सड़कों से सपनों तक: पूर्व जिलाधिकारी सूर्यपाल गंगवार की लखनऊ में भिक्षावृत्ति खत्म करने की मुहिम रंग ला रही है

राजधानी लखनऊ की सड़कों पर अक्सर हाथ फैलाए और गाड़ियों के पीछे दौड़ते बच्चे नजर आते हैं। इन मासूमों की लाचारी देखकर सवाल उठता है कि आखिर माता-पिता की ऐसी क्या मजबूरी है, जिसने उन्हें भीख मांगने के लिए सड़कों पर छोड़ दिया। लखनऊ में बड़ी संख्या में भिक्षावृत्ति करने वाले लोग पिछड़े इलाकों से आते हैं। कुछ लोग आर्थिक तंगी, बीमारी और नशे की आदत के कारण भी इस मजबूरी का शिकार हो जाते हैं।

हालांकि, जहां इन लोगों को खुद से कोई उम्मीद नहीं होती, वहीं लखनऊ जिला प्रशासन और कुछ स्वयंसेवी संस्थाएं इन्हें स्वाभिमान और स्वावलंबन की राह पर लाने के प्रयास कर रही हैं।

अभियान से बदलाव की शुरुआत

लखनऊ में 19 अक्टूबर 2024 को "भिक्षावृत्ति से स्वावलंबन की ओर" अभियान शुरू किया गया। इसकी शुरुआत तत्कालीन जिलाधिकारी सूर्यपाल गंगवार ने की थी, जिसे वर्तमान डीएम विशाख जी आगे बढ़ा रही हैं। इस अभियान को प्रभावी बनाने के लिए प्रशासन ने स्वयंसेवी संस्थाओं, महिला कल्याण विभाग, पुलिस, नगर निगम, समाज कल्याण विभाग और डूडा को जोड़ा।

सामने आईं चुनौतियां

इस दौरान अधिकारियों, कर्मचारियों व वॉलेंटियर्स के सामने कई चुनौतियां आईं. सबसे बड़ी चुनौती सड़कों पर भीख मांगने वालो को भिक्षा न मांगने के लिए प्रेरित करना था. दूसरी सबसे बड़ी चुनौती प्रेरित लोगों को सरकारी सुविधाओं का लाभ दिलाना था, जिससे इनकी मदद हो सके. लेकिन इन लोगों के पास सरकारी लाभ प्राप्त करने के लिए आधारभूत दस्तावेज ही नहीं होते हैं. प्रयासों का नतीजा ये रहा कि लखनऊ में अब तक सैकड़ों की संख्या में भीख मांगने वाले लोगों को स्वरोजगार से जोड़ा गया है.

बच्चों और महिलाओं के जीवन में बदलाव

जिन भिखारियों का अभियान के तहत क्षिक्षावृत्ति से मुक्त कराया जाता है, उन्हें सरकार की तमाम योजनाओं का लाभ उपलब्ध कराया जाता है.

  • अब तक 716 बच्चों का विभिन्न विद्यालयों में और 204 बच्चों का आंगनबाड़ी केंद्रों में दाखिला कराया गया।
  • 8 बालिकाओं को ब्यूटी पार्लर और 45 महिलाओं को मोमबत्ती निर्माण की ट्रेनिंग देकर आर्थिक सहायता दिलाई गई।
  • अब ये बच्चे और महिलाएं स्वाभिमान के साथ अपने भविष्य को बेहतर बनाने के सपने देख रहे हैं।

रेस्क्यू और सरकारी मदद

अभियान के तहत अब तक 111 भिखारियों को रेस्क्यू कर शेल्टर होम भेजा गया है। इसके अलावा—

  • 176 जन्म प्रमाणपत्र
  • 9 मृत्यु प्रमाणपत्र
  • 56 निवास प्रमाणपत्र
  • 31 जाति प्रमाणपत्र
  • 46 आय प्रमाणपत्र बनाए गए।

साथ ही, 276 बच्चों को मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना और 8 लोगों को स्पॉन्सरशिप योजना का लाभ दिया गया। जबरन बाल भिक्षावृत्ति कराने वालों के खिलाफ नाका हिंडोला, सुशांत गोल्फ सिटी और गुडंबा थाने में एफआईआर भी दर्ज कराई गई।

भविष्य की दिशा

यह अभियान लखनऊ में भिक्षावृत्ति मुक्त समाज की ओर एक मजबूत कदम है। हालांकि पीढ़ियों से इस काम में लगे परिवारों को मुख्यधारा से जोड़ना आसान नहीं, लेकिन शिक्षा, प्रशिक्षण और रोजगार की पहल धीरे-धीरे तस्वीर बदल रही है।

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