जिस नवाब ने कुत्तों की शादी पर खर्च किए 20 लाख, उसे सरदार पटेल ने ऐसे खदेड़ा
यूं तो सरदार वल्लभ भाई पटेल ने देश के लिए एक से बढ़कर एक काम किए, लेकिन सबसे रोचक है जूनागढ़ रियासत को भारतीय गणराज्य में शामिल किए जाने की कहानी। जूनागढ़ के नवाब को कुत्तों से बड़ा प्रेम था, उनके पास 800 कुत्ते थे। नवाब ने उस जमाने में अपने पालतू कुत्तों की शादी पर 20 लाख रुपए उड़ा दिए थे।
कुत्तों की शादी के दिन घोषित कर दिया था पब्लिक हॉलीडे
जूनागढ़ के नवाब महबत खां रसूल खांजी तृतीय का कुत्तों से प्रेम सिर्फ इतना भर नहीं था कि उन्होंने 800 कुत्ते पाले थे और शादी में 20 लाख उड़ा दिए बल्कि जिस दिन कुत्तों की शादी हुई, उसी दिन उन्होंने पब्लिक हॉलीडे भी घोषित कर दिया था। जूनागढ़ के नवाब की इस कहानी को अब थोड़ा कुत्तों से आगे बढ़ाते हैं। नवाब के एक दीवान थे, जिनका नाम था- शाहनवाज भुट्टो। वह मुस्लिम लीग के नेता थे और मूलरूप से कराची का थे। शाहनवाज भुट्टो के बेटे का नाम है- जुल्फिकार अली भुट्टो, जो आगे चलकर पाकिस्तान के राष्ट्रपति बने। सरदार पटेल ने 552 रियासतों का भारत में विलय कराया, लेकिन जूनागढ, हैदराबाद, त्रावणकोर और कश्मीर का मामला बढ़ा ही जटिल था।
भारतीय हितों के खिलाफ काम कर रहे थे लॉर्ड माउंटबेटन
नवाब ने अपने दीवान शाहनवाज भुट्टो के कहने पर जूनागढ़ रियासत का विलय पाकिस्तान में कराने का निर्णय लिया। रियासत के ज्यादातर लोग इसके खिलाफ थे। 15 अगस्त 1947 को जूनागढ़ के नवाब में पाकिस्तान का हिस्सा बनना स्वीकार कर लिया, लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत यह थी कि जूनागढ़ की पाकिस्तान से कोई जमीनी कनेक्टिविटी नहीं थी। केवल समुद्र के जरिए जूनागढ़ पाकिस्तान के साथ कनेक्ट हो सकता था। उधर लॉर्ड माउंटबेटन भी जूनागढ़ के घटनाक्रम पर बराबर नजर रख रहे थे और गंभीरता से प्रयास कर रहे थे, लेकिन उनके प्रयास भारत के हित में नहीं थे। उनका मोहम्मद अली जिन्ना पर कोई कंट्रोल नहीं था, लेकिन वह भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध की स्थिति को टालने के लिए भारत को तीन शर्तों में बांधना चाहते थे। पहली- जूनागढ़ का मामला यूनाइटेड नेशंस के पास ले जाया जाए, दूसरी- भारतीय सैनिक जूनागढ़ में प्रवेश नहीं कर सकते और तीसरी- जूनागढ़ में जनमत-संग्रह कराया जाए। लॉर्ड माउंटबेटन के सुझावों को सरदार पटेल ने खारिज कर दिया।
9 नवंबर 1947 को भारत ने जूनागढ़ पर अधिपत्य स्थापित कर लिया
लॉर्ड माउंटबेटन ने बाद में सरदार पटेल को एक और सुझाव दिया कि भारतीय सेना की जगह सेंट्रल रिजर्व पुलिस को बाबरीवाड़ में भेजा जाना चाहिए न कि इंडियन आर्मी को। सरदार पटेल को पूरा विश्वास था कि यह काम भारतीय सेना से बेहतर कोई दूसरा कर ही नहीं सकता। सरदार पटेल ने जूनागढ़ के लिए जो रणनीति बनाई थी, उसकी उन्होंने माउंटबेटन को भनक तक नहीं लगने दी। भारत ने 9 नवंबर 1947 को सफलतापूर्वक जूनागढ़ पर अधिपत्य स्थापित कर लिया। इसके बाद 13 नवंबर 1947 को सरदार पटेल जूनागढ़ गए, जहां उनका जोरदार स्वागत किया गया। उन्होंने जनता को संबोधित किया। जूनागढ़ के बाए सरदार पटेल सोमनाथ मंदिर में दर्शन के लिए गए।
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