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किसान इस समय क्या करें, कृषि वैज्ञानिक ने दिये सुझाव
बारिश का मौसम है और इस बार बारिश भी अच्छी हो रही ऐसे काफी किसानों ने धान की रोपाई शुरु कर दी है, इसके अलावा बहुत से किसानो ने अभी रोपाई नहीं की है या किसी दूसरी फसल की खेती करना चाहते हैं। ऐसे में किसानों के लिए सीतापुर जिले के कटिया के कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. डीएस श्रीवास्तव ने खेती से जुड़े कुछ सुझाव दिये, कि किसान इस समय क्या-क्या कर सकते हैं। 1. जिन किसान भाईयों की धान की नर्सरी 20-25 दिन की हो गई हो वे इस समय धान की रोपाई कर सकते हैं। पौध से पौध की दूरी 10 सेमी तथा पंक्ति से पंक्ति की दूरी 20 सेमी रखें। उर्वरकों में 60 किलोग्राम फास्फोरस, 40 किलोग्राम पोटाश/हैक्टर की दर से डालें, तथा नील हरित शैवाल का एक पेकेट/एकड़ प्रयोग करे ताकि मृदा में नत्रजन की मात्रा बढाई जा सकें।
2. जिन किसान भाईयों की धान की पौधशाला लग गयी हो वे ब्लास्ट तथा भूरा धब्बा रोग के लिए पौधशाला की निगरानी करते रहें तथा लक्षण पाये जाने पर कार्बेन्डिजम 2.0 ग्राम/लीटर पानी घोल कर छिड़काव आसमान साफ होने पर करें।
3. धान की पौधशाला मे यदि पौधों का रंग पीला पड़ रहा है तो इसमे लौह तत्व की कमी हो सकती है। पौधों की ऊपरी पत्तियां यदि पीली और नीचे की हरी हो तो यह लौह तत्व की कमी दर्शाता है। इसके लिए 0.5 % फेरस सल्फेट +0.25 % चूने के घोल का छिड़काव आसमान साफ होने पर करें।
4. वर्षा की सम्भावना को ध्यान में रखते हूये किसान भाई इस सप्ताह मक्का की बुवाई कर सकते है। संकर किस्में ए एच-421व ए एच-58तथा उन्नत किस्में-पूसा कम्पोजिट-3, पूसा कम्पोजिट-4 की बुवाई शुरु कर सकते है। बीज की मात्रा 20 किलोग्राम/हैक्टर रखें। पंक्ति से पंक्ति की दूरी 60-75 से.मी. तथा पौधे से पौधे की दूरी 18-25 से.मी. रखें। मक्का में खरपतवार नियंत्रण के लिए एट्राजिन 1 से 1.5 किलोग्राम/हैक्टर 800 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव आसमान साफ होने पर करें।
5. यह समय चारे के लिए ज्वार तथा लोबिया की बुवाई के लिए उप्युक्त हैं अतः किसान भाई पूसा चरी-9, पूसा चरी-6 या अन्य सकंर किस्मों की बुवाई करें बीज की मात्रा 40 किलोग्राम/हैक्टर रखें ।
6. खेतों को समतल करके एक जुताई करें, जिससें खाद अच्छी तरह से मिल जाय तथा हानिकारक कीटों व खरपतवार के बीजों सें बचाव हो सकें। वर्षा को ध्यान में रखते हुए किसान भाईअपने खेतों में मेड़ों को बनाने का कार्य शीघ्र करें। मेडें चोडी तथा ऊँची होनी चाहिए।
7. वर्षा को नजर रखते हुए टमाटर, हरी मिर्च,बैंगन व अगेती फूलगोभी की पौधशाला में जल निकास का उचित प्रबन्ध रखें।अगले तीन दिनों तक खड़ी फसलों,सब्जियों में किसी तरह का छिड़काव ना करें।
8. कद्दूवर्गीय सब्जियों की वर्षाकालीन फसल की बुवाई करें लौकी की उन्नत किस्में पूसा नवीन, पूसा समृधि, करेला- पूसा विशेष, पूसा दो मौसमी, सीताफल- पूसा विश्वास, पूसा विकास। तुरई- पूसा चिकनी,धारीदार तुरई- पूसा नसदार आदि किस्मों की बुवाई करें।
9. इस मौसम में किसान ग्वार, बाजरा, लोबिया, भिंडी, सेम, पालक, चौलाई आदि फसलों की बुवाई के लिए खेत तैयार हो तो बुवाई कर सकते हैं। बीज किसी प्रमाणित स्रोत से ही खरीदें।
10. किसान भाई कद्दूवर्गीय सब्जियों में फल मक्खी की निगरानी करते रहें इसके लिए मिथाइल यूजीनोल ट्रेप का प्रयोग कर सकते हैं। फल मक्खी के लक्षण पाये जाने पर रोगोर 2 मि.ली. + 10 ग्राम चीनी/गुड़ प्रति ली.पानी में मिलाकर 50 लीटर प्रति हैक्टर की दर से छिड़काव आसमान साफ होने पर करें।
11. मिर्च के खेत में विषाणु रोग से ग्रसित पौधों को उखाड़कर जमीन में गाड़ दें। उसके उपरांत इमिडाक्लोप्रिड 0.3 मि.ली./लीटर की दर से छिड़काव आसमान साफ होने पर करें।
12. फलों के नऐ बाग लगाने वाले गड्डों की खुदाई कर उनको खुला छोड दें ताकि हानिकरक कीटो-रोगाणु तथा खरपतवार के बीज आदि नष्ट हो जावें।
13. वर्षा को ध्यान में रखते हुऐ किसानों को सलाह है कि वे अपने खेतो के किसी एक भाग में वर्षा के पानी को इकट्ठा करने की व्यवस्था करें जिसका उपयोग वे वर्षा न आने के दौरान फसलों की उचित समय पर सिंचाई के लिए कर सकते हैं।
14. देशीखाद (सड़ी-गली गोबर की खाद, कम्पोस्ट) का अधिकाधिक प्रयोग करें ताकि भूमि की जलधारण क्षमता और पोषकतत्वों की मात्रा बढ सके। मृदा जाचँ के उपरांत उवर्रको की संतुलित मात्रा का उपयोग करें, खास तौर पर पोटाश की मात्रा बढ़ाएं ताकि फसल की सूखे से लड़ने की क्षमता बढ़ सके।