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अहमदाबाद प्लेग के दौरान पहली बार दिखी थी सरदार पटेल जी की नेतृत्व क्षमता

अहमदाबाद प्लेग के दौरान पहली बार दिखी थी सरदार पटेल जी की नेतृत्व क्षमता

वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौर में पटेल को याद करना अहम है कि उन्होंने प्लेग फैलने पर किस तरह के कदम उठाए थे और किस तरह अदम्य साहस का परिचय दिया.

सरदार वल्लभभाई पटेल ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत नगर निगम की राजनीति से की. वह राजनीति में शौक से नहीं, बल्कि बेमन से आए थे. लेकिन अहमदाबाद नगर निगम में सदस्य और सैनिटरी कमेटी के चेयरमैन के रूप में उनके तेवरों ने उन्हें राजनीति की ओर खींचना शुरू किया. एक छोटे-से नेता के रूप में जनता की उनकी सेवा और लोगों की अपेक्षाओं ने उन्हें राजनीति में गहराई तक प्रवेश करने को मजबूर कर दिया. इसी दौरान वे महात्मा गांधी के भी संपर्क में आए.

वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौर में पटेल को याद करना अहम है कि उन्होंने प्लेग फैलने पर किस तरह के कदम उठाए थे और किस तरह अदम्य साहस का परिचय दिया.

 

अहमदाबाद में प्लेग और पटेल

दिसंबर, 1917 में अहमदाबाद में प्लेग फैल गया. स्कूल, कचहरी बंद हो गए और ढेर सारे लोग शहर छोड़कर चले गए. अहमदाबाद की उस समय ख्याति वहां के कपड़ा उद्योग के कारण थी. प्लेग के कारण कपड़ा मिलों में सन्नाटा छा गया. मजदूरों को रोकने के लिए मिलों ने अलग से प्लेग एलाउंस दिए.

पटेल उस समय गांधी के प्रभाव में चुके थे. उन्होंने व्यक्तिगत सुरक्षा की अनदेखी करते हुए, शहर छोड़ने से इनकार कर दिया. उस दौर के बारे में भारत के पहले लोकसभा अध्यक्ष बने जीवी मावलंकर ने लिखा है, ‘वह जाने माने चेहरे थे, जो अहमदाबाद की गलियों में घूमते थे, सीवर की सफाई कराते और प्लेग प्रभावित इलाकों में दवाओं का छिड़काव कराते थे. जब कोई मित्र उनके काम या उनकी सुरक्षा को लेकर तर्क करता था तो वह खामोशी से उसकी तरफ देखते थे.’

मावलंकर आगे लिखते हैं कि पटेल की आंखें कहती थीं, ‘मैंने स्वच्छता समिति के चेयरमैन का दायित्व लिया है और मैं कैसे सुरक्षा की मांग कर सकता हूं? अगर मैं अपने पद का दायित्व छोड़ता हूं तो यह लोगों के साथ विश्वासघात होगा. मैं कैसे बचाव में जुटे अपने सफाई कर्मचारियों को यहां प्लेग के जोखिम में छोड़कर अपनी सुरक्षा के लिए भाग सकता हूं?’ (हरिजन पत्रिका में मावलंकर, 10 फरवरी 1951)

गुजरात के अहमदाबाद सहित कई शहरों में प्लेग से हजारों लोगों की मौत हुई थी. किसान 1915 के सूखे और 1917 में आई बाढ़ से तबाह थे. उसी समय खेड़ा के किसानों पर भारी मात्रा में टैक्स लाद दिया गया था, जबकि खेड़ा जिले में ही प्लेग से 18,067 लोगों की मौत हो चुकी थी. अहमदाबाद प्लेग के दौरान पटेल की सेहत पर भी बुरा असर पड़ा. लेकिन ये पहला मौका था, जब उनकी नेतृत्व क्षमता से लोग प्रभावित हुए. प्लेग का प्रकोप जनवरी 1918 के अंत तक कम हो गया. इसके फौरन बाद खेड़ा में पटेल ने गांधी के साथ मिलकर किसानों के आंदोलन का नेतृत्व भी किया.