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कभी पटाखे बेचते थे भूपेंद्र पटेल, कांग्रेसी पार्षद ने तब चेहरे पर फेंका था पानी, पर न खोया आपा; अगले रोज बुलाया था चाय पर चर्चा को
गांधीनगर स्थित दफ्तर में गुजरात सीएम का प्रभार संभालने के बाद भूपेंद्र पटेल। (फाइल फोटोः पीटीआई)
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लो प्रोफाइल नेता भूपेंद्र पटेल बेशक अब गुजरात के नए मुख्यमंत्री हों, पर कभी वह पटाखे बेचा करते थे। वह शुरू से सरल, सहज और शांत मिजाज के रहे हैं। इतने कि एक बार तो उनके चेहरे पर कांग्रेस के एक पार्षद ने पानी फेंक दिया था, पर उन्होंने अपना आपा नहीं खोया था। न ही सुरक्षाकर्मी को बुलाया था। उन्होंने इसके बजाय अगले रोज उन्हीं लोगों (जिनसे विवाद हुआ था) को चाय पर चर्चा के लिए मसला हल करने को बुलाया था।
पटेल जब युवा थे, तब वह अहमदाबाद के दरियापुर में त्योहारी सीजन में एक अस्थायी पटाखों की दुकान लगाया करते थे। उनका परिवार तब पास में ही धंतुरा पोल में रहता था। कॉलेज के बाद पटेल ने करीब तीन साल तक एक निजी कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम किया। बाद में उन्होंने अपने आठ कॉलेज दोस्तों के साथ नारनपुरा में वरदान टावर नाम की एक आवासीय परियोजना को लॉन्च किया था।
1990 के दशक में कई अन्य हिंदू परिवारों की तरह पटेल पुराने शहर के पड़ोस से बाहर चले गए, ताकि क्षेत्र में अक्सर होने वाले सांप्रदायिक दंगों से बच सकें। बेटे अनुज ने बताया, “परिवार पहले नारनपुरा और बाद में अहमदाबाद के बाहरी इलाके मेमनगर चला गया।” यहीं से पटेल ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। साल 1995-96 में वह मेमनगर नगरपालिका के सदस्य बने।
पटेल के साथ काम कर चुके लोग बताते हैं कि वे तनाव वाले हालात में भी “मेहनती” और “शांत” बने रहते हैं। एएमसी की स्थाई समिति अध्यक्ष रहते हुए पटेल के निजी सचिव के रूप में काम करने वाले अनिल जोधानी ने इस बात की बानगी पेश करने वाला पुराना किस्सा बताया कि कैसे 2010-14 में पटेल के कार्यकाल के दौरान कांग्रेस के पार्षदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने पीने के पानी के मुद्दों पर उनका सामना किया था। बकौल जोधानी, “एक पार्षद ने तब पानी का गिलास उठाया और पटेल के चेहरे पर पानी फेंक दिया था। हालांकि, पटेल इस दौरान बेफिक्र रहे। उन्होंने सुरक्षाकर्मियों को फोन नहीं किया…इसके बजाय, अगले दिन उन्होंने उन सभी को चाय पर चर्चा के लिए आमंत्रित किया।”
अहमदाबाद की पूर्व मेयर 63 वर्षीय मीनाक्षीबेन पटेल (1990 के दशक में पटेल के साथ काम करने वाली) के मुताबिक, “नगर पालिका में रहने के बाद से उनकी कार्यशैली में कोई बदलाव नहीं आया है। वह हमेशा स्थानीय पार्टी कार्यालय जाते थे और लोगों के मुद्दों को संबोधित करते थे। इसने उन्हें बहुत लोकप्रिय बना दिया।”
उन्हें “संवेदनशील” बताते हुए पार्टी के एक कार्यकर्ता का कहना है कि कोविड महामारी के चरम पर पटेल ने अहमदाबाद सिविल अस्पताल में लगभग 1,000 कोविड रोगियों के लिए एक टिफिन सेवा चलाई थी। उनके कार्यालय में इलाज, भोजन और अन्य सेवाओं की मांग करने वाले लोगों के लिए 24X7 हेल्पडेस्क भी चलाया गया था। भाजपा नेता का कहना है कि चूंकि, भूपेंद्र भाई दिवंगत आध्यात्मिक गुरु दादा भगवान में विश्वास रखते हैं, इसलिए पटेल को प्यार से “दादा” कहा जाता है।
बता दें कि 59 साल के पटेल पहले कडवा पाटीदार सीएम होने के अलावा अहमदाबाद शहर के पहले व्यक्ति भी हैं जिन्हें इस शीर्ष पद के लिए चुना गया है। उनसे पहले के 16 मुख्यमंत्री राज्य के अन्य हिस्सों से रहे हैं।