पुस्तकालय ने दिखाई राह
कहने को तो एक छोटा सा गांव है, लेकिन शायद किसी महानगर में इतनी प्रतिभाओं ने जन्म लिया हो। कदम कदम पर प्रतिभाओं को छिपाए गांव देश दुनिया में अपनी मिट्टी की खुशबू बिखेर रहा है। ऐसा कोई घर नहीं जिससे अधिकारी न हों। आधा दर्जन भारतीय प्रशासनिक सेवाओं के अधिकारी हैं तो दर्जनों पीसीएस। इंजीनियर, चिकित्सक, बैंक अधिकारियों की तो कमी ही नहीं है। पूरा पूरा परिवार प्रथम श्रेणी का अधिकारी है। स्वच्छता में पूरे देश में डंका बजाने वाले इंदौर को नगर आयुक्त आइएएस आशीष सिंह ही फिलहाल संवार-चमका रहे हैैं।
हरदोई जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर तेरवा दहिगवां की मिट्टी में प्रतिभाओं ने जन्म लिया। ग्रामीण परिवेश में पढ़ाई लिखाई पूरी कर 1994 में शिरीश चंद्र वर्मा गांव के पहले पीसीएस अधिकारी बनें। वह आगे बढ़े तो एक पर एक प्रशासनिक अधिकारी बनने लगे। 2010 में आइएएस अधिकारी बने शिरीश चंद्र वर्मा यूपीडा में अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी हैं। केंद्रीय सचिवालय भारत सरकार में सचिव 1996 में पीसीएस से पदोन्नति पाकर आइएएस बने प्रदीप कुमार भी यहीं से निकले। इंदौर में नगर आयुक्त आइएएस आशीष सिंह देश में इंदौर का पिछले तीन वर्ष से स्वच्छता में डंका पीट चुके हैं। जनवरी में पूरे भारत के आइएएस अधिकारियों की लिस्ट में आशीष सिंह ने छठा स्थान हासिल किया था। आशीष ङ्क्षसह के भाई अनुपम ङ्क्षसह भी पीसीएस अधिकारी हैैं। वरिष्ठ पीसीएस अधिकारी योगेंद्र कुमार अपर जिलाधिकारी तो उनकी पत्नी ज्योत्सना सिंह आइआरएस हैं। आइएसएस अश्वनी कुमार कनौजिया सांख्यकिकी विभाग भारत सरकार में डिप्टी डायरेक्टर हैं। रामयश कनौजिया महाराष्ट्र में अस्सिटेंट कमिश्नर कस्टम हैं। पीसीएस विवेक कुमार नोएडा में तैनात हैं। धर्मेश सिंह लखनऊ में कामर्शियल टैक्स ऑफीसर हैं। विनोद कुमार कनौजिया दिल्ली में बतौर एनएसजी के सेकेंड इन कमांडडेंट हैं।
पुस्तकालय ने दिखाई राह
तेरवा दहिगवां की सबसे एक और पहचान गांव का ग्राम सुधार पुस्तकालय है। 1938 में शिवदुलारे लाल ने पुस्तकालय की स्थापना कराई थी, जो नई पीढ़ी को एक नई दिशा दे रहा है। पुस्तकालय का संचालन कर रहे प्रवक्ता डा. विवेक कुमार व प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे शानू के अनुसार आजादी के पहले 1939 तक के समाचार पत्र पुस्कालय में मौजूद हैं। इस पुस्तकालय में गांव के विद्यार्थियों व शिक्षकों की भीड़ हर समय उपस्थित रहती है।