गृह मंत्री रहते हुए सरदार पटेल ने ही RSS पर लगाया था बैन, पत्र लिख हिंसक हिंदुत्व पर गोलवलकर की लगाई थी क्लास!
उन्होंने दूसरे सरसंघचालक माधव सदाशिव गोलवलकर को एक बार पत्र लिखकर हिंसक हिंदुत्व के लिए उन्हें जमकर फटकार लगाई थी।
देश को एक सूत्र में पिरोने वाले लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की आज (31 अक्टूबर, 2019) 144वीं जयंती है। यही वजह है कि सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक उन्हें लोग नमन कर रहे हैं, श्रद्धांजलि दे रहे हैं और याद कर रहे हैं। इसी बीच, कई RSS नेताओं और कार्यकर्ताओं ने भी उनकी जमकर तारीफ की।
हालांकि, रोचक बात है कि यह वही पटेल थे, जिन्होंने अपने गृह मंत्री पद के कार्यकाल में पहले साल में ही हार्डकोर हिंदुत्व की वकालत करने वाले संगठन पर बैन लगा दिया था। यही नहीं, उन्होंने दूसरे सरसंघचालक माधव सदाशिव गोलवलकर को इसके बाद पत्र लिखकर हिंसक हिंदुत्व के लिए उन्हें जमकर फटकार लगाई थी।
‘The Wire’ की रिपोर्ट के मुताबिक, यह किस्सा साल 1948 के आसपास का है। पटेल ने तब आरएसएस नेताओं को अपनी चिट्ठी के जरिए स्पष्ट किया था कि आखिर उन्होंने यह बैन RSS पर क्यों लगाया था। चार फरवरी, 1948 को जारी किए पत्र में तत्कालीन सरकार ने कहा था कि आजादी के नाम पर देश में हिंसा और नफरत फैलाने वाली ताकतों को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए वह RSS पर बैन लगा रही है। वैसे, पटेल शुरू से RSS के कटु आलोचक नहीं थे।
जानकार मानते हैं कि बापू की हत्या के पहले वह इतने मुखर होकर संघ की बखिया नहीं उधेड़ते थे। पर गांधी जी की हत्या के बाद और संघ की बेकाबू होती गतिविधियां देख उन्होंने हिंदू महासभा के नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी को 18 जुलाई 1948 को पत्र लिखा, जिसमें संगठन पर बैन लगाने के बाद भी उसकी ओर से ऐसी घटनाएं न रुकने पर चिंता जताई गई थी।
उन्होंने इस चिट्ठी में लिखा था, “इसमें कोई दोराय नहीं है कि हिंदू महासभा उन्हें (बापू) की हत्या की साजिश में शामिल थी। RSS की इस तरह की गतिविधियों से सरकार और देश को साफ तौर पर खतरा पैदा हो रहा है। हमारी रिपोर्ट्स बताती हैं कि बैन के बावजूद इस तरह की कट्टरपंथी घटनाओं पर विराम नहीं लग रहा है।”
इतना ही नहीं, पटेल ने इसके अलावा गोलवलकर को भी सितंबर 1948 में खत लिखा था। उन्होंने उसमें आरएसएस पर बैन लगाने का कारण बताते हुए उनकी क्लास लगाई थी। लिखा था, “हिंदुओं को एकजुट करना और उनकी मदद करना एक चीज है, पर बदले की भावनासे उनका इस्तेमाल करना अलग चीज है। उन लोगों (संघियों) के सभी भाषणों में भड़काऊ बातें शामिल रहती हैं। ऐसा जरूरी नहीं है कि हिंदुओं में जोश भरने के नाम पर उनमें जहर भरा जाए।”
पटेल ने आगे लिखा था, “लोगों में यही जहर भरने का परिणाम था कि अमूल्य बापू जी ‘त्याग की भेंट’ चढ़ गए। विपक्ष के लिए स्थितियां तब और गंभीर हुईं, जब आरएसएस के लोगों ने बापू की हत्या के बाद मिठाइयां बांटी थीं। ऐसी परिस्थितियों में सरकार को आरएसएस के खिलाफ ऐक्शन लेना जरूरी हो गया। तब से अब तक छह महीने गुजर चुके हैं। हमें उम्मीद है कि इस अंतराल के दौरान संघी सही मार्ग पर आ गए होंगे। पर रिपोर्ट्स अभी भी बताती हैं कि हालात पहले जैसे ही हैं।”