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पटेल की 2 हजार तस्वीरों को देख तैयार किया गया चेहरा, जानें Statue of Unity की खासियत

1947 के विभाजन के बाद राजाओं-नवाबों के कब्जे वाली रियासतों को भारत संघ में मिलाने में अहम योगदान दिया था। हाल ही में विजय रूपानी ने अपने सोशल अकाउंट पर सरदार पटेल की कुछ तस्वीरें शेयर की हैं। इन तस्वीरों में सरदार पटेल की मूर्ति के चारों ओर हरियाली नजर रही है। यह मूर्ति के आस-पास बेहद मनोरम दृश्य है। जानिए मूर्ति से जुड़ी खास बातें।

नर्मदा नदी के तट पर स्थित यह प्रतिमा मौजूदा समय में विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा चीन के स्प्रिंग टेम्पल ऑफ बुद्ध से भी 29 मीटर ऊंची है। चीन की प्रतिमा की ऊंचाई 153 मीटर है। सरदार पटेल की प्रतिमा न्यूयॉर्क स्थित 93 मीटर ऊंची स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से लगभग दोगुना बड़ी है।

विंध्याचल सतपुड़ा की पहाड़ियों के बीच नर्मदा नदी के साधु बेट टापू पर बनी दुनिया की सबसे ऊंची इस मूर्ति को बनाने में करीब 2389 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं, जिसमें 90000 टन सीमेंट का प्रयोग हुआ है। सरकार की ओर से 235 करोड़ रुपए प्रदर्शनी हॉल और सभागार केंद्र पर खर्च किए गए हैं। बता दें 15 साल तक ढांचे के रखरखाव पर भरकर राशि खर्च की जाएगी। 83 करोड़ रुपये पुल के निर्माण पर खर्च हुए हैं।

राज्य सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि स्टैच्यू ऑफ यूनिटी से राज्य के पर्यटन विभाग को बहुत फायदा होगा। इसके बनने से प्रतिदिन करीब 15000 पर्यटक के यहां आने की संभावना है और इससे गुजरात देश का सबसे व्यस्त पर्यटक स्थल बन सकता है।

मूर्ति के निर्माण में 250 इंजीनियर और 3400 श्रमिकों ने इस परियोजना पर काम किया है। इसमें दो हाई स्पीड लिफ्ट भी हैं जिससे एक समय में करीब 40 लोग गैलरी तक जा सकते हैं।

यहां एक संग्रहालय में सरदार पटेल के जीवन से जुड़ी घटनाओं पर लाइट एंड साउंड शो भी होगा। मूर्ति के पास एक बेहतरीन सेल्फी प्वाइंट भी बनाया गया है।

स्टैच्यू के ऊपरी हिस्से में 306 मीटर पैदल पथ को पूरी तरह से मार्बल से तैयार किया गया है। इसके अलावा दिव्यांगों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए भी पैदल पथ होगा।

प्रतिमा के पास स्थित पहाड़ियों पर फूलों को लगाया गया है, जिससे यहां से नजारा 'फूलों की घाटी' जैसा दिखाई दे रहा है। मूर्ति के पास इस फ्लॉवर्स वैली में तमाम तरह के और भी फूल लगाए जा रहे हैं।

कंस्ट्रक्शन कंपनी लार्सन एंड टर्बो द्वारा बनाई गई स्टैच्यू ऑफ यूनिटी परियोजना को दिसंबर 2014 में शुरू किया गया था जिसे 42 महीनों को अंदर पूरा किया जाना था। लेकिन इसकी डिजाइन के काम के कारण इसके निर्माण की अवधि को और चार महीने के लिए बढ़ा दिया गया था।

सरदार पटेल की मूर्ति को नोएडा के रहने वाले स्कल्पचर आर्टिस्ट राम वनजी सुतार ने डिजाइन किया है। सुतार भारत के एक सुप्रसिद्ध मूर्तिकार हैं। इन्होंने सरदार पटेल की करीब 2000 तस्वीरों को देखा और अर्काइव में सेव किया। तब जाकर उन्हें इस तरह का फाइनल टच दिया गया। अपने जीवन में सबसे ज्यादा महात्मा गांधी की मूर्तियां बनाई हैं। अपनी कला के लिए सुतार को पद्म भूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है।

इंजीनियर्स के लिए सरदार पटेल की इतनी हाईट वाली बड़ी मूर्ति का निर्माण करना एक बड़ी चुनौती थी। इसके साथ ही नर्मदा नदी के टापू पर वॉकिंग पोज के रूप में स्थापित करना भी एक बड़ी चुनौती है। दूर से देखने पर सरदार की प्रतिमा मानो यूं लगेगी जैसे कि नदी के बीचों-बीच स्थापित की गई है। स्टेच्यू आफ यूनिटी जहां राष्ट्रीय गौरव और एकता की प्रतीक है। इसके साथ ही यह भारत के इंजीनियरिंग कौशल तथा परियोजना प्रबंधन क्षमताओं का सम्मान भी है। यह स्टैच्यू 180 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चलने वाली हवा में भी स्थिर खड़ा रहेगी। यानी अगर 6.5 तीव्रता के भूकंप भी आया तो मूर्ति का कुछ नहीं बिगड़ेगा।

जब नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने वर्ष 2013 में सरदार पटेल की दुनिया में सबसे बड़ी प्रतिमा राज्य में स्थापित करने की घोषणा की थी। अब ये मूर्ति तैयार है और दुनिया वाले जल्द ही इस खास मूर्ति का दीदार कर सकेंगे।

इस परियोजना (स्टैच्यू ऑफ यूनिटी) की देखभाल कर रहे सरदार सरोवर नर्मदा निगम लिमिटेड (एसएसएनएनएल) के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक एस. एस. राठौड़ ने बीते सप्ताह ही बयान जारी कर संवाददाताओं से बताया था कि इसकी गैलरी को अंतिम रूप दिया जा रहा है जो कि 153 मीटर ऊपर स्थित है। इस गैलरी में एक समय में करीब 200 पर्यटकों को समायोजित किया जा सकता है। यहां से सरदार सरोवर बांध और सतपुड़ा विंध्य की पर्वत श्रृंखला तथा अन्य जगहों का दीदार किया जा सकेगा।