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छत्तीसगढ़ : पढ़ाई के लिए 7 साल की उम्र में भूपेश ने छोड़ दिया था गांव, एक वोट से हार गए थे पहला चुनाव
छत्तीसगढ़ के नए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (फोटोः सोशल मीडिया)
छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी संभालने वाले भूपेश बघेल कुरुदडीह गांव के रहने वाले हैं। बघेल बताते हैं कि उनके गांव में स्कूल नहीं था। ऐसे में उन्होंने महज 7 साल की उम्र में गांव छोड़ दिया और अपने पुश्तैनी ग्राम बेलौदी में रहकर उन्होंने प्राथमिक स्कूल की पढ़ाई की। इसके बाद छठवीं से 11वीं तक की पढ़ाई के लिए भूपेश पास के ही गांव मर्रा गए। भूपेश के बड़े भाई और साथी शंकर बघेल बेलौदी के सरपंच हैं। उन्होंने बताया कि भूपेश ने 1980 में सबसे पहले पंचायत चुनाव लड़ा। उस वक्त आजाद बघेल ने उन्हें एक वोट से हरा दिया था।
छठवीं कक्षा से संभालने लगे खेतीबाड़ी
पिछड़ा वर्ग से आने वाले भूपेश बघेल मूल रूप से किसान हैं। हालांकि उनका ताल्लुक संपन्न किसान परिवार से है। उनके पूर्वजों ने भिलाई स्टील प्लांट के लिए अपनी अच्छी खासी जमीन दे दी थी। बताया जाता है कि भूपेश के गांव कुरुदडीह में उस वक्त कोई स्कूल नहीं था। ऐसे में वे 30 किलोमीटर दूर बेलौदी गांव में रहने चले गए। वे छठवीं कक्षा में थे, तब उनके पिता नंदकुमार बघेल ने उन्हें खेतीबाड़ी संभालने का काम भी सौंप दिया था।
छत्तीसगढ़ के लिए दिया यह नारा
खेती किसानी पर भूपेश बघेल की अच्छी पकड़ है। उनका नारा है, “छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी, नरवा, गरवा, घुरुवा, बारी” यानी वे छत्तीसगढ़ में नदी नालों के पानी को सहेजना चाहते हैं, पशुधन को उत्पादक बनाना चाहते हैं और जैविक खेती के भरोसे खेती को नया आयाम देना चाहते हैं।
मां ने दी यह नसीहत
मां बिंदेश्वरी ने भूपेश को नसीहत देते हुए कहा, ‘‘किसान के बेटे हो। किसानों के हित में काम करो। वृद्धों की सेवा करो। युवाओं की नौकरियों का ख्याल रखो। मैंने एक गाय से 100 गाय तक गोवंश में वृद्धि की थी। खेती और गोमाता के लिए काम करो। तुम बचपन से ही जिद्दी थे। अब छत्तीसगढ़ को ऊंचाई पर पहुंचाने की जिद पकड़ो और गढ़ो… नवा छत्तीसगढ़।’’
पिता ने गुस्से में कहा था- मुख्यमंत्री बनकर दिखाओ
पिता नंदकुमार कहते हैं, ‘‘मैं अपने तीनों बच्चों को इंजीनियर बनाना चाहता था। कुर्मी समाज से पहली बार मेरी दो बेटियां इंजीनियर बनीं, पर भूपेश नहीं। कॉलेज के दौरान भूपेश राजनीति में रुचि रखने लगा। तब मैंने गुस्से में कहा था, ‘‘बन सकते हो तो मुख्यमंत्री बनो। सीएम बनोगे तो टीका लगाऊंगा। तब वह 18 साल का था।’’
भूपेश बघेल का सियासी सफर
- 22 साल की उम्र में राजनीतिक करियर की शुरुआत हुई। 23 अगस्त 1961 को दुर्ग में जन्मे भूपेश बघेल ने 80 के दशक में कांग्रेस से सियासी पारी शुरू की थी।
- रायपुर साइंस कॉलेज में पढ़ाई की। शुरुआत हुई यूथ कांग्रेस के साथ। 1990 से 94 तक वह जिला युवक कांग्रेस कमेटी दुर्ग (ग्रामीण) के अध्यक्ष रहे।
- 1993 में पहली बार चुनाव लड़े। 1998, 2003 और 2013 में विधायक चुने गए।
- 1998 में मुख्यमंत्री से संबद्ध राज्यमंत्री रहे।
- 1999 में मध्यप्रदेश सरकार में परिवहन मंत्री रहे।
- 2000 में राजस्व, पुनर्वास, राहत कार्य, पीएचई के मंत्री बने
- 2000 में छत्तीसगढ़ बना, तब पाटन सीट से जीते। कैबिनेट मंत्री भी बने।
- 2003 में कांग्रेस की सरकार गई तो नेता प्रतिपक्ष बनाया गया।
- 2013 में कार्य मंत्रणा समिति के सदस्य रहे।
- 2014-15 में लोकलेखा समिति के सदस्य रहे।