सरदार पटेल के ये 10 प्रेरक वचन, मन में भर देंगे नया जोश
आधुनिक भारत के निर्माता कहे जाने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नाडियाड में जन्मे थे। पेशे से वकील सरदार पटेल ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्हें खासतौर पर खेड़ा सत्याग्रह के लिए जाना जाता है। आजादी के बाद भारत को एकीकृत करने में सरदार पटेल की अद्वितीय भूमिका थी। तकरीबन 562 रियासतों में बंटे भारत को एक राष्ट्र बनाने के लिए सरदार पटेल ने काफी पसीना बहाया। उन्होंने जूनागढ़ और हैदराबाद जैसे विवादित रियासत को भी अपनी चतुराई और कूटनीतिक कौशल से भारत में मिला दिया था। इसी वजह से महात्मा गांधी ने उन्हें लौहपुरुष की उपाधि प्रदान की थी।
आजादी के बाद सरदार पटेल देश के पहले गृहमंत्री और उप उपप्रधानमंत्री बने। । सरदार पटेल को 1991 में भारत का सर्वोच्च पुरस्कार भारत रत्न दिया जा चुका है। साल 1950 के 15 दिसंबर को लौहपुरुष का मुंबई में निधन हो गया। सरदार पटेल महात्मा गांधी के सबसे बड़े समर्थकों में गिने जाते हैं। उनके जीवन में गांधी के दर्शन का काफी प्रभाव था। उन्होंने देश के लोगों के लिए अपने जीवनकाल में अनेक प्रेरक वचन कहे थे। ये प्रेरक वचन भारत की जनता के लिए पथ प्रदर्शक का काम करती हैं। आज हम आपके लिए उनके ऐसे ही प्रेरक वचन लेकर आए हैं।
- “शक्ति के अभाव में विश्वास व्यर्थ है। विश्वास और शक्ति दोनों किसी महान काम को करने के लिए आवश्यक हैं।”
- “आपकी अच्छाई आपके मार्ग में बाधक है, इसलिए अपनी आँखों को क्रोध से लाल होने दीजिये, और अन्याय का सामना मजबूत हाथों से कीजिये।”
- “इस मिट्टी में कुछ अनूठा है, जो कई बाधाओं के बावजूद हमेशा महान आत्माओं का निवास रहा है।”
- “बोलने में मर्यादा मत छोड़ना, गालियाँ देना तो कायरों का काम है।”
- “संस्कृति समझ-बूझकर शांति पर रची गयी है। मरना होगा तो वे अपने पापों से मरेंगे। जो काम प्रेम, शांति से होता है, वह वैर-भाव से नहीं होता।”
- “मेरी एक ही इच्छा है कि भारत एक अच्छा उत्पादक हो और इस देश में कोई अन्न के लिए आंसू बहाता हुआ भूखा ना रहे।”
- “एकता के बिना जनशक्ति, शक्ति नहीं है जब तक उसे ठीक ढंग से सामंजस्य में ना लाया जाए और एकजुट ना किया जाए, और तब यह आध्यात्मिक शक्ति बन जाती है।”
- “जो तलवार चलाना जानते हुए भी तलवार को म्यान में रखता है, उसी की अहिंसा सच्ची अहिंसा कही जाएगी। कायरों की अहिंसा का मूल्य ही क्या। और जब तक अहिंसा को स्वीकार नहीं जाता, तब तक शांति कहाँ!”
- “जब जनता एक हो जाती है, तब उसके सामने क्रूर से क्रूर शासन भी नहीं टिक सकता। अतः जात-पांत के ऊँच-नीच के भेदभाव को भुलाकर सब एक हो जाइए।”
- जो व्यक्ति जीवन को अत्यधिक गंभीरता से लेता है, उसे तुच्छ जीवन जीने के लिए तैयार रहना चाहिए। सुख-दुःख को समान रूप से स्वीकार करने वाला ही सही जीवन का आनंद ले पाता है।
- यह हर एक नागरिक की जिम्मेदारी है कि वह यह अनुभव करे की उसका देश स्वतंत्र है और उसकी स्वतंत्रता की रक्षा करना उसका कर्तव्य है. हर एक भारतीय को अब यह भूल जाना चाहिए कि वह एक राजपूत है, एक सिख या जाट है. उसे यह याद होना चाहिए कि वह एक भारतीय है और उसे इस देश में हर अधिकार है पर कुछ जिम्मेदारियां भी हैं.
