्तीपुर की रहने वाली है प्राइवेट कॉलेज से बीसीए करने के बाद पिछले कुछ वर्षों से राजधानी पटना के कंकड़बाग में रह रही हैं इनके परिवार में कुल दो बहने हैं और माता-पिता में पिता एक प्राइवेट स्कूल में शिक्षक हैं तो वहीं माता उनकी हाउसवाइफ है मोना पटेल ने बताया की इनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण इनके पिता जल्द ही इन्हें शादी करवाने की बात कर रहे थे पर मोना अभी शादी नहीं करना चाहती क्योंकि उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं इसलिए इन्हें लगता है कि खुद को कुछ न कुछ करना चाहिए इस दौरान इन्होंने प्रियंका गुप्ता कि इंस्पायरल कहानी सुनी और इसके बाद मोना ने भी अपनी चाय की ही स्टॉल खोलने का फैसला लिया।
खास बात यह कि दोनों ने बेरोजगारी के दौर में चाय की पटरी पर रोजगार का विकल्प खोजा है। उच्च शिक्षा प्राप्त तथा फर्राटेदार अंग्रेजी (English Speaking) बोलती हैं।
पटना में इन दिनों ‘आत्मनिर्भर चायवाली’ की चर्चा
पटना में इन दिनों ‘ग्रेजुएट चायवाली’ की चर्चा हो ही रही थी कि अब एक ‘आत्मनिर्भर चायवाली’ भी बाजार में आ गई है। बीसीए (बैचलर ऑफ कंप्यूटर एप्लिकेशन) की पढ़ाई के बाद मोना पटेल को जब महज 15 हजार की नौकरी मिली तो चाय बेचने का फैसला कर लिया।
माता-पिता कराना चाहते थे शादी
मोना मूल रूप से समस्तीपुर की रहने वाली हैं, लेकिन वो राजधानी पटना में कंकड़बाग में रहती हैं। उनकी दो बहने हैं और उनके पिता एक प्राइवेट स्कूल में शिक्षक हैं। मोना पटेल ने बताया, ‘पिता की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। पिता शादी करवाने की बात कह रहे हैं।
मैं अभी शादी नहीं करना चाहती हैं। मेरी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। इसकी वजह से मुझे कुछ न कुछ काम करना था और मैं प्राइवेट जॉब नहीं करना चाहती हूं। ऐसे में मैं यूट्यूब पर प्रियंका गुप्ता को देख कर इंस्पायर्ड हो गई।
इसके बाद मैंने भी अपना स्टॉल खोलने का फैसला लिया।’ मोना ने बताया कि स्टॉल तो मैं काफी पहले खोल लेती लेकिन खुद सड़कों पर उतरने का हौसला प्रियंका जी को देख कर आया।
पीएम मोदी को मानतीं प्रेरणास्रोत
मोना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना प्रेरणास्रोत बताती हैं। मूल रूप से समस्तीपुर की निवासी हैं। पिता कुंदन पटेल एक निजी स्कूल में शिक्षक हैं।
मोना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना प्रेरणास्रोत बताती हैं
पटना के जेडी वीमेंस कालेज (JD Women’s College) से साल 2021 में बीसीए करने के बाद महज 15 हजार की नौकरी मिली तो इसमें मोना का मन नहीं लगा।
इसी बीच नौकरी नहीं मिलने पर पटना वीमेंस कालेज के पास चाय बेचने वाली ‘ग्रेजुएट चायवाली’ की सफलता की कहानी सुनी तो माेना ने भी ऐसा ही करने की ठानी।
पटना गांधी मैदान के पास टी स्टाल
पटना के गांधी मैदान के पास मोना का टी स्टाल आकर्षण का केंद्र बन गया है। उसकी मसाला चाय, कुल्हड़ चाय व पान चाय तो ग्राहक खूब पसंद कर रहे हैं।
अपनी चार से पांच तरह की चाय को 10 से 20 रुपये तक की कीमत पर बेच कर वह रोजाना चाय बेच कर एक हजार रुपये तक कमा लेती है।
नौकरी नहीं मिली तो बन गई ‘ग्रेजुएट चायवाली’
अब बात टी-स्टाल खोलने में मोना की प्रेरणा बनी ‘ग्रेजुएट चायवाली’ प्रियंका गुप्ता की। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से अर्थशास्त्र में स्नातक करेन के बाद जब नौकरी नहीं मिली, तब प्रियंका ने दोस्तों की मदद से पटना वीमेंस कॉलेज (Patna Women’s College) के पास अपना टी स्टाल लगा दिया।
प्रियंका के चाय टी स्टाल पर ठेठ अंदाज में लिखी पंचलाइन- ‘पीना ही पड़ेगा’ और ‘सोच मत…चालू कर दे बस’ जोगों को बरबस आकर्षित करने लगे।
आमदनी बढ़ी तो प्रियंका ने अब अपना बड़ा स्टाल पटना के बोरिंग केनाल रोड में एसके पुरी पार्क (SK Puri Park, Patna) के पास शिफ्ट कर दिया है।
माता-पिता को बिना बताए खोला स्टॉल
मोना ने कहा, ‘मैंने अपने इस फैसले के बारे में अपने माता-पिता को नहीं बताया है। मुझे डर लग रहा है कि मां पापा क्या कहेंगे। लेकिन मुझे उम्मीद है कि वो मेरे इस फैसले के साथ खड़े रहेंगे। मुझे ही नहीं बल्कि सभी लड़कियों को आगे आना चाहिए। खुद से आत्मनिर्भर बनना चाहिए ताकि किसी को किसी पर आश्रित होने की जरूरत न पड़े।’
मेहनत करो, बहाने मत बनाओ
पूर्णिया के बनमनखी में किराना की दुकान चलाने वाले प्रभाकर प्रसाद गुप्ता उर्फ जानी की बेटी प्रियंका को टी-स्टाल लगाने का आइडिया चाय बेचने का आइडिया आइआइएम अहमदाबाद (IIM, Ahmedabad) के पास टी-स्टाल लगाने वाले ‘एमबीए चाय वाला’ प्रफुल्ल बिलोर की सफलता से मिली।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत (Aatmanirbhar Bharat) की परिकल्पना से प्रेरित पढ़-लिखकर बेरोजगारी का रोना रोने वाले लोगों से कहती हैं कि मेहनत करो, बहाने बनान से काम नहीं चलेगा।
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