आखिर सरदार वल्लभभाई पटेल काे क्याें कहा जाता हैं लाैह पुरुष... सरदार पटेल की पुण्यतिथि पर जानें उनकी महत्वपूर्ण बाते
सरदार पटेल देश के पहले गृह मंत्री थे. उन्हे एकता का प्रतीक माना जाता है. शायद अब आप साेच रहे हाेंगे की उन्हें लाैह पुरुष और एकता का प्रतीक आखिर क्याें कहा जाता है. ताे चलिए जानते हैं उनकी पुण्यतिथि पर उनकी कुछ खास बाते जाे उन्हें लाैह पुरुष बनाती है....
बता दें कि सरदार पटेल ने 565 रियासतों का विलय भारत में किया था. जिसे करना शायद बेहद ही मुश्किल था. जाे कि उन्हाेंने कर दिखाया था. जिसकी वजह से उन्हें एकता का प्रतीक माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि अगर पटेल कश्मीर के मुद्दे को भी हैंडल करते तो शायद आज जो स्थिति वह नहीं होती।अगर बात करे कश्मीर पर पटेल जी की राय की ताे शायद ही लाेगाें काे उनकी राय मालूम हाेगी...आइए जानते है कि आखिर क्या थी कश्मीर पर सरदार पटेल की राय....
सरदार वल्लभभाई पटेल के राजनीतिक सचिव रहे वी. शंकर अपनी पुस्तक 'सरदार पटेल के साथ मेरे संस्मरण' में लिखते हैं, 'महात्मा गांधी को यह उम्मीद थी कि जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा बनेगा और टू-नेशन थ्योरी को खारिज कर देगा।' वह लिखते हैं कि सरदार वल्लभभाई पटेल ने यह फैसला पूरी तरह से जम्मू-कश्मीर के शासक महाराजा हरि सिंह पर छोड़ा था। सरदार की राय थी, 'यदि महाराजा यह समझते हैं कि उनका और उनके राज्य का हित पाकिस्तान के साथ जाने में हैं तो फिर वह उनके रास्ते में नहीं आएंगे।'
सरदार के हवाले से माउंटबेटन ने हरि सिंह से क्या कहा था
माउंटबेटन के राजीनीतिक सलाहकार रहे वीपी मेनन की भी एक पुस्तक रियासतों के भारत में विलय को लेकर है। इंटीग्रेशन ऑफ इंडियन स्टेट्स शीर्षक से लिखी अपनी पुस्तक में मेनन ने तत्कालीन घटनाक्रम की जानकारी दी है। वह लिखते हैं कि 18 से 23 जून, 1947 के दौरान लॉर्ड माउंटबेटन कश्मीर के दौरे पर थे। इस दौरान उन्होंने महाराजा हरि सिंह से कहा, 'यदि कश्मीर पाकिस्तान के साथ जाता है तो फिर भारत की सरकार से उसके रिश्ते कमजोर नहीं होंगे।' यही नहीं माउंटबेटन ने कहा था कि इस बारे में उन्हें सरदार पटेल की ओर से भी पूरा भरोसा दिलाया गया है।
इतिहासकार राजमोहन गांधी ने सरदार पटेल पर लिखी अपनी पुस्तक में कहा है कि देश के पहले गृह मंत्री कश्मीर को लेकर कोई राय नहीं रखते थे। उन्होंने देश के पहले डिफेंस मिनिस्टर बलदेव सिंह से कहा था कि यदि कश्मीर पाकिस्तान के साथ जाना चाहता है तो फिर हम उसे स्वीकार करेंगे। हालांकि उनकी राय तब बदल गई थी, जब उन्हें पता लगा कि पाकिस्तान जूनागढ़ को लेने को तैयार है। इसके बाद उनकी राय कश्मीर पूरी तरह आक्रामक हो गई थी। सरदार पटेल का कहना था, 'यदि जिन्ना हिंदू बहुल आबादी वाले ऐसे राज्य को शामिल करने को तैयार हैं, जहां का शासक मुस्लिम है तो फिर मुस्लिम बहुल राज्य यानी कश्मीर को सरदार क्यों नहीं विलय करा सकते, जिसका शासक हिंदू है।'