लक्षद्वीप में सरदार पटेल ने किया ऐसा काम, दंग रह गया था पाकिस्तान
सरदार वल्लभ भाई पटेल को स्वतंत्र भारत का शिल्पकार कहा जाता है। उन्होंने आजादी के बाद 562 रियासतों में बंटे भारत को एकीकृत करने का महान कार्य संपादित किया था।
सरदार वल्लभ भाई पटेल को स्वतंत्र भारत का शिल्पकार कहा जाता है। उन्होंने आजादी के बाद 562 रियासतों में बंटे भारत को एकीकृत करने का महान कार्य संपादित किया था। इसी वजह से उन्हें महात्मा गांधी ने लौहपुरुष की उपाधि दी थी और कहा था कि यह काम सिर्फ सरदार ही कर सकते थे। हालांकि, यह काम इतना आसान भी नहीं था। इन रजवाड़ों के न सिर्फ शासक अलग थे बल्कि उनका झंडा भी अलग-अलग था। इन अलग-अलग झंडों को तिरंगे में समाहित करने में सरदार पटेल की राजनैतिक सूझबूझ और कूटनीतिक कौशल का बहुत बड़ा हाथ था। देश की राजनीतिक एकता का सूत्रधार होने के नाते ही उनके जन्मदिवस को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाना एक सार्थक पहल है।
देश को आजादी मिलने से पहले ही सरदार पटेल पी.वी मेनन के साथ देसी राज्यों को भारतीय संघ में मिलाने के लिए अपना काम शुरू कर चुके थे। फलस्वरूप, हैदराबाद, जूनागढ़ और कश्मीर को छोड़कर शेष सभी रियासतों को स्वतंत्र भारत में मिला लिया गया था। इनमें से जूनागढ़ रियासत को आजादी के बाद जनमत संग्रह के आधार पर भारत में विलय कराया गया था। जनता के विद्रोह के बाद जूनागढ़ का नवाब देश छोड़कर पाकिस्तान भाग गया।
वहीं, हैदराबाद के निजाम ने जब रियासत का भारत में विलय करने से इनकार किया तो सरदार पटेल ने सेना के इस्तेमाल में भी संकोच नहीं किया। उन्होंने हैदराबाद में सेना भेज दी। निजाम के आत्मसमर्पण के बाद हैदराबाद रियासत भारत में शामिल हो गई। इतनी सारी रियासतों का ऐसा एकीकरण इतिहास में अपना सानी नहीं रखता है। यह विश्व-इतिहास के महान आश्चर्यों में से एक है।
पाकिस्तान के पहुंचने से पहले लक्षद्वीप में फहरा तिरंगा
लक्षद्वीप को भारत में मिलाने में भी सरदार की महत्वपूर्ण भूमिका थी। दरअसल, यह देश का एक ऐसा हिस्सा था जो मुख्यधारा से काफी कटा हुआ था। यहां के लोगों को भारत के स्वतंत्र होने की सूचना ही 15 अगस्त 1947 के कई दिनों बाद मिली। पाकिस्तान से काफी दूर होने के बावजूद भी वह भारत के इस हिस्से पर अपना दावा कर सकता था। तब पाकिस्तानी नौसेना के जहाज लक्षद्वीप के आस-पास मंडराते हुए देखे भी गए थे। लेकिन, इससे पहले कि पाकिस्तान इस हिस्से पर अपना ध्वज फहराए, सरदार ने होशियारी से काम लेते हुए लक्षद्वीप में भारतीय नौसेना का एक जहाज तिरंगा फहराने के लिए भेज दिया। भारतीय नौसेना ने समय रहते द्वीप पर भारत का राष्ट्रीय ध्वज फहरा दिया।
पाकिस्तानी नौसेना ने जब लक्षद्वीप पर भारतीय झंडा देखा तो निराश होकर वापस लौट गई और लक्षद्वीप भारत का हिस्सा हो गया। सरदार ने प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से तिब्बत पर चीन का प्रभुत्व स्वीकार न करने का आग्रह भी किया था लेकिन उन्होंने इसे अस्वीकार कर दिया, जिसका हमें खामियाजा भी भुगतना पड़ा और हमारी सीमा की तकरीबन 40 हजार वर्गगज भूमि पर चीन ने कब्जा कर लिया।