- ‘बेशक काम पूजा की तरह है लेकिन हंसी जिंदगी है। जो जिंदगी को बहुत ज्यादा सीरियल लेते हैं उन्हें तकलीफों का सामना करना पड़ता है।’
- ‘संस्कृति समझ बूझकर शांति पर रची गई है। मरना होगा तो वे अपने पापों से मरेंगे जो काम प्रेम, शांति से होता है, वह वैर भाव से नहीं होता। ‘
- “शक्ति के अभाव में विश्वास व्यर्थ है। विश्वास और शक्ति दोनों किसी महान काम को करने के लिए आवश्यक है।
- जब जनता एक हो जाती है, तब उसके सामने क्रूर से क्रूर शासन भी नहीं टिक पाता। अतः जात-पात, ऊंच-नीच का भेद भूलकर सब एक हो
- संस्कृति समझ-बूझकर शांति पर रची गयी है। मरना होगा तो वे अपने पापों से मरेंगे। जो काम प्रेम, शांति से होता है, वह हिंसा भाव से नहीं
- हमारी करोड़ों की दौलत चली भी जाए या पूरा जीवन बलिदान हो जाए, फिर भी हमें ईश्वर में विश्वास और सत्य पर विश्वास रखकर प्रसन्न रहना
- जो व्यक्ति जीवन को अत्यधिक गंभीरता से लेता है, उसे तुच्छ जीवन जीने के लिए तैयार रहना चाहिए। सुख-दुःख को समान रूप से स्वीकार करने वाला ही सही जीवन का आनंद ले पाता
- यह बिल्कुल सत्य है कि पानी में तैरने वाले ही डूबते हैं, किनारे खड़े रहने वाले नहीं, लेकिन किनारे खड़े रहने वाले कभी तैरना नहीं सीख
- आपको अपना अपमान सहने की कला भी आनी
- अधिकार मनुष्य को तब तक अंधा बना कर रखता है जब तक मनुष्य उस अधिकार को प्राप्त करने के लिए मूल्य न चुका
- आपकी अच्छाई आपके मार्ग में बाधक है, इसलिए अपनी आंखों को क्रोध से लाल होने दीजिये, और अन्याय का सामना मजबूत हाथों से कीजिये।
- शक्ति की कमी होगी तो विश्वास व्यर्थ है। विश्वास और शक्ति, दोनों किसी बड़े काम को करने के लिए जरूरी है।
- मनुष्य को हमेशा ठंडा रहना चाहिए, क्रोध नहीं। लोहा भले गर्म हो जाए, हथौड़ा तो ठंडा ही रहना चाहिए वरना वह खुद हत्था जला डालेगा। कोई भी राज्य प्रजा पर कितना ही गर्म क्यों न हो जाये, अंत में तो उसे ठंडा होना ही पड़ेगा।
- देश की मिट्टी में कुछ अलग बात है, जो इतनी कठिनाइयों के बावजूद हमेशा महान आत्माओं की धरती रही है।
- शक्ति के अभाव में विश्वास किसी काम का नहीं है। विश्वास और शक्ति , दोनों किसी महान काम को करने के लिए अनिवार्य हैं।
- आपकी अच्छाई आपके मार्ग में बाधक है, इसलिए अपनी आँखों को क्रोध से लाल होने दीजिये, और अन्याय का मजबूत हाथों से सामना कीजिये।
- मेरी एक ही इच्छा है कि भारत एक अच्छा उत्पादक हो और इस देश में कोई भूखा ना हो ,अन्न के लिए आंसू बहता हुआ।
- यह हर एक नागरिक की जिम्मेदारी है कि वह यह अनुभव करे की उसका देश स्वतंत्र है और उसकी स्वतंत्रता की रक्षा करना उसका कर्तव्य है. हर एक भारतीय को अब यह भूल जाना चाहिए कि वह एक राजपूत है, एक सिख या जाट है. उसे यह याद होना चाहिए कि वह एक भारतीय है और उसे इस देश में हर अधिकार है पर कुछ जिम्मेदारियां भी हैं.
- हमारी करोड़ों की दौलत चली भी जाए या पूरा जीवन बलिदान हो जाए, फिर भी हमें ईश्वर में विश्वास और सत्य पर विश्वास रखकर प्रसन्न रहना चाहिए।
- मनुष्य को हमेशा ठंडा रहना चाहिए, क्रोध नहीं। लोहा भले गर्म हो जाए, हथौड़ा तो ठंडा ही रहना चाहिए वरना वह खुद हत्था जला डालेगा। कोई भी राज्य प्रजा पर कितना ही गर्म क्यों न हो जाये, अंत में तो उसे ठंडा होना ही पड़ेगा।