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नवाचार की मिसाल: गौशाला के लिए किसान ने बनाई भूसा ढोने की अनूठी मशीन

कहते हैं यदि कुछ करने की चाह तो तमाम परेशानियों को दरकिनार कर सफलता हासिल की जा सकती है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है चालीस वर्षीय विष्णु प्रताप पाटीदार ने। शारदा विहार स्थित गौशाला का जिम्मा संभालने वाले पाटीदार ने एक ऐसी मशीन का ईजाद किया है जिससे सात लोगों के बराबर काम लिया जा सकता है। गौशाला में गायों के लिए भूसा इकऋा करने के लिए पहले सात कर्मचारियों की ड्यूटी लगाना पड़ती थी।
गौशाला में करीब 500 गायों के लिए भूसा रखने में पहले बड़ी मुश्किल आती थी। भूसा गोदाम तक पहुँचाने के लिए प्रतिदिन सात कर्मचारियों की ड्यूटी लगानी पड़ती थी। यह काम समय और धन दोनों की बर्बादी थी। इस समस्या का समाधान खोजते हुए पाटीदार ने खेतों में पानी चढ़ाने वाले पंप के सिद्धांत पर आधारित एक अनोखी मशीन तैयार की।
इस मशीन की कार्यप्रणाली भी सरल है। भूसे के ढेर के पास पंप का पाइप रख दिया जाता है। साधारण पानी की दो से ढाई इंच की पाइप का इस्तेमाल किया जाता है। मोटर चालू होते ही पाइप भूसे को खींचकर सीधे गोदाम तक पहुँचा देती है।
पाटीदार ने बताया कि इस मशीन को बनाने में करीब 20 हजार रुपए खर्च हुए। यह मशीन पाँच हॉर्स पावर की पानी की मोटर पर आधारित है। इस मशीन से कुछ ही घंटों में कई क्विंटल भूसा गोदाम में रख दिया जाता है। इसके पहले यहां रोजाना सात कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाती थी। इससे एक ओर रुपयों की बचत तो हो ही रही है साथ ही समय भी बच रहा है।
गौशाला के जिम्मेदार विष्णु प्रताप पाटीदार का यह नवाचार न केवल श्रम और धन की बचत कर रहा है, बल्कि दूसरों के लिए भी एक प्रेरणादायक उदाहरण बन गया है।
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