पेड़ों को कटने से बचाने के लिए उसे एक जगह से दूसरे जगह रेलोकेट कर रहा यह उद्यमी, दे रहा पर्यावरण सरंक्षण का संदेश
पेड़-पौधें प्रकृति के एक श्रृंगार हैं और उन्हें कटने से बचाना हमारी सबसे मह्त्वपूर्ण जिम्मेदारियों में से एक है। आज के समय में बढ़ती जनसंख्या तथा अपने जरूरतों को पूरा करने के लिए लोग पेड़-पौधों को नुकसान पहूंचा रहे हैं। इन सभी बातों के अलावा कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो पेड़-पौधों को बचाने में बहुत सजग हैं।
आज हम बात करेंगे एक ऐसे हीं शख्स की, जो खतरे में पेड़ों को स्थानांतरित करने के मिशन पर काम करते हैं।
तो आइए जानते हैं उस शख्स और उनके मिशन से जुड़ी सभी जानकारियां :-
कौन है वह शख्स?
हम बात कर रहे हैं उदय कृष्णा पेडिरेड्डी (Uday Krishna Pedireddy) के बारे में, जो कि एक बड़े उद्यमी हैं। वे मूल रूप से हैदराबाद (Hyderabad) के रहने वाले हैं। उन्होंने वर्ष 2000 में अमेरिका से लौटने के बाद अपने VATA फाउंडेशन के सहारे हरे-भरे पेड़ों को कटने से बचाने के लिए उसके स्थानांतरण करने की मुहिम चलाई। वह चाहते हैं कि देश की हर सड़क परियोजना में पेड़ों के लिए प्रतिपूरक पुनर्वास योजना हो, जिससे पेड़ो को कटने से बचाया जा सके।
पेड़ों का स्थानांतरण का है मिशन
पेडि रेड्डी (Uday Krishna Pedireddy) का मिशन पेड़ों का कटने से बचाने के लिए उसका स्थानांतरण करना है। वह कहते हैं कि सड़क चौड़ीकरण जैसे तत्काल कामों के कारण पेड़ो को खतरे से बचाने के लिए तथा उन्हें सुरक्षित स्थानों की तलाश करना हीं उनका मिशन है ताकि कुछ साल बाद स्थानांतरित पेड़ों को इसी तरह के खतरे का सामना न करना पड़े।
स्थानांतरण की लागत
उनके इस मिशन में पेड़ो के स्थानांतरण की लागत लगभग 4,000 रुपये प्रति पेड़ है। उनका कहना है कि इस काम को राष्ट्रीय स्तर तक बढ़ाने की आवश्यकता है, इसके लिए वह प्रयासरत है। उनकी टीम अब एक दिन में 100 पेड़ों को स्थानांतरित करने में सक्षम है क्योंकि यह लागत को अनुकूलित करना चाहती है। खास बात यह कि वह लागत खर्च लगने के बावजूद भी पेड़ो को स्थानांतरण करने का निशुल्क सेवा उपलब्ध कराते हैं।
अनेकों पेड़ो को कटने से बचाया
उनकी टीम VATA लगतार कार्यरत है, जो कि अभी तक हजारों पेड़ो को कटने से बचाई है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2010 से तेलंगाना, महाराष्ट्र, गोवा और चेन्नई में 2,200 से अधिक पेड़ों को कटने से बचाया गया है। उनकी टीम लगातार नई तकनीकों पर शोध करते हैं। एक बार उनके पास 15 साल पुराने 98 पेड़ों को हटाने के लिए केवल दो दिन थे। यह असंभव माना जाता था लेकिन उनकी टीम के सफल प्रयास से पेड़ बच गए।
लोगों के लिए प्रेरणा
अपने सकारात्मक प्रयासों के बदौलत सफलता हासिल करने वाले पेडिरेड्डी (Uday Krishna Pedireddy) का कहना है कि उनके इस मिशन का एक खास उदेश्य यह भी है कि समाज के लोग पेड़-पौधों के उपयोगिता के बारे में भली-भाँति समझे। अभी तक लगभग 2200 पेड़ो को कटने से बचा करके सफल स्थांतरण करने वाले VATA फाउंडेशन के उदय कृष्ण पेड्डीरेड्डी ने निशुल्क सेवा देकर साफ तौर पर यह संदेश देने का काम किया है कि अगर सार्थक प्रयास किया जाए तो अनेकों पेड़ो को कटने से बचाया जा सकता है।
आशा है इनकी कहानी पढ़कर आपको जरूर प्रेरणा मिली होगी।
